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पति-पत्नी समेत एक ही परिवार के 3 सदस्यों के नाम आखिर कैसे हुई चित्रकूट की 35 एकड़ सरकारी जमीन
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डिजिटल डेस्क, सतना। धर्मनगरी चित्रकूट के पटवारी हल्का कामता के मौजा रजौला के आराजी नंबर-170 के अंशभाग की 35.80 एकड़ चरोखर दर्ज सीलिंग की शासकीय भूमिआखिर किस आदेश से कैसे, एक ही दिन में पति-पत्नी समेत एक ही परिवार के 3 सदस्यों के निजी स्वामित्व में कैसे चली गई, मामला संज्ञान में आने पर कलेक्टर अनुराग वर्मा ने मझगवां के एसडीएम पीएस त्रिपाठी को निर्देशित किया है कि वे अविलंब आरोपों की जांच कर रिपोर्ट सौंपे। उन्होंने बताया कि जांच रिपोर्ट के आधार पर नियमों के तहत कार्यवाही की जाएगी।
सीलिंग की भूमि का बंदरबाट-
इस मामले में कलेक्टर से की गई शिकायत में मय साक्ष्य स्पष्ट किया गया है कि-
चित्रकूट के पटवारी हल्का कामता के मौजा रजौला की आराजी नंबर 170 की 38.80 एकड़ भूमि वर्ष 1958-59 के राजस्व रिकार्ड में राजमाता रजौला के नाम के साथ चरोखर दर्ज थी। भूमि 2003 तक सीलिंग में आने के कारण मध्यप्रदेश शासन दर्ज रही। लेकिन इसी बीच चमत्कार यह हुआ कि बिना समक्ष अधिकारी के आदेश के राजस्व रिकार्ड में आराजी नंबर -170 की उपरोक्त भूमियां कृष्णचंद्र की पत्नी चंद्रकिरण अमृतराय श्रीवास्तव की इंद्रावती के स्वामित्व चढ़ा दीं गईं।
डंके की चोट पर शासन से छल-
इसके बाद सीलिंग की भूमि के बंदरबाट का खेल शुरु हुआ। बगैर किसी समक्ष आदेश के 17 जुलाई वर्ष 2003 की आराजी नंबर-170 के 4 बटांक काटे गए। बटांक का प्रकरण न तो तहसीलदार की कोर्ट में दर्ज कराया गया और न ही इसके लिए वांछित शुल्क राशि ही जमा कराई गई। आरोप है कि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के मूल निवासी एक ही परिवार को लाभ पहुंचाने के लिए तबके राजस्व अमले ने शासन से छल कर दिया। एक ही दिन में विक्रम सिंह के नाम पर जहां आराजी नंबर- 170/1 (3एकड़) और आराजी नंबर- 170/4 (9एकड़) निजी स्वत्व दर्ज कर दी गई, वहीं विक्रम की पत्नी नीतू सिंह के नाम पर आराजी नंबर- 170/2 (11.70 एकड़) और विक्रम के भाई विवेक सिंह के नाम पर आरजी नंबर- 170/3 (11.70एकड़) दर्ज कर दी गई।
अनुराग वर्मा,कलेक्टर का कहना है कि मामला गंभीर प्रकृति का है। इस प्रकरण में मझगवां के एसडीएम को जांच सौंपते हुए रिपोर्ट मांगी गई है। आरोप प्रमाणित पाए जाने पर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
Created On :   6 May 2022 3:39 PM IST