कृत्रिम बौद्धिकता प्लेटफार्म से व्हॉट्स-एप्प के जरिये कोविड के मामले में शीघ्र कार्रवाई करने की सुविधा!

Facility to act quickly in case of covid through WhatsApp through artificial intelligence platform!
कृत्रिम बौद्धिकता प्लेटफार्म से व्हॉट्स-एप्प के जरिये कोविड के मामले में शीघ्र कार्रवाई करने की सुविधा!
कृत्रिम बौद्धिकता प्लेटफार्म से व्हॉट्स-एप्प के जरिये कोविड के मामले में शीघ्र कार्रवाई करने की सुविधा!

डिजिटल डेस्क | विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय कृत्रिम बौद्धिकता प्लेटफार्म से व्हॉट्स-एप्प के जरिये कोविड के मामले में शीघ्र कार्रवाई करने की सुविधा| कोविड-19 के खिलाफ फौरन कार्रवाई करने के लिये कृत्रिम बौद्धिकता आधारित प्लेटफार्म का सहारा लिया जायेगा। इसके तहत छाती का एक्स-रे करके उसे डॉक्टरों के पास व्हॉट्स-एप्प के जरिये भेज दिया जायेगा। डॉक्टर उसे एक्स-रे मशीन पर देख सकते हैं। इस प्रक्रिया का नाम एक्स-रे सेतु रखा गया है और कम रेजोल्यूशन वाली फोटो को मोबाइल के जरिये भेजा जा सकता है। ग्रामीण इलाकों में कोविड की जांच और कार्रवाई के हवाले से इससे आसानी और तेजी से काम हो सकता है। भारत के ग्रामीण इलाकों में कोविड ने कहर बरपा कर रखा है, जिसे मद्देनजर रखते हुये, तेज गति से जांच करना, यह जानना कि किस मरीज का किन-किन लोगों से संपर्क हुआ और कंटेनमेंट जोन बनाना बहुत जरूरी हो गया है। कुछ शहरों में कोविड जांच में एक सप्ताह से भी ज्यादा समय लग जाता है, ऐसी स्थिति में ग्रामीण इलाकों में चुनौती बहुत कठिन है।

आसान वैकल्पिक जांचों की जरूरत है, क्योंकि आरटी-पीसीआर जांच से भी कभी-कभी कुछ वैरियंट्स के मामले में ‘फाल्स निगेटिव’ रिपोर्ट आ जाती है। इसका मतलब है कि जांच में वैरियंट विशेष का पता नहीं लग पाता। आर्टपार्क (एआई एंड रोबोटिक टेक्नोलॉजी पार्क) लाभ न कमाने वाली संस्था है, जिसे भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू ने स्थापित किया है। इसमें भारत सरकार की संस्था विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का सहयोग है। बेंगलुरू स्थित हेल्थ-टेक स्टार्ट-अप निरामय और भारतीय विज्ञान संस्थान ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के साथ मिलकर एक्स-रे सेतु का विकास किया है। इसे कोविड पॉजीटिव मरीजों की पहचान करने और व्हाट्स-एप्प के जरिये उनकी छाती के एक्स-रे को कम रेजूल्युशन पर डॉक्टर तक भेजने की सुविधा के लिये तैयार किया गया है। इसमें प्रभावित इलाकों का विश्लेषण और उसे रंगों के जरिये मानचित्र (हीटमैप) द्वारा समीक्षा भी की जायेगी। यह समीक्षा डॉक्टरों के लिये उपलब्ध रहेगी, ताकि वे आसानी से हालात के बारे में जान सकें।

इसके जरिये भारत के दूर-दराज इलाकों से 1200 से अधिक रिपोर्ट मिली हैं। स्वास्थ्य की जांच करने के लिये किसी भी डॉक्टर को सिर्फ www.xraysetu.com पर जाकर ‘ट्राई दी फ्री एक्स-रे सेतु बीटा’ बटन को क्लिक करना है। उसके बाद यह प्लेटफार्म उन्हें सीधे दूसरे पेज पर ले जायेगा, जहां उक्त डॉक्टर वेब या स्मार्टफोन एप्लीकेशन के जरिये व्हॉट्स-एप्प आधारित चैट-बॉट से जुड़ जायेंगे।इसके अलावा डॉक्टर लोग एक्स-रे सेतु सेवा शुरू करने के लिये 91 8046163838 पर व्हॉट्स-एप्प संदेश भेज सकते हैं। उन्हें बस मरीज के एक्स-रे इमेज को क्लिक करना है और चंद मिनटों में ही सम्बंधित तस्वीरें और निदान की पूरी व्याख्या वाले दो पेज निकल आयेंगे। कोविड-19 का किसी विशेष स्थान पर ज्यादा प्रभाव डालने की संभावना को ध्यान में रखते हुये, रिपोर्ट में डॉक्टरों की सुविधा के लिये हीट-मैप का भी उल्लेख रहेगा। इंग्लैंड के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने 1,25,000 से अधिक एक्स-रे तस्वीरों को इस प्रक्रिया से जांचा है। इसी तरह एक्स-रे सेतु से एक हजार से अधिक भारतीय कोविड मरीजों की जानकारी हासिल की गई है।

इस प्रक्रिया के शानदार नतीजे निकले हैं। आंकड़ों की संवेदनशीलता 98.86 प्रतिशत और सटीकता 74.74 प्रतिशत है। आर्टपार्क के संस्थापक और सीईओ श्री उमाकांत सोनी का कहना है, “हमें 1.36 अरब लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुये प्रौद्योगिकी का विकास करना है। उल्लेखनीय है कि इस समय हमारे यहां एक लाख लोगों पर एक रेडियोलॉजिस्ट है। उद्योग और अकादमिक जगत के सहयोग से एक्स-रे सेतु ने कृत्रिम बौद्धिकता जैसी शानदार प्रौद्योगिकी के बल पर आगे बढ़कर बेहतरीन स्वास्थ प्रौद्योगिकी संभव की है, जो ग्रामीण इलाकों के लिये है और बहुत सस्ती है।” निरामय की संस्थापक और सीईओ डॉ. गीता मंजुनाथ ने कहा, “निरामय ने आर्टपार्क और आईआईएससी के साथ सहयोग किया है, ताकि एक्स-रे मशीन तक पहुंच रखने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में सेवारत डॉक्टरों को कोविड की तेज जांच और उसके उपचार की सुविधा मिल सके। एक्स-रे सेतु में छाती के एक्स-रे का मूल्यांकन अपने-आप होता है और उससे पता चल जाता है कि आगे मरीज को फेफड़े की कोई समस्या होने वाली है या नहीं। इससे कोविड-19 के संक्रमण का पता लग जाता है।” आईआईएससी के प्रो. चिरंजीब भट्टाचार्य ने कहा, “कोविड पॉजीटिव एक्स-रे इमेज का अभाव होने के कारण हमने एक अनोखी ट्रांस्फर लर्निंग खाका तैयार किया है, जो आसानी से फेफड़ों का एक्स-रे उपलब्ध करा देता है।

Created On :   2 Jun 2021 3:39 PM IST

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