New Delhi News: अरदास के बाद पंचतत्व में विलीन हुए मनमोहन सिंह, देशवासियों ने नम आंखों से दी विदाई

अरदास के बाद पंचतत्व में विलीन हुए मनमोहन सिंह, देशवासियों ने नम आंखों से दी विदाई
  • अंतिम अरदास के बाद मनमोहन सिंह के पार्थिव शरीर को निगम बोध मुखाग्नि दी
  • काम को अपनी आवाज बनाने वाले एक सौम्य दिग्गज
  • डॉ. मनमोहन सिंह ने हमेशा प्रोटोकॉल का पालन किया

New Delhi News. अंतिम अरदास के बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पार्थिव शरीर को निगम बोध में मुखाग्नि दी गई। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पंचतत्व में विलीन हो चुके हैं। राहुल गांधी, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, प्रियंका गांधी ने नम आंखों से विदाई दी। निगमबोध घाट पर पीएम मोदी के साथ गृह मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह भी मौजूद रहे। राजकीय सम्मान के साथ मनमोहन सिंह को अंतिम विदाई दी गई। अर्द्ध सेना के जवानों ने 21 तोपों की सलामी दी।

डॉ. मनमोहन सिंह ने हमेशा प्रोटोकॉल का पालन किया

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपनी सुरक्षा टीम के साथ हमेशा सहयोग करते थे और वह अपनी सुरक्षा में तैनात कर्मियों की चिंता भी खूब करते थे। मनमोहन सिंह की सुरक्षा के बाहरी घेरे की जिम्मेदारी संभालने वाले भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने यह बात कही। छह वर्ष तक दिल्ली पुलिस की सुरक्षा इकाई में काम करने वाले सुनील गर्ग ने एक किस्से को याद करते हुए बताया कि कड़ाके की ठंड के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री ने उनसे अपने घर के आसपास तैनात कर्मियों के लिए चाय और कॉफी की व्यवस्था करने के लिए कहा था। गर्ग ने कहा, ‘मैं किसी मुद्दे पर उनसे मिलने गया था, तब उन्होंने मुझसे प्रधानमंत्री आवास के आसपास तैनात हमारे कर्मचारियों के बारे में पूछा। उन्होंने (मनमोहन सिंह ने) कहा कि हमेशा उनका (कर्मचारियों) ख्याल रखना और उन्हें चाय या कॉफी देते रहना।’ उन्होंने कहा, ‘यह सिर्फ दो मिनट की मुलाकात थी।’ सुनील गर्ग 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी थे और उन्होंने छह वर्ष तक दिल्ली पुलिस की प्रधानमंत्री सुरक्षा इकाई का नेतृत्व किया। सुनील गर्ग ने 2014 तक अतिरिक्त आयुक्त और संयुक्त आयुक्त के रूप में कार्य किया था। वह पिछले साल दिल्ली पुलिस की प्रशिक्षण इकाई में विशेष आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त हुए। गर्ग ने कहा कि ऐसे कई वाकये हैं जब मनमोहन सिंह ने अपनी सुरक्षा इकाई में तैनात कर्मचारियों की कुशलक्षेम जानी। प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा एसपीजी (विशेष सुरक्षा समूह) संभलता है लेकिन बाहरी घेरे में दिल्ली पुलिस के जवानों के साथ-साथ अन्य अर्धसैनिक बल के जवान भी तैनात रहते हैं। भारत के ‘आर्थिक सुधारों के जनक’ सिंह का बृहस्पतिवार रात 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। गर्ग ने सिंह को शांत और संयमित व्यक्ति बताया, जो हमेशा प्रोटोकॉल का पालन करते थे और सुरक्षा कर्मियों के साथ सहयोग करते थे। गर्ग ने कहा, ‘मैंने उन्हें (मनमोहन सिंह) कभी घबराते नहीं देखा। एजेंसियों द्वारा जारी किए गए खतरों के अलर्ट के दौरान भी वह कभी नहीं घबराए और उन्होंने हमेशा सुरक्षा नियमों का पालन किया।’ उन्होंने कहा, ‘वह (मनमोहन सिंह) हमेशा अपने सुरक्षाकर्मियों से मुस्कुराते हुए मिलते थे। एक बार उन्होंने मुझसे दिल्ली पुलिस के काम और कार्यप्रणाली के बारे में भी पूछा था।’ बाहरी घेरे की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले सुनील गर्ग ने छह वर्षों में सिंह से लगभग चार से पांच बार मुलाकात की थी। उन्होंने कहा कि जब मुझे 2008 में राष्ट्रपति पुलिस पदक मिला, तो सिंह ने मुझे सम्मानित करने के लिए एक अनौपचारिक समारोह में मेरी वर्दी पर खुद पदक लगाया। उस समय मैं अपनी पत्नी के साथ था।

काम को अपनी आवाज बनाने वाले एक सौम्य दिग्गज

विवेक तन्खा वरिष्ठ अधिवक्ता और सांसद ने कहा कि आज, इन शब्दों को लिखते समय मेरे हृदय में एक नेता के निधन की पीड़ा तो है ही, साथ में उनके महान जीवन की गरिमा, दृढ़ विश्वास और उद्देश्य का स्मरण भी हो रहा है। डॉ. मनमोहन सिंह का जाना न केवल राजनीतिक दलों के लिए बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए एक अपूरणीय क्षति है, जिन्होंने उन्हें जाना, उनसे सीखा या उनकी प्रेरणादायक यात्रा को देखा। डॉ. सिंह केवल विचारों के व्यक्ति नहीं थे, वे कर्म के व्यक्ति थे, जिन्होंने अक्सर भारी दबाव और आलोचनाओं के बीच हमारे देश के भविष्य को दिशा दी। उसे आकार दिया। सादगी के साथ जटिल समस्याओं को सुलझाने की उनकी अद्वितीय क्षमता आज भी मेरी स्मृति में है। मुझे याद है, एक बार संसद सत्र के दौरान मैंने उनसे एक कठिन वित्तीय समस्या पर चर्चा की थी। उन्होंने उसे शांति के साथ सुना, सोचा और इतनी स्पष्टता से उत्तर दिया कि मेरी समझ ही बदल गई। ऐसे क्षण उन्हें परिभाषित करते थे। वह सिर्फ ज्ञान का भंडार नहीं, बल्कि समाधान के निर्माता थे।मेरे बच्चों की शादियों में उनकी समय से पहले उपस्थिति और उनके द्वारा दिया गया आशीर्वाद उनकी विनम्रता और सादगी को दर्शाता है। वे एक राजनेता की तरह नहीं, बल्कि परिवार के प्रिय सदस्य की तरह जुड़े। डॉ. सिंह की विरासत को उनकी मौन सहनशीलता ने असाधारण बना दिया। विभाजन के दर्द और प्रारंभिक व्यक्तिगत नुकसान से गुजरने के बावजूद उन्होंने इन विपरीत परिस्थितियों को कभी सहानुभूति का आधार नहीं बनाया, बल्कि उनके ऊपर उठकर अपने काम को अपनी आवाज़ बनने दिया। उनका राजनीतिक योगदान- भारत में आर्थिक सुधारों को लागू करना और देश की प्रगति की दिशा को हमेशा के लिए बदल देना इतिहास में दर्ज है। लेकिन उनकी नेतृत्व क्षमता के अदृश्य पहलुओं को भी भुलाया नहीं जा सकता। डॉ. सिंह की विरासत हमें प्रेरित करती है कि हम सार्वजनिक संवाद को ऊंचा उठाएं, राष्ट्र को स्वयं से ऊपर रखें और ईमानदारी और करुणा के साथ नेतृत्व करें। डॉ. मनमोहन सिंह, विद्वान-राजनेता, दयालु संरक्षक और अडिग सुधारक आपकी रोशनी हमें भविष्य के लिए मार्गदर्शन देगी। आपने सिर्फ जीवन नहीं जिया, आपने प्रेरित किया।

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  • 28 Dec 2024 5:37 PM IST

    अंतिम अरदास के बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पार्थिव शरीर को निगम बोध में मुखाग्नि दी

    New Delhi News. अंतिम अरदास के बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पार्थिव शरीर को निगम बोध में मुखाग्नि दी गई। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पंचतत्व में विलीन हो चुके हैं। राहुल गांधी, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, प्रियंका गांधी ने नम आंखों से विदाई दी। निगमबोध घाट पर पीएम मोदी के साथ गृह मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह भी मौजूद रहे। राजकीय सम्मान के साथ मनमोहन सिंह को अंतिम विदाई दी गई। अर्द्ध सेना के जवानों ने 21 तोपों की सलामी दी। 

Created On :   28 Dec 2024 5:34 PM IST

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