New Delhi News: कांग्रेस का निशाना - बीआरएस शासनकाल में हुआ पर्यावरण का सबसे ज्यादा नुकसान

कांग्रेस का निशाना - बीआरएस शासनकाल में हुआ पर्यावरण का सबसे ज्यादा नुकसान
  • '2016 से 2019 के बीच तेलंगाना में कटे 12 लाख पेड़'
  • फ्लॉप रही ‘हरिता हरम परियोजना’
  • 10 साल में हुए पर्यावरण नुकसान का जवाब दे बीआरएस

New Delhi News. हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (एचसीयू) कैंपस के पास 400 एकड़ में फैले विशाल हरित क्षेत्र कांचा गचीबावली जंगल में पेड़ों की कटाई पर भले ही अदालती रोक लग गई है, लेकिन इस पर राजनीतिक बयानबाजी जारी है। के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली बीआरएस पेड़ काटे जाने को लेकर मौजूदा रेवंत रेड्‌डी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है तो कांग्रेस ने विरोध प्रदर्शन को छलावा बताते हुए पूर्व की बीआरएस सरकार पर पलटवार किया है। तेलंगाना के आईटी और उद्योग मंत्री डी श्रीधर बाबू ने कहा कि प्रदेश में वनों के दोहन का सिलिसला बीआरएस सरकार के दौरान ही शुरू हो गया था। बाबू ने कहा कि वर्ष 2016 से 2019 के बीच तेलंगाना में 12.12 लाख से अधिक पेड़ काटे गए। बीआरएस सरकार ने राज्य में 11,422 हेक्टेयर वन भूमि को गैर-वन उद्देश्यों के लिए देने का निर्णय लिया था। यह निर्णय वन संरक्षण अधिनियम का खुला उल्लंघन था। उन्होंने कहा कि पर्यावरणीय तबाही के सबसे ज्वलंत उदाहरणों में से एक कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना थी। इस परियोजना के लिए 8,000 एकड़ से अधिक जंगल को तहस-नहस कर दिया गया और मानव समुदायों को विस्थापित किया।

फ्लॉप रही ‘हरिता हरम परियोजना’

मंत्री ने बीआरएस सरकार की ‘हरिता हरम परियोजना’ पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस परियोजना के तहत दस वर्षों में 219 करोड़ पौधे लगाने का दावा किया गया, जिस पर लगभग 10 हजार करोड़ रूपे खर्च हुए। लेकिन सैटेलाइट डेटा एक अलग कहानी कहता है। तेलंगाना का वन आवरण 2014 में 21,591 वर्ग किमी से घटकर 2021 तक 21,213 वर्ग किमी रह गया। इस दौराना पेड़ों की लगातार कटाई की गई और जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा भी गया।

10 साल में हुए पर्यावरण नुकसान का जवाब दे बीआरएस

एचसीयू कैंपस में पेड़ों की कटाई पर अपनी सरकार के बचाव में आते हुए मंत्री ने कहा कि पर्यावरणवाद मौसमी नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि यदि प्रदर्शनकारी वास्तव में पारिस्थितिकी की परवाह करते हैं, तो उन्हें 10 साल के व्यवस्थित पर्यावरणीय क्षरण के लिए भी जवाब मांगना चाहिए। उन्हें बीआरएस शासन के दौरान वन मंजूरी, क्षतिपूरक वनीकरण और जैव विविधता हानि का फोरेंसिक ऑडिट करने की मांग भी करनी चाहिए।

Created On :   8 April 2025 8:45 PM IST

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