कोर्ट का सख्त रूख: बदलापुर में बच्चियों से यौन शोषण मामला, 3 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई

बदलापुर में बच्चियों से यौन शोषण मामला, 3 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई
  • विद्यार्थियों की सेफ्टी एंड सिक्योरिटी के लिए गठित होगी समिति
  • सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी या पूर्व न्यायाधीश होंगे समिति में
  • एसआईटी के प्रोग्रेसिव जांच रिपोर्ट 3 सितंबर को पेश करने को कहा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार को स्कूल एवं कॉलेजों में विद्यार्थियों की सेफ्टी एंड सिक्योरिटी के लिए गठित समिति में सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी या पूर्व न्यायाधीश को शामिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने समिति में शामिल सदस्यों के नाम बताने और एसआईटी के प्रोग्रेसिव जांच रिपोर्ट 3 सितंबर को अगली सुनवाई पर पेश करने को कहा है।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ के समक्ष स्वत: संज्ञान (सुमोटो) याचिका पर सुनवाई हुई। पीठ ने राज्य की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ से कुछ ऐसे व्यक्तियों के नाम प्रस्तुत करने को कहा, जिससे एक समिति गठित की जा सके। यह समिति स्कूल और कॉलेजों समेत अन्य स्थानों पर इस तरह के कृत्यों को रोकने के तरीके की सिफारिश कर सकें। समिति को लड़कों को लिंग के प्रति संवेदनशील बनाने पर काम करना चाहिए। पीठ ने कही कि हम हमेशा पीड़ितों के बारे में बात करते हैं। हम लड़कों को क्यों नहीं बताते कि क्या सही है और क्या गलत? समिति उस पहलू पर भी काम कर सकती है।

सुनवाई के दौरान बीरेंद्र सराफ ने पीठ को बताया कि कानून के प्रावधानों और इसके कार्यान्वयन पर विचार करने के लिए एनजीओ, स्कूल आयुक्त, शिक्षा आयुक्त और महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रतिनिधियों की एक समिति गठित की गई है। इस संबंध में 23 अगस्त को एक सरकारी प्रस्ताव (जीआर) भी पारित किया गया था। इस पर पीठ ने कहा कि जीआर में केवल लड़कियों का उल्लेख है। जबकि अदालत सभी के बारे में चिंतित है, क्योंकि पोक्सो अधिनियम में बच्चे शब्द का उल्लेख है, जिसमें लड़के भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि आप सेवानिवृत्त न्यायाधीश, सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी, सेवानिवृत्त शिक्षक और बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) और पीटीए से किसी व्यक्ति को शामिल करके एक समिति क्यों नहीं बना सकते हैं, जिससे सभी क्षेत्रों के लोग अपने अनुभव बता सकें।

एसआईटी जांच की प्रोग्रेसिव रिपोर्ट पेश करने का निर्देश : पीठ ने जांच में उठाए गए कदमों के एक दस्तावेज को देखते हुए कहा कि यदि आप चार्ट से देखें, तो यह दर्शाता है कि प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था। हम बदलापुर पुलिस के बारे में बात कर रहे हैं। पीड़िता और उसके माता-पिता को बयान दर्ज करने के लिए पुलिस स्टेशन में बुलाना पूरी तरह से असंवेदनशीलता और कानून के खिलाफ है। महाधिवक्ता सराफ ने कहा कि इसको लेकर तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। पीठ ने 3 सितंबर को एसआईटी जांच की प्रोग्रेसिव रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

Created On :   27 Aug 2024 8:43 PM IST

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