जीवनदान: जीवनदान: सड़क दुर्घटना में बेटे की हार गई जिंदगी, मां ने लिया साहसिक फैसला, करवाया अंगदान

जीवनदान: सड़क दुर्घटना में बेटे की हार गई जिंदगी, मां ने लिया साहसिक फैसला, करवाया अंगदान
  • किसी की रोशनी तो किसी का दिल बन धड़केगा
  • दिल, किडनी, लिवर और कॉर्निया के दान से 5 को नई जिंदगी
  • सड़क दुर्घटना में ब्रेन डेड युवक की मां ने किया बेटे का अंगदान

डिजिटल डेस्क, मुंबई । संतान हर मां के लिए दुनिया में सबसे कीमती होती है। कोख में आने से लेकर उसके बढ़ने तक कितने ही सपने मां संजोए रखती है। ऐसे में जब जवान संतान किसी हादसे की शिकार हो जाए तो मां की दुनिया ही सूनी हो जाती है। लेकिन अपने इस दुख से उबरकर एक मां ने ऐसा फैसला किया कि जिंदगी से जंग हारनेवाला उसका लाल अब किसी की आंखों की रोशनी बन गया तो किसी का दिल बन धड़केगा। इस मां के फैसले से अपनी जिंदगी बचाने अंगदान की प्रतीक्षा कर रहे पांच लोगों को नई जिंदगी मिली है।

परेल में रहनेवाले ओंकार विनायक धुमक चौबीस साल का हट्टाकट्टा नौजवान था।वह अपनी मां और छोटी बहन के साथ रहता था। ओंकार के दोस्त प्रसाद ने बताया कि रक्षाबंधन के दिन ओंकार वाकोला इलाके में हुए एक सड़क हादसे मेंबुरी तरह घायल हो गया। घायलावस्था में उसे इलाज के लिए पहले हादसा स्थल के पास एक निजी अस्पताल और उसके बाद केईएम अस्पताल ले जाया गया। केईएम अस्पताल के बाद परिजनों ने उसे परेल के ग्लेनिगल्स अस्पताल में भर्ती कराया। अस्पताल के चिकित्सा सेवा के प्रमुख डॉ. हुसैन नलवाला ने बताया कि मंगलवार को इलाज के दौरान ओंकार ब्रेन डेड घोषित हो गया। इसके बाद अस्पताल प्रशासन की ओर से उनकी मां को अंगदान के महत्व के बारे में बताया गया। इस महत्व को समझते हुए और बेटे को दूसरों की जिंदगी में बनाए रखने के लिए मां ने बेटे के अवयवों को दान करने का निर्णय लिया। ओंकार का दिल, किडनी, लिवर और कॉर्निया दान दिये जाने से पांच लोगों को नई जिंदगी मिली है। दुःख की इस घड़ी में मां द्वारा लिए गए इस साहसिक निर्णय की सराहना करते हुए अस्पताल प्रशासन ने ओंकार के शव को सम्मान के साथ विदा किया।

8 महीने में 37वां अंगदान : जोनल ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेशन सेंटर (जेडटीसीसी) के मुताबिक इस साल 8 महीने में 37वां अंगदान हुआ है जो सफल रहा है। बीते कुछ वर्षों में अंगदान के मामले में तेजी आई है। वर्ष 2022 के मुकाबले 2023 में अधिक अंगदान हुए है। वर्ष 2023 में हुए 50 ब्रेन डेड मरीजों के अंगदान से 144 लोगों को नई जिंदगी मिली थी। जबकि वर्ष 2022 में 47 ब्रेन डेड मरीजों के अंगदान से 124 लोगों को जिंदगी मिली थी।

Created On :   29 Aug 2024 2:04 PM GMT

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