पहल: पर्यावरण बनेगा चुनावी मुद्दा, चुनाव आयोग ने दिया हरित समूहों की मांग पर ध्यान

पर्यावरण बनेगा चुनावी मुद्दा, चुनाव आयोग ने दिया हरित समूहों की मांग पर ध्यान
  • राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणापत्र में पर्यावरणीय मुद्दों को शामिल करने का सुझाव
  • एनजीओ नैटकनेक्ट फाउंडेशन का अभियान
  • चुनाव आयोग ने एनजीओ से विवरण मांगा

बी. एन. कुमार , मुंबई । भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने पर्यावरणविदों के एक समूह के उस सुझाव का जवाब दिया है जिसमें सभी राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणापत्र में पर्यावरण संबंधी मुद्दों को शामिल करने की मांग की गई । मुंबई स्थित एनजीओ नैटकनेक्ट फाउंडेशन के एक अभियान में कहा गया है कि इससे राजनेताओं को नष्ट हो रहे पर्यावरण के लिए जवाबदेह बनाने में मदद मिलेगी। नैटकनेक्ट के ईमेल का जवाब देते हुए चुनाव आयोग ने एनजीओ से विवरण मांगा। एनजीओ ने राजनेताओं (सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष) को जवाबदेह बनाने के सुझावों के साथ जवाब दिया। चुनाव आयोग ने उन्हें धन्यवाद देते हुए कहा कि सुझावों को हमने नोट कर लिया है। ईसीआई ने कहा कि हम बेहतर चुनाव प्रक्रिया के लिए आपके सुझाव की सराहना करते हैं।

क्या कहा था नैटकनेक्ट ने : हमने प्राथमिक विद्यालयों में सीखा है, हममें से अधिकांश लोग अपनी सुरक्षा के लिए प्रकृति की रक्षा करने की आवश्यकता के बारे में जानते हैं। लेकिन व्यवहार में हममें से अधिकांश विफल हो जाते हैं और राजनेता इसमें अग्रणी होते हैं। हमारा अनुभव यह भी है कि राजनेता पर्यावरण की कीमत पर परियोजनाओं में अल्पकालिक लाभ की तलाश में रहते हैं, बिना यह जाने कि यह उनके अपने मतदाताओं को प्रभावित करता है। चारधाम राजमार्ग और मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र (एमएमआर) में अंधाधुंध विकास के कारण मैंग्रोव, बाढ़ के मैदानों और आर्द्रभूमि का विनाश हुआ है। पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रधानमंत्री से लेकर सांसदों और विधायकों तक की तमाम बड़ी-बड़ी बातों और वादों के बावजूद जमीन पर कार्रवाई नगण्य है।

पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी। क्योंकि विकास की आड़ में हम प्रकृति को खो रहे हैं। सभी राजनीतिक नेताओं को अपने निर्वाचन क्षेत्रों के अंतर्गत पर्यावरण और प्रकृति की सुरक्षा के लिए मतदाताओं के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। -नंदकुमार, सागर शक्ति के प्रमुख

प्रदूषण से महासागरों और खाड़ियों को खतरा है। मैंग्रोव को लगातार खतरों का सामना करना पड़ रहा है। राज्य में 28 नदियां धीरे-धीरे खत्म होने के कगार पर हैं। -गॉडफ्रे पिमेंटा, वॉचडॉग फाउंडेशन

प्रगति का एक महत्वपूर्ण पहलू विकास है। लेकिन विकास की नींव और रणनीति एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। प्रकृति को नष्ट करके अनियंत्रित विकास टिकाऊ नहीं है और हमने ऐसे विकास के परिणामों को बार-बार देखा है। -ज्योति नाडकर्णी, खारघर वेटलैंड्स एंड हिल्स

Created On :   16 March 2024 7:56 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story