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मुद्दा: विधायक के विधानसभा में दिए गए बयान पर अमल करने का आदेश नहीं दे सकते - कोर्ट
- सीआईडी से जांच कराने के बयान पर आदेश देने से इनकार
- आदेश देने का किया गया था अनुरोध
- जनहित याचिका वापस लेने को स्वीकृति
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि हम किसी विधायक के विधान सभा में दिए गए बयान पर अमल करने के लिए आदेश नहीं दे सकते हैं। अदालत ने विधायक रवींद्र वायकर द्वारा 2018 में पूर्व आईएएस अधिकारी विश्वास पाटील के खिलाफ सीआईडी से जांच कराने के बयान पर आदेश देने से इनकार कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ समक्ष सामाजिक कार्यकर्ता शेरखान नजीर मोहम्मद की ओर से वकील एस.जी.कुडले की दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जनहित याचिका में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत राज्य के अधिकारियों को आदेश देने का अनुरोध किया गया था कि विधायक रवींद्र वायकर द्वारा साल 2018 में पूर्व आईएएस अधिकारी विश्वास पाटील के खिलाफ सीआईडी से जांच के लिए दिए गए बयान पर अमल किया जाए। साथ ही एक प्रमुख जांच एजेंसी को जांच सौंपने के दौरान सदन के पटल पर दिए गए आश्वासनों का ध्यान रखना आवश्यक है।
इस दौरान खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को उसकी दलीलों पर फटकार लगाते हुए कहा कि क्या यह जनहित याचिका राजनीतिक बयान है? हम सदन में दिए गए बयान को क्रियान्वित करने के लिए कोई आदेश जारी नहीं कर सकते हैं। खंडपीठ ने वकील को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि भविष्य की याचिकाओं में कानूनी आधार पर समर्थित तथ्य हों। वह बिना कानूनी आधार के याचिका दायर न करे। याचिकाकर्ता के वकील एस.जी.कुडले ने जनहित याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी, जिसे खंडपीठ ने स्वीकार कर लिया।
Created On :   10 May 2024 1:29 PM GMT