रिजल्ट: नो फेल नीति खत्म होने के चलते एक दशक बाद पांचवीं और आठवीं में फेल हुए बच्चे

नो फेल नीति खत्म होने के चलते एक दशक बाद पांचवीं और आठवीं में फेल हुए बच्चे
  • करीब 4 फीसदी बच्चे हुए फेल
  • जून महीने में दोबारा देनी होगी परीक्षा
  • 35 फीसदी अंक हासिल करना होगा जरूरी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। नो फेल नीति खत्म होने के बाद करीब चार फीसदी पांचवीं और आठवीं के विद्यार्थी फाइनल परीक्षा पास नहीं कर पाए हैं। इन विद्यार्थियों को तैयारी के लिए दो महीने का समय दिया गया है। जून महीने में उन्हें दोबारा परीक्षा देनी है। अगर इस परीक्षा में विद्यार्थी 35 फीसदी अंक हासिल करने में कामयाब रहा तो उसे अगली कक्षा में पढ़ने का मौका मिलेगा नहीं तो उसे दोबारा उसी कक्षा में बैठना होगा। राज्य के मुख्याध्यापक संघ के प्रवक्ता महेंद्र गणपुले ने बताया कि नतीजों के बाद मुख्याध्यापकों ने इसे लेकर बैठक की। हमने पाया कि शहरी इलाकों में स्थित स्कूलों में करीब 5 फीसदी जबकि ग्रामीण इलाकों में स्थित स्कूलों में 3 से 4 फीसदी बच्चे असफल हुए हैं। इन बच्चों की अगले महीने दोबारा परीक्षा ली जाएगी।

हमने तय किया है कि हम विद्यार्थियों को पूरी मदद और मार्गदर्शन देंगे जिससे वे पास हो सकें। बोरिवली स्थित शेठ दौलतराम मोहनदास हाईस्कूल के मुख्याध्यापक अमर प्रसाद यादव ने कहा कि वार्षिक परीक्षा के दौरान कुछ विद्यार्थी फेल हुए हैं लेकिन हम उन्हें पूरी मदद कर रहे हैं जिससे जून महीने में होने वाली परीक्षा में वे अच्छे अंक हासिल कर सके। यादव ने कहा कि नो फेल नीति के चलते कुछ विद्यार्थी पढ़ाई में लापरवाही दिखाते थे। इस बदलाव के बाद उन विद्यार्थियों पर हम पहले से ध्यान दे सकेंगे। यह बदलाव और पहले कर दिया गया होता तो बेहतर होता क्योंकि इससे शिक्षा व्यवस्था को नुकसान हुआ है। मौजूदा व्यवस्था के तहत सभी विषयों में विद्यार्थियों को 35 फीसदी अंक हासिल करना जरूरी होता है लेकिन उसे तीन विषयों में फेल होने पर अधिकतम 10 नंबर तक ग्रेस मार्क के तौर पर दिए जा सकते हैं।

क्या है नो फेल नीति : राज्य में अप्रैल 2010 से नो फेल नीति लागू की गई थी जिसके तहत आठवीं कक्षा तक किसी बच्चे को फेल नहीं किया जा सकता था। दरअसल सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती थी कि 14 साल की उम्र तक हर विद्यार्थी स्कूल जाए। विद्यार्थी के फेल होने पर उसके स्कूल छोड़ने का खतरा रहता था। इसी के चलते विद्यार्थियों को फेल न करने की नीति बनाई गई लेकिन इसके चलते कुछ विद्यार्थियों ने पढ़ाई में लापरवाही बरतनी शुरू कर दी। इसके बाद राज्य सरकार ने इस साल से पांचवीं और आठवीं कक्षा के लिए यह नीति बदल दी।

Created On :   4 May 2024 7:32 PM IST

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