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शिक्षक का सम्मान: शिक्षकों में नहीं रही आदर्श पुरस्कार की रूचि, विभाग की नीति से मोहभंग
- चयन के लिए सिफारिश की परंपरा से शिक्षकों में हिचक
- साल-दर-साल घट रहे शिक्षकों के प्रस्ताव
- किसी समय में इस सम्मान को पाने रहती थी होड़
डिजिटल डेस्क, नागपुर। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन 5 सितंबर शिक्षक दिन के रूप में मनाया जाता है। शिक्षक दिवस का औचित्य साधकर जिला परिषद शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देनेवाले शिक्षकों के आदर्श शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित करती है। प्राथमिक विभाग में जिले की 13 तहसील से प्रत्येकी एक, माध्यमिक विभाग से जिले के 2 और विशेष प्रवर्ग से जिले में एक शिक्षक को आदर्श शिक्षक पुरस्कार से नवाजा जाता है। सिफारिश से आदर्श शिक्षक का चयन की परंपरा के चलते शिक्षकों में आदर्श पुरस्कार को लेकर रूचि नहीं रही। शिक्षक के काम से ज्यादा सिफारिश को महत्व दिए जाने से पुरस्कार के लिए पात्र शिक्षक प्रस्ताव भेजने के लिए हिचक रहे हैं।
2 तहसील से प्रत्येकी एक प्रस्ताव
तहसील से एक शिक्षक का आदर्श शिक्षक पुरस्कार के लिए चयन किया जाता है। जिले की 13 तहसील से प्रत्येकी एक शिक्षक को पुरस्कार दिया जाना है। जिलेभर से 30 शिक्षकों के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। उसमें भी 2 तहसील से प्रत्येकी एक ही प्रस्ताव प्राप्त होने की जानकारी हाथ लगी है। वहीं माध्यमिक विभाग के 2 पुरस्कार के लिए मात्र 2 प्रस्ताव मिले हैं। आदर्श शिक्षक पुरस्कार के लिए साल-दर-साल घट रहे प्रस्ताव शिक्षकों में आदर्श पुरस्कार के प्रति रूची कम होने का प्रमाण है।
जिप अध्यक्ष की कमेटी लगाएगी अंतिम मुहर
जिला परिषद अध्यक्ष की अध्यक्षता में गठित कमेटी आदर्श शिक्षकों के अंतिम चयन पर मुहर लगाएगी। उसे विभागीय आयुक्त की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। प्राथमिक विभाग के हर तहसील से एक और माध्यमिक विभाग से जिले में 2 तथा विशेष प्रवर्ग से एक शिक्षक का आदर्श शिक्षक पुरस्कार के लिए चयन किया जाएगा। आदर्श शिक्षकों को सम्मानचिह्न, प्रमाणपत्र और 500 रुपए नगद पुरस्कार दिया जाएगा। आदर्श पुरस्कार के लिए पात्र शिक्षकों को नजरअंदाज कर सिफारिश को महत्व देकर पुरस्कार के लिए चयन की परंपरा शुरू होने से शिक्षकों में आदर्श पुरस्कार के प्रति शिक्षकों में रूचि नहीं रही।
Created On :   24 Aug 2024 8:19 PM IST