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नागपुर: चोरी के वाहनों के रजिस्ट्रेशन मामले में आरटीओ और पुलिस हो गए आमने-सामने
- 3 अधिकारियों को रेगुलर, तो 3 को अग्रिम जमानत
- चोरी के वाहनों के रजिस्ट्रेशन का मामला
डिजिटल डेस्क, नागपुर. नागपुर-अमरावती आरटीओ में बड़े पैमाने पर चोरी के वाहन रजिस्टर्ड किए गए। इसके लिए हर वाहन से 2-2 लाख रुपए वसूले। अधिकारियों और एजेंटों की मिलीभगत से एक बड़ा रैकेट चल रहा था। चोरी के हजारों वाहनों का रजिस्ट्रेशन पिछले कुछ सालों में हुआ। यह करीब करोड़ों का घोटाला है। अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, असम, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से चोरी के वाहनों का रजिस्ट्रेशन दोनों आरटीओ में हुआ है। ऐसे वाहनों की सबसे ज्यादा संख्या नागपुर आरटीओ में है। यह घोटाला सालों से चल रहा था, मगर अधिकारियों की मिलीभगत से हमेशा यह दबता रहा।
गिरफ्तारी से बचने अधिकारी कोर्ट पहुंचे
मुंबई पुलिस की एसआईटी ने इसे उजागर किया। पहले इस रैकेट के एजेंटों को पकड़ा गया, फिर पुख्ता सबूत मिलने के बाद अधिकारियों की धर-पकड़ शुरू हुई। नागपुर आरटीओ में तीन अधिकारियों की गिरफ्तारी की तैयारी थी, जिनके खिलाफ मिलीभगत के पुख्ता सबूत थे। अमरावती के तीन अधिकारियों को पकड़ने के बाद ही विभाग में हड़कंप मच गया। इसके बाद आनन-फनन में बचाव के तरीके खोजे गए। गिरफ्तारी से बचने के लिए कुछ अधिकारी कोर्ट पहुंचे तो कुछ ने पुलिस विभाग और अन्य विभागाें में शिकायतें की। पूरे मामले में बचने के लिए कोर्ट, पुलिस और आरटीओ के वरिष्ठ अफसरों के बीच कई तरह के तर्क-वितर्क हुए। दैनिक भास्कर ने एक-एक तर्क पर दोनाें ही विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों से बात की। अधिकांश विषयों पर वे खुलकर बोले तो कुछ विषयों पर अनौपचारिक बात की।
एक-दूसरे को कठघरे में खड़ा करने वाले तर्क
आरटीओ : दूसरे राज्यों से चाेरी के वाहन हैं, यह हमें पता ही नहीं चला, गाड़ियों के दस्तावेजों के आधार पर, रजिस्ट्रेशन कर दिया। इसमें हम दोषी नहीं हैं।
पुलिस: एजेंटों ने स्वीकार किया कि चोरी के वाहनों का रजिस्ट्रेशन करने के लिए अधिकारियों ने एक मोटी रकम ली (हर वाहन से दो-दो लाख रुपए) ऐसे में वह अनजान थे, यह नहीं कहा जा सकता।
आरटीओ : वाहनों की एनओसी थी, जिसके आधार पर भी रजिस्ट्रेशन किए। वह फर्जी थी या दूसरे राज्यों ने आरटीओ विभाग ने गलत तरीके से जारी की तो हम क्या कर सकते हैं, उन्हें देखकर ही दिया है।
पुलिस : वाहनों की एनओसी फर्जी है या नहीं है, यह देखने का एक सिस्टम है, जिसकी अनदेखी की गई। विभाग ऐसे वाहनाें का निरीक्षण भी करता है, जिसमें चेसिस नंबर और इंजन नंबर को मिलाया जाता है। अधिकांश चोरी के वाहनों में यह नहीं किया गया, या इसकी छूट दी गई।
आरटीओ : पुलिस को गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं है, उन्हें पहले आरटीओ के वरिष्ठ अधिकारियों से अनुमति लेना चाहिए थी, जो नहीं ली।
पुलिस : अपराध करने वालों के साथ नियमानुसार जो कार्रवाई होती है वही हुई, इसमें किसी भी छूट देने या विशेष दर्जा देने का नियम नहीं है। जब खुलेआम अधिकारी इस रैकेट में शामिल हैं, उनके खिलाफ सबूत हैं, तभी गिरफ्तारी का कदम उठाया गया।
आरटीओ : यदि कोई एजेंट या बाहरी लोग इसमें शमिल हैं, तो उन्हें पुलिस को गिरफ्तार करना चाहिए, अधिकारी तो खुद पीड़ित हैं।
पुलिस : हमारे पास सबूत हैं कि अधिकारियों और विभाग के स्टॉफ की मिलीभगत से पूरा रैकेट काम कर रहा था। अब वह पीड़ित कैसे बन गए। इस काम को करने के लिए करोड़ों की रकम ली और उसके बदले नियमों की अनदेखी की। अब वह पीड़ित कैसे हो गए।
जो वाहन रजिस्टर्ड हुए उनकी एनओसी थी, अधिकारी दोषी नहीं हैं
राजाभाऊ गीते, आरटीओ, नागपुर के मुताबिक आरटीओं में जो चोरी के वाहन रजिस्टर्ड हुए हैं, उनकी एनओसी थी, जिसके आधार पर उनका रजिस्ट्रेशन हुआ है। यदि वह फर्जी थे या संबंधित राज्यों ने गलत तरीके से जारी किए हैं तो उन पर कार्रवाई करें, हमारे अधिकारी उसके लिए जिम्मेदार नहीं है। विभाग अपने स्तर पर भी इसकी जांच कर रहा है। पुलिस की गिरफ्तारी ही गलत है।
हम अपनी जांच कर रहे हैं, किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा
अमित काले, डीसीपी मुंबई के मुताबिक हमारी जांच जारी है। हम पुख्ता सबूतों के आधार पर ही नियमानुसार कार्रवाई कर रहे हैं। जो गिरफ्तारी हुई हैं वह भी और आगे जो होंगी वह भी। जिन लोगों ने अग्रिम जमानत ली है, हम उनके खिलाफ कोर्ट में अगली कार्रवाई कर रहे हैं। इस रैकेट में शामिल किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।
3 अधिकारियों को रेगुलर, तो 3 को अग्रिम जमानत
इस घोटाले में अमरावती आरटीओ से गिरफ्तार सहायक आरटीओ सिद्धार्थ ठोके, सहायक निरीक्षक गणेश वरुठे और भाग्यश्री पाटील को 11 दिन की जेल के बाद जमानत मिली है। घोटाले में नाम आने पर नागपुर आरटीओ में एआरटीओ राजेश सरक, पूर्व एआरटीओ शांताराम फासे, मोटर निरीक्षक उदय पाटिल ने गिरफ्तारी से बचने अग्रिम जमानत ली है।
Created On :   13 May 2024 7:17 PM IST