दवा प्रतिरोधी टीबी के इलाज में नई उपचार प्रणाली करें लागू, इलाज से थक चुके मरीजों ने दायर की ऑनलाइन पिटीशन

दवा प्रतिरोधी टीबी के इलाज में नई उपचार प्रणाली करें लागू, इलाज से थक चुके मरीजों ने दायर की ऑनलाइन पिटीशन
  • नई उपचार प्रणाली लागू करने की मांग
  • इलाज से थक चुके मरीजों की गुहार
  • 100 से अधिक मरीजों ने किए हस्ताक्षर
  • 11 हजार मरीज हैं एमडीआर टीबी के प्रदेश में
  • 18-24 महीने से घटाकर 06 महीने में हो सकेगा उपचार

डिजिटल डेस्क, मुंबई, मोफीद खान । देश को वर्ष 2025 तक टीबी बीमारी से मुक्त करने का लक्ष्य केंद्र सरकार ने रखा है। इसी लक्ष्य के बीच दवा प्रतिरोधी टीबी मरीजों ने ऑनलाइन पिटीशन शुरु किया है। यह पिटीशन दवा प्रतिरोधी टीबी के इलाज में नई उपचार प्रणाली लागू करने के लिए दायर की गई है। इस नई उपचार प्रणाली की घोषणा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने की थी, लेकिन भारत में अभी यह लागू नहीं की गई है। अन्य देशों ने इस उपचार प्रणाली को अपना लिया है। महज दो दिन में 100 से अधिक टीबी मरीजों ने इस पिटीशन को साइन किया है।

डब्ल्यूएचओ ने बहु-दवा प्रतिरोधी टीबी (एमडीआर-टीबी) के उपचार के समय को 24 या 18 महीने से घटाकर छह महीने करने की घोषणा की थी। इस उपचार प्रणाली को बीपीएएलएम कहा जाता है और इसमें चार एंटीबायोटिक्स- बेडैक्विलाइन, प्रीटोमेनिड, लाइनज़ोलिड और मोक्सीफ्लोक्सासिन को शामिल किया गया है। चार दवाओं के मिश्रण के उपयोग से एमडीआर और एक्सडीआर टीबी मरीजों का इलाज दो वर्षों की बजाय छह महीने में संभव है, लेकिन डब्ल्यूएचओ की घोषणा के बाद भी इसे देश में लागू नहीं किया जा रहा है।


इलाज में एक फेफड़ा खोया है, अपनों ने भी साथ छोड़ा

इसी उपचार प्रणाली को लागू करने के लिए टीबी बीमारी से जूझ रही एक महिला मीरा ने ऑनलाइन पिटीशन दायर किया है। महिला ने यह पिटीशन टीबी से पीड़ित लोगों का समर्थन करने वाले समुदायों के बैनर तले किया है। पिटीशन में महिला ने इस बीमारी से जूझते हुए अपनी दर्दभरी कहानी भी साझा की। महिला ने बताया कि उन्होंने इस बीमारी से लगभग छह वर्षों तक जंग लड़ी। इस जंग में मीरा ने न सिर्फ अपना एक फेफड़ा खोया है, बल्कि इलाज के दौरान उसके अपनों ने भी साथ छोड़ दिया है।

नई प्रणाली का 93 फीसदी मरीजों पर सकारात्मक असर

टीबी मरीजों के हित में काम करने वाले कार्यकर्ता गणेश आचार्य ने बताया कि नई उपचार प्रणाली को लेकर देश में विगत एक वर्षों से ट्रायल चल रहा है, जबकि दक्षिण अफ्रीका ने इसे लागू तक कर दिया है। 93 फीसदी मरीजों में इसका सकारात्मक असर भी दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना के समय सरकार ने कोविड वैक्सीन को बिना ट्रायल के ही इसे इमेरजेंसी इस्तेमाल के लिए अनुमति दे दी थी, लेकिन टीबी बीमारी के मामले में सरकार जल्द फैसला नहीं ले पाती है। अगर सरकार का यही रवैया रहा तो वर्ष 2025 तक देश को टीबी बीमारी से कैसे मुक्त किया जा सकेगा।


400 लोगों पर हुआ ट्रायल

वर्तमान में प्रदेश में दवा प्रतिरोधी टीबी के 11 हजार मरीज हैं। इस नई उपचार प्रणाली का ट्रायल देश में 400 प्री-एक्सडीआर मरीजों पर किया गया, जिसमें 94 मुंबई के मरीज शामिल हैं। इस ट्रायल का परिणाम जनवरी में घोषित किया जाना था, लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं आया है। मुंबई में बीपीएएल अध्ययन के मुख्य जांचकर्ता डॉ. विकास ओसवाल ने कहा कि प्री-एक्सडीआर वाले 94 रोगियों ने इलाज पूरा कर लिया है। चूंकि यह एक ट्रायल है, इसलिए वे इस संबंध में अधिक जानकारी नहीं दे सकते हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय कर रहा विचार

मुंबई मनपा के स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक नेशनल टीबी एलिमिनेशन प्रोग्राम (एनटीईपी) की कोर कमेटी ने मार्च में स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय और ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को अनुमोदन और कार्यान्वयन के लिए नए उपचार दिशा निर्देश प्रस्तुत किए हैं। नई गाइडलाइन पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय विचार कर रहा है।

Created On :   12 Jun 2023 7:27 PM IST

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