नागपुर: विधायक निवास में ठहरे थे 55 विधायक, अब केवल 15

विधायक निवास में ठहरे थे 55 विधायक, अब केवल 15
  • शनिवार, रविवार शीत सत्र नहीं होने से विधायक गए बाहर
  • घास-फूस की छंटाई के दौरान पाइपलाइन हुई डैमेज
  • छह दिन बाद पहुंचा सुयोग में रहनेवाले परिवारों के लिए पानी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विधायकों के लिए विधायक निवास को दुल्हन की तरह चमकाया गया, लेकिन शीत सत्र के लिए नागपुर आए लगभग 55 विधायक ही यहां ठहरे थे। शनिवार व रविवार शीत सत्र को अवकाश रहने से अधिकांश विधायक अपने घर या टूर पर चले गए हैं। शनिवार को विधायक निवास में 15 विधायक ही थे। हालांकि विधायकों के समर्थकों व कार्यकर्ताओं से विधायक निवास के कमरे खचाखच भरे हुए हैं। विधायक निवास पर पहला अधिकार विधायकों का है। विधायक व उसके पीए के लिए यहां कमरे आरक्षित होते हैं। एक विधायक दो कमरे ले सकता है। एक खुद के लिए व दूसरा पीए के लिए। शीत सत्र के लिए विधायक निवास के सभी 386 कमरे भरे हुए हैं। यहां विधायक कम आैर इनके समर्थक व कार्यकर्ता ही ज्यादा हैं। शीत सत्र के पहले दो दिन यहां पर लगभग 55 विधायकों ने रुकना जरूरी समझा। शुक्रवार रात को अधिकांश विधायक यहां से निकल गए। अब यहां केवल 15 विधायक ठहरे हुए हैं। अधिकांश विधायक अपने घर, क्षेत्र या घूमने गए हैं।

कुछ विधायक निवास में ही रहते हैं

कुछ विधायक ऐसे है, जो विधायक निवास में हर साल शीत सत्र के दौरान रहते हैं। जयंत पाटील, सुमनताई पाटील, सरोजताई अहिरे, कृष्णा गजबे नियमित रूप से विधायक निवास में ठहरते हैं। दो साल से मंदा म्हात्रे भी विधायक निवास में रह रही हैं। लोक नृत्य व नाटकों में शामिल होने गए विधायक : पूर्वी विदर्भ में कुछ जिले झाडी-पट्टी के नाम से प्रसिद्ध हैं। इन जिलों में फिलहाल लोक नृत्य, लोक कला व नाटकों के आयोजन हो रहे हैं। इन जिलों से संबंधित कुछ विधायक इन कार्यक्रमों में भाग लेने गए हुए हैं। इन विधायकों ने टूर पर जाने की बजाय नाटकों में शामिल होकर समर्थकों व कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ाने को प्राथमिकता दी है।

छह दिन बाद पहुंचा सुयोग में रहनेवाले परिवारों के लिए पानी

मंत्रियों व विधायकों की सेवा में तत्पर रहनेवाला लोक कर्म विभाग अपने ही कर्मचारियों की सेवा के लिए कितना तत्पर है, इसका अंदाजा सुयोग में रहनेवाले विभाग के कर्मचारियों की समस्या को देखकर लगाया जा सकता है। सुयोग में रहनेवाले कर्मचारियों के परिवार पिछले छह दिन से पानी के लिए तरह रहे थे। शनिवार को कुछ समय के लिए नल में पानी आया। नल में पानी नहीं आने की समस्या बताने के बावजूद विभाग के जिम्मेदारों ने इसे गंभीरता से नहीं लेने की चर्चा है।

शीत सत्र के दौरान सुयोग में बाहर से आनेवाले प्रतिनिधियों के रहने की विशेष व्यवस्था की जाती है। सुयोग परिसर के पिछले हिस्से में विभाग के कर्मचारी परिवार के साथ रहते हैं। पिछले छह दिन से नल से पानी नहीं आ रहा था। परिवार के सदस्य परिसर में स्थित पानी टंकी के पास से पानी ला रहे थे। घास-फूस की छंटाई व सफाई के दौरान पाइपलाइन डैमेज हुई। परिसर की देखभाल, दुरुस्ती की जिम्मेदारी शाखा अभियंता व कर्मचारियों पर होती है। परिसर में रहनेवालाें का दावा है कि संबंधित कर्मचारी को जानकारी दी। शाखा अभियंता राजेंद्र बारई से संपर्क करने की कोशिश की। कई बार फोन नहीं उठाया। एक बार शाखा अभियंता से बात भी हुई। शनिवार को नल से पानी आने पर महिला सदस्यों ने राहत की सांस ली। सुयोग परिसर में गटर के ढक्कनों की दुरुस्ती का काम शनिवार को भी जारी रहा। यहां एक दर्जन से ज्यादा गटर के ढक्कनों की दुरुस्ती की गई। विभाग नियोजन करता तो शीत सत्र के पहले भी यह काम हो सकता था। सुयोग सामने से तो साफ सुथरा है, लेकिन पिछले हिस्से में सफाई का अभाव नजर आता है।

Created On :   10 Dec 2023 4:22 PM IST

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