हड़ताल जारी: 15 हजार जांच का आंकड़ा घटकर हुआ 6 हजार, बाहरी स्वास्थ्यकर्मियों की सेवा से संतुष्ट नहीं मरीज

15 हजार जांच का आंकड़ा घटकर हुआ 6 हजार, बाहरी स्वास्थ्यकर्मियों की सेवा से संतुष्ट नहीं मरीज
  • टल रही सामान्य पूर्वनियोजित सर्जरियां
  • सेंट्रल मार्ड के निर्देश पर होगी हड़ताल खत्म
  • गरीब मरीजों के हो रहे हाल खराब

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोलकाता में महिला डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले को लेकर 13 अगस्त से देशभर में मार्ड के निवासी डॉक्टरों ने काम बंद हड़ताल शुरु कर दिया है। मेयो व मेडिकल के 1000 निवासी डॉक्टर्स, 276 इंटर्न्स व 200 सीनियर डॉक्टर आंदोलन में शामिल हुए हैं। डॉक्टरों ने सुरक्षा कानून लागू करने, पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने व कार्यस्थल पर डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम की मांग उठाई। वहीं सेंट्रल मार्ड को सरकार की तरफ से सकारात्मक पहल करने का कोई आश्वासन नहीं मिलने से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरु रखने की चेतावनी दी गई है। दूसरी तरफ सरकारी असपतालों की स्वास्थ्य सेवा चरमरा गई है। कामकाज प्रभावित हो चुका है।

टल रही सामान्य पूर्वनियोजित सर्जरियां

मेयो व मेडिकल में हर रोज विविध कारणों से अलग-अलग तरह की 15 हजार से अधिक जांच होती थी। अब यह आंकड़ा 6 हजार पर आ चुका है। सूत्रों ने बताया कि बीपीएमटी व नॉन क्लिनिकल स्टॉफ व कुछ पीएचसी के स्वास्थ्यकर्मियों की मदद ली जा रही है। बावजूद नियमित डॉक्टरों के नहीं होने का पूरा असर स्वास्थ्य सेवा पर पड़ चुका है। केवल आपात सेवा शुरु है। ओपीडी समेत अन्य सामान्य सेवा शुरु है, लेकिन वहां अनुभवी लोग नहीं होने से आनेवाले नये मरीजों व पुराने भर्ती मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है। किसी भी वार्ड में डॉक्टर नजर नहीं आ रहे है। पूर्वनियोजित सर्जरियां टाल दी गई है। उन मरीजों को 7 से 15 दिन बाद की तारीखें दी जा रही है।

सेंट्रल मार्ड के निर्देश पर होगी हड़ताल खत्म

हड़ताल को लेकर चिकित्सा शिक्षा विभाग के संचालक, सचिव, मंत्री आदि से चार बैठकें हो चुकी है, लेकिन सकारात्मक पहल करने का आश्वासन नहीं मिलने से हड़ताल जारी रखा है। सूत्रों ने बताया कि जब तक सेंट्रल मार्ड को ठोस आश्वासन नहीं मिलता तब तक हड़ताल शुरु ही रहेगी। सेंट्रल मार्ड का निर्देश आने पर ही हड़ताल खत्म की जाएगी। सरकार द्वारा डॉक्टरों के विषय को लेकर चुप्पी साधने का आरोप लगाया जा रहा है। इस विषय को लेकर ठोस कदम नहीं उठाने से मार्ड के निवासी डॉक्टरों का रोष बढ़ता जा रहा है।

गरीब मरीजों के हो रहे हाल खराब

डॉक्टरों की हड़ताल के कारण सरकारी अस्पतालाें में भर्ती मरीज बेहाल हो रहे हैं। उपराजधानी में पिछले कुछ दिनों से डेंगू, चिकनगुनिया समेत अन्य संक्रामक बीमारियों का प्रकोप शुरु है। ऐसे मरीजों को सरकारी अस्पतालों से राहत मिलती है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी के चलते लोग निजी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं। जो लोग संपन्न हैं, वे निजी अस्पतालों में जाकर उपचार करवा रहे हैं, जो लोग गरीब वर्ग से हैं, उनके लिए निजी अस्पताल जाकर खर्च कर पाना आसान नहीं है। ऐसे में वे उपचार के लिए कहां जाए, यह सवाल पैदा हो चुका है। सूत्रों के अनुसार एम्स के निवासी डॉक्टर्स भी आंदोलन में शामिल हुए हैं। यहां आपात सेवा शुरु है, लेकिन ओपीडी समेत अन्य सामान्य सेवाएं प्रभावित हो चुकी है।

Created On :   20 Aug 2024 8:11 PM IST

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