- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- गर्मी से तौबा - सरकारी अस्पतालों से...
गर्मी से तौबा - सरकारी अस्पतालों से गायब हैं ओआरएस, मरीज निजी मेडिकल दुकानों से खरीदने को मजबूर
- सरकारी अस्पतालों से गायब हैं ओआरएस
- प्रशासन हाफकीन इंस्टीट्यूट को जिम्मेदार ठहरा रहा
- मरीज निजी मेडिकल दुकानों से खरीदने को मजबूर
डिजिटल डेस्क, मुंबई, मोफीद खान। मुंबईकर इन दिनों भीषण गर्मी और भारी उमस से डिहाइड्रेशन के शिकार हो रहे हैं। वहीं मुंबई के सरकारी अस्पतालों से ओआरएस(ओरल रीहाइड्रेशन सल्यूशंस) गायब हैं। अस्पतालों में ‘ओआरएस' नहीं मिलने से मरीज अस्पताल के बाहर स्थित मेडिकल की दुकानों से खरीदने को मजबूर हैं। हालांकि इस कमी के लिए प्रशासन हाफकिन इंस्टीट्यूट को जिम्मेदार ठहरा रहा है।
डिहाइड्रेशन की शिकायतें
इस समय मुंबई में दिन का तापमान सामान्य से एक-दो डिग्री अधिक ही दर्ज किया जा रहा है। इसके साथ ही हवा में नमी अधिक होने से मुंबईकरों को गर्मी बेचैन कर रही है। इस भीषण गर्मी के चलते अस्पतालों की ओपीडी में मरीज डिहाइड्रेशन की शिकायतें लेकर आ रहे है। हालांकि डॉक्टर इन मरीजों को ओआरएस लेने की सलाह तो देते हैं, लेकिन अस्पतालों में ओआरएस उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।
दवाइयों की खरीददारी में हो रही देरी
मरीज राज्य सरकार द्वारा संचालित जे.जे. अस्पताल, जीटी, कामा और सेंटर जॉर्ज अस्पताल में ओआरएस नहीं मिलने की शिकायतें कर रहे है। मरीजों का कहना है कि अस्पताल में ओआरएस नहीं मिलने की वजह से इसे बाहर मेडिकल की दुकानों से खरीदना पड़ रहा है। अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि बीते कुछ महीनों से हाफकिन की ओर से दवाइयों की खरीददारी में हो रही देरी की वजह से अस्पताल में ओआरएस की आपूर्ति ठीक तरह से नहीं हो पा रही है। इसकी वजह से राज्य सरकार के कई अस्पतालों में ओआरएस की कमी पाई जा रही हैं।
ओआरएस की जरूरत क्यों
ओआरएस यानी ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्ट, जो इलेक्ट्रोलाइट्स और कार्बोहाइड्रेट के मिश्रण से तैयार किया जाता है और पानी में घोलकर ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन बनाया जाता है। इसमें सोडियम, पोटेशियम क्लोराइड, मैग्नीशियम क्लोराइड और सोडियम सिट्रेट जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स पाए जाते हैं। शरीर में तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी हो जाने पर शरीर बुरी तरह से डिहाइड्रेट हो सकता है और डिहाइड्रेशन जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसलिए डॉक्टर्स डिहाइड्रेशन से बचने और शरीर को रिहाइड्रेट करने के लिए ओआरएस पीने की सलाह देते है।
हीट स्ट्रोक के मामले पाए गए
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इस वर्ष हीट स्ट्रोक के 1500 से अधिक मामले पूरे प्रदेश में मिल चुके हैं। बीते वर्ष के मुकाबले इस वर्ष दोगुने मामले मिले है। बीते वर्ष हीट स्ट्रोक के 767 मामले मिले थे, और 31 लोगों की मौत हुई थी। इस वर्ष हीट स्ट्रोक से 12 लोगों की मौत हो चुकी है।
प्रशासन ध्यान दे रहा
डॉ. पल्लवी सापले, डीन-जेजे समूह अस्पताल के मुतााबिक आपूर्ति नियमित न होने से कई दवाइयां हम अपने स्तर पर खरीदते हैं। अन्य दवाइयों की तरह ओआरएस भी खरीदा जाता है। उन्होंने कहा कि मरीजों को ओआरएस की कमी न हो, इसका विशेष ध्यान अस्पताल प्रशासन रख रहा है।
Created On :   28 May 2023 12:45 AM IST