ये कैसा सौंदर्यीकरण: बेहद गंदा हुआ गुलौआताल का पानी, फव्वारों तक से आने लगी दुर्गंध

बेहद गंदा हुआ गुलौआताल का पानी, फव्वारों तक से आने लगी दुर्गंध
  • 9 करोड़ रुपए खर्च करके कराया गया था विकास
  • अब सिरदर्द बनीं अव्यवस्थाएँ, मूकदर्शक बने बैठे जिम्मेदार
  • चंद महीनों तक ही गुलौआताल की ओर ध्यान देने के बाद इसे भगवान भरोसे ही छोड़ दिया गया।

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। नगर निगम द्वारा करीब 7 वर्ष पूर्व जिस गुलौआताल का 9 करोड़ की लागत से सौंदर्यीकरण करवाया गया था, उसी के फव्वारे इन दिनों सड़ांध मारती बदबू फेंक रहे हैं।

काेरोना काल से लेकर अब तक यहाँ लगा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) खराब पड़ा हुआ है। इसी कारण तालाब का पानी साफ नहीं हो रहा है और पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने की वजह से मछलियों की जान भी जा रही है।

हालात ये हैं कि फव्वारों के पानी से आने वाली दुर्गंध के कारण आसपास खड़े होना भी मुश्किल है। इसके प्रदूषण की वजह से मॉर्निंग व इवनिंग वॉक के लिए आने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यह जानकर भी जिम्मेदार अनजान बने हुए हैं।

राशि खर्च की और मेंटेनेंस करना भूल गए

जानकारों की मानें तो करीब 7 वर्ष पूर्व 9 करोड़ की लागत से नगर निगम ने गुलौआताल का सौंदर्यीकरण निजी ठेकेदार के माध्यम से करवाया था। इस दौरान सर्वप्रथम तालाब का पानी खाली करवाकर यहाँ से निकली सिल्ट को संजीवनी नगर क्षेत्र में फिंकवाया गया था।

इसके बाद तालाब की सफाई करवाकर यहाँ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, 3 बड़े फव्वारे, रंगीन लाइटिंग, गार्डन, सामने की ओर कॉफी हॉउस एवं चौपाटी का निर्माण करवाने के अलावा बड़ी संख्या में रंगीन मछलियाँ भी डाली गई थीं।

लेकिन चंद महीनों तक ही गुलौआताल की ओर ध्यान देने के बाद इसे भगवान भरोसे ही छोड़ दिया गया।

कोरोना के समय से ही बंद है ट्रीटमेंट प्लांट

शहर में जब काेरोना संक्रमण काल चल रहा था उसी समय नगर निगम द्वारा यहाँ तैनात सुरक्षा गार्ड्स को अलग कर दिया गया। इसी का लाभ असामाजिक तत्वों ने उठाते हुए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में लगे पार्ट्स सहित कई अन्य उपकरणों को भी गायब कर दिया।

इसके उपरांत जब लॉकडाउन खत्म हो गया और लोगों ने गुलौआताल जाना शुरू किया तो नगर निगम एवं स्मार्ट सिटी के अधिकारियों तक अपनी शिकायत पहुँचाई।

तब जिम्मेदारों ने आश्वासन तो दिया लेकिन आज तक एसटीपी चालू नहीं किया गया और वर्तमान में भी यह बंद ही पड़ा हुआ है।

फव्वारा चालू होते ही साँस लेना हो रहा मुश्किल

स्थानीय नागरिकों ने बताया कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के बंद होने से कई महीनों तक यहाँ का पानी साफ तक नहीं हो पा रहा है। इसी कारण बड़ी संख्या में मछलियों के मरने के साथ ही गुलौआताल में लगे फव्वारे भी सड़ांध मारती बदबू ही फेंक रहे हैं।

रोजाना सुबह-शाम वॉकिंग करने के लिए आने वाले डॉ. हरिशंकर वर्मा, कमलेश तिवारी, विनोद वैद्य, राजकुमार त्रिपाठी एवं मनोहर ठाकुर आदि ने बताया कि पूरे क्षेत्र में सांस लेना मुश्किल हो रहा है।

पैसे देने पर भी सुविधाएँ नहीं

यहाँ आने वाले कुछ युवकों ने नाम न बताने की शर्त पर यह आरोप भी लगाया कि गुलौआताल में जब लोग अपने परिवार सहित आते हैं तब अंदर प्रवेश करने के लिए उनसे प्रति व्यक्ति के हिसाब से 15 रुपए की राशि ली जाती है।

लेकिन उक्त रकम देने के बाद भी सैलानियों को गंदा पानी, मरी हुई मछलियाँ, बदबू फेंकने वाले फव्वारे एवं सफाई नहीं होने से भारी मात्रा में कचरा ही पड़ा मिलता है। इस तरह नगर निगम की उपेक्षा से गुलौआताल अपनी दुर्दशा पर आँसू ही बहाता नजर आ रहा है।

इस संबंध में जब उद्यान अधिकारी आदित्य शुक्ला से कई बार बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।

Created On :   28 Feb 2024 12:50 PM GMT

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