आक्रोश: धनगर समाज का आदिवासियों में शामिल करने का बयान देकर अराजकता फैलाने का कार्य कर रहे जरांगे पाटील

धनगर समाज का आदिवासियों में शामिल करने का बयान देकर अराजकता फैलाने का कार्य कर रहे जरांगे पाटील
  • अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के पदाधिकारियों ने जताया रोष
  • आदिवासियों का दि लिफ्टिंग तत्काल रोकने की मांग
  • मूल अधिकारों से वंचित रखने का किया गया है प्रयास

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। केंद्र व राज्य सरकार की गलत नीतियों के कारण इन दिनों आदिवासियों के संवैधानिक हक और अधिकारों का हनन होने लगा है। वहीं मनोज जरांगे पाटील ने धनगर समाज का आदिवासियों में समावेश करने का बयान देकर राज्यभर में अराजकता फैलाने का कार्य किया है। भारतीय संविधान की धारा 341 और 342 के अनुसार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को संवैधानिक आरक्षण का अधिकार प्रदान किया गया है। इस अधिकार पर अतिक्रमण करने का प्रयास किया गया तो यह समाज कभी चुप नहीं बैठेगा। उक्ताशय की जानकारी गुरुवार, 1 फरवरी को आयोजित एक पत्र परिषद में अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के पदाधिकारियों ने दी। इस समय पदाधिकारियों ने जरांगे पाटील का तीखे शब्दों में निषेध भी व्यक्त किया।

अभाआविप के प्रदेश महासचिव केशव तिराणिक ने पत्रकारों को बताया कि, आदिवासी देश के मूल निवासी है। लेकिन अभी इसी मूल निवासी को उनके अधिकारों से वंचित रखने का प्रयास किया जा रहा है। दि लिफ्टिंग की प्रक्रिया को मान्यता देकर केंद्र व राज्य सरकार आदिवासियों के राजनैतिक, सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक अधिकारों का हनन कर रही है। इस कारण आदिवासियों का दि लिफ्टिंग तत्काल रोकने की आवश्यकता है। छत्तीसगढ़ राज्य में 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में हसदेव जंगल बसा हुआ है। इस जंगल की कटाई की रोककर यहां बसे आदिवासियों को सुरक्षा प्रदान करने की जरूरत है। इस जंगल कटाई के कारण आदिवासियों को विस्थापित होना पड़ रहा है। चामोर्शी तहसील के कोनसरी परिसर के हजारों किसानों से प्रशासन जबरन भूमि अधिग्रहण करने का प्रयास कर रही है। यह प्रक्रिया तत्काल रोकने की मांग भी इस समय तिराणिक ने की। वित्तीय रूप में धनगर समाज के नागरिक सधन है। बावजूद इसके इस समाज का आदिवासियों में समावेश करने की मांग जरांगे पाटील कर रहे हंै। इस तरह की मांग कर जरांगे पाटील राज्य में अराजकता फैलाने का कार्य कर रहे हैं।

केंद्र व राज्य सरकार के साथ जरांगे पाटील जैसे व्यक्तियों द्वारा आदिवासियों के अधिकारों का हनन करने का प्रयास किया गया तो आदिवासी समाज कभी चुप नहीं बैठेगा। ऐसी चेतावनी भी इस समय अभाआविप के पदाधिकारियों ने दी। परिषद में प्रदेश महासचिव डा. नामदेव किरसान, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष वर्षा आत्राम, प्रदेश महासचिव कुसूम आलाम, भैयाजी उईके, बाबूराव जुमनाके, प्रा. सुषमा राऊत, जनार्धन गेडाम, विट्‌ठल कोडाप, भैयाजी येरमे, गुलाबराव मडावी, विनोद मडावी समेत अन्य सदस्य उपस्थित थे।

Created On :   2 Feb 2024 4:17 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story