विरोध: 67 गांवों में पहुंचने के लिए सड़क ही नहीं, मतदान के लिए कैसे जाएं लोग कर रहे सवाल

67 गांवों में पहुंचने के लिए सड़क ही नहीं,  मतदान के लिए कैसे जाएं लोग कर रहे सवाल
  • मुख्य सड़क तक जाने के लिए पगडंडी का लेना पड़ रहा सहारा
  • 67 गांव के लोगों ने उठाया चुनाव पर सवाल
  • मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे लोग

मोहनिश चिपिये , गड़चिरोली । आदिवासी बहुल और राज्य में अत्याधिक पिछड़े गड़चिरोली जिले की तस्वीर अब तक बदल नहीं पायी है। बारिश के चार महीनों तक जिले के 223 गांवों का संपर्क पूरी दुनिया से कट जाता है। वहीं आजादी के 7 दशक बाद भी जिले के कुल 67 गांवों तक पहुंचने के लिए प्रशासन ने पक्की सड़क का निर्माणकार्य नहीं किया है। इन गांवों के आदिवासी नागरिक आज भी पगडंंडी से सफर कर मुख्य सड़क तक पहुंचते हैं। जरूरतमंद सामग्रियों के लिए भी इन लोगों को सदियों से तरसना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में आगामी 19 अप्रैल को संपन्न होने जा रहे गड़चिरोली-चिमूर संसदीय क्षेत्र के मतदान में संबंधित गांवों के नागरिक कैसे हिस्सा लेंगे? ऐसा सवाल अब पूछा जा रहा है। इनमें सर्वाधिक 28 गांव भामरागढ़ तहसील के होकर आरमोरी के 1, कोरची 7, कुरखेड़ा 1, धानोरा 14, गड़चिरोली 1, मुलचेरा 4, एटापल्ली 1, अहेरी 9 और सिरोंचा तहसील का एक गांव शामिल है।

बता दें कि, लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के ठीक दो दिन पूर्व जिलाधिकारी व जिला चुनाव अधिकारी रूप में संजय दैने ने अपना पदभार संभाला। पदभार संभालते ही संहिता लागू हो गयी अौर पूरा जिला चुनाव विभाग चुनावी कार्य में जुट गया। वर्तमान में यह विभाग पूरी तरह एक्शन मोड पर कार्य रहा है। जिले के लिए चुनाव निरीक्षक के रूप में नियुक्त वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अनिमेष कुमार पाराशर भी पिछले कुछ दिनों से गड़चिरोली में हैं। उन्होंने अब तक देसाईगंज, आरमोरी व गड़चिरोली जिले का दौरा किया है। लेकिन उनके द्वारा अब तक सुदूर इलाकों का दौरा नहीं किया गया। जिले में कई ऐसे हिस्से हैं जहां पहुंच पाना आज भी मुश्किल है। सरकार द्वारा आदिवासी बहुल गड़चिरोली जिले के विकास पर प्रति वर्ष करोड़ों रुपए की निधि खर्च की जाती है। लेकिन 67 गांवों में पहुंचने के लिए अब तक पक्की सड़क नहीं बनने से आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है।

उधर सदियों से बारिश का मौसम जिले के 223 गांवों के लिए अभिशाप बना हुआ है। बारिश के करीब 4 महीनों तक इन गांवों का संपर्क पूरी दुनियां से कटा रहता है। इन गांवों में कोरची तहसील के 5, धानोरा 30, गड़चिरोली 3, चामोर्शी 3, मुलचेरा 2, एटापल्ली 103, भामरागढ़ 45, अहेरी 114 और सिरोंचा तहसील के 25 गाव शामिल हैंै। इन गांवों में ऐसे भी कई गांव हैं जो बारिश के दिनों में टापू में तब्दील हो जाते हंै। ऐसी स्थिति में बुनियादी सुविधाओं से वंचित उक्त गांवों के लोगों को मतदान के लिए प्रेरित करना और उन्हें मतदान केंद्र तक पहुंचाना प्रशासन के लिए काफी मशक्कत भरा काम होगा। भामरागढ़ तहसील के 28 गांव ऐसे हैं, जहां नक्सलियों की गतिविधियां आज भी जारी है। इन गांवों में भी मतदान का प्रतिशत बढ़ाना जिला चुनाव विभाग और पुलिस प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर साबित हाे सकता है।

Created On :   5 April 2024 5:55 PM IST

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