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आम नहीं खास: गड़चिरोली का कलेक्टर हुआ पुराना, लो अब तो बढ़ने लगी है बेवकूफ की दीवानगी
- रसेल, क्लासेन, जिम्बाब्वे और पोलार्ड का भी क्रेज
- सिरोंचा में आम की 20 से अधिक प्रजातियां
- आम नहीं बेहद खास हैं ये आम
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली, रूपराज वाकोड़े। शीर्षक पढ़कर आश्चर्य करने वाली कोई बात नहीं है। गड़चिरोली का कलेक्टर अब वाकई में पुराना हो गया है। अब उसकी जगह रसेल, क्लासेन, जिम्बाब्वे और पोलार्ड का क्रेज बढ़ने लगा है। साथ ही सिरोंचा तहसील में आम की प्रजातियां काफी अधिक मात्रा में उपलब्ध है। जिसे चखने के लिए बड़ी संख्या में लोग सिरोंचा पहुंच रहे हैं। आम की इन प्रजातियों में एक आम ऐसा है, जिसका नाम ‘बेवकूफ’ रखा गया है। दिखने के लिए यह आम आड़ा-तेड़ा होने के कारण इसे बेवकूफ नाम दिया गया है। लेकिन खाने के लिए यह काफी मीठा और रसीला होने के कारण इस बेवकूफ की दिवानगी भी अब बढ़ने लगी है।
बता देेें कि कलेक्टर कोई आईएएस अधिकारी न होकर आम की एक प्रजाति है। ग्रीष्मकाल शुरू हाेते ही लोग कलेक्टर आम को खाने के लिए सिरोंचा पहुंचना पसंद करते थे। आज भी यह आम बड़ी संख्या में बिक रहा है। लेकिन कलेक्टर के साथ अब अन्य प्रजाति के आम को चखने के लिए लोग सिरोंचा की ओर खींचेे चले आ रहे हैं। पहाड़, नदी और प्रचुर मात्रा में पर्यटन स्थल मौजूद होने के कारण गर्मी के दिन शुरू होते ही सिरोंचा में पर्यटकों का ताता लगा रहता है। इन दिनों क्षेत्र में पहुंच रहे पर्यटक अब विभिन्न प्रजाति के आम का लूत्फ भी उठा रहे हैं।
बता दें कि, तेलंगाना राज्य की सीमा से सटी सिरोंचा तहसील पूरी तरह नदियों से घिरी हुई है। प्राणहिता, गोदावरी नदियों के कारण सिरोंचा को अलग ही पहचान मिली है। इस तहसील में पर्यटन स्थलों की भी कोई कमी नहीं है। ब्रिटिशकाल के दौरान सिरोंचा का समावेश तत्कालीन गोदावरी जिले में था। इस जिले के जिलाधिकारी ग्लासफोर्ड ने अपने कार्यकाल के दौरान आम के एक प्रजाति के पौधे का रोपण किया था। यह आम काफी बड़ा होकर इसे कलेक्टर का नाम दिया गया। तभी से सिरोंचा का कलेक्टर समूचे राज्य में प्रसिद्ध हुआ। आज भी कलेक्टर के प्रजाति का आम बड़ी मात्रा में बेचा जा रहा है। लेकिन इस आम के साथ अब अन्य आम की मांग भी बढ़ने लगी है।
तहसील मुख्यालय और ग्रामीण क्षेत्र के गांवों में आम के अमराई काफी मात्रा में मौजूद है। इन अमराई में कलेक्टर के साथ अब विभिन्न प्रजाति के आम उपलब्ध होने लगे हैं जिसमें जिम्बाब्वे, क्लासेन, दरोगा, रसुल (चरगु), मालगोबा, सरपंच, तेनारसालु, सीता का पति, आबा पाटील, इमान पसंद, लालबाग, शक्कर खिलालु, कोराटो समेत अन्य प्रजाति के आम शामिल हैं। इन सभी प्रजाति में से क्लासेन नामक आम काफी स्वादिष्ट और रसीला होने के कारण इसकी मांग अब बढ़ने लगी है। दर्जनों की संख्या में आम की प्रजातियां उपलब्ध होने से इन दिनों अमराई चलाने वाले किसानों को भी काफी लाभ मिल रहा है
अन्य राज्यों में भी भेजा जाता है सिरोंचा का आम
संतोष पोतला, अमराई संचालक सिरोंचा के मुताबिक हर वर्ष ग्रीष्मकाल के दौरान अमराई से आम का उत्पादन लिया जा रहा है। इस वर्ष अच्छा मौसम होने के कारण आम का उत्पादन अधिक है। अमराई में 25 से अधिक आम की प्रजातियां हाेकर यह आम सिरोंचा के सथ गड़चिरोली, चंद्रपुर, मुंबई, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्य भी पहुंचाया जा रहा है। पूरा परिवार ग्रीष्मकाल के 4 महीनों तक अमराई में रहकर यह कार्य करता है।
Created On :   19 May 2024 9:38 PM IST