कांग्रेस को रास नहीं आ रहा ‘एक बनाम एक’ फार्मूला

आसान नहीं है विपक्षी एकजुटता की डगर

अजीत कुमार, नई दिल्ली । 2024 के आम चुनाव में भाजपा के विरूद्ध प्रभावी जंग लड़ने की बात कर रहीं विपक्षी पार्टियों की आगे की राह आसान नहीं दिख रही। पटना महाबैठक के बाद आम आदमी पार्टी (आप) ‘दिल्ली अध्यादेश’ के बहाने विपक्षी एकजुटता से किनारा करती दिख रही है तो वहीं आप सहित दूसरी क्षेत्रीय पार्टियां चाहती हैं कि कांग्रेस उनके लिए अपने हिस्से की सीटें ‘कुर्बान’ करे। लेकिन कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं है। ऐसे में विपक्षी एकता की मुहिम को झटका लगने की संभावना है।

विपक्षी एकता के सूत्रधार बने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा के खिलाफ संयुक्त विपक्ष का एक उम्मीदवार उतारने का फार्मूला दिया है। यह फार्मूला जितना आकर्षक है, इसे जमीन पर उतारना उतना ही कठिन है। ‘एक बनाम एक’ के फार्मूले पर क्षेत्रीय पार्टियां तो लगभग सहमत हैं, लेकिन कांग्रेस को इसमें खामी नजर आ रही है। दरअसल क्षेत्रीय पार्टियां चाहती हैं कि कांग्रेस उनके लिए अपनी सीटें छोड़े। लेकिन कर्नाटक चुनाव में जीत से उत्साहित कांग्रेस खुद को विपक्ष का सबसे बड़ा झंडाबरदार मान रही है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि ‘एक बनाम एक’ फार्मूला आखिरकार कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाएगी। ऐसे में हमें अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी क्यों मारना चाहिए?

‘एक बनाम एक’ फार्मूला सबके हित में : त्यागी : हालांकि जदयू के वरिष्ठ नेता के सी त्यागी कहते हैं कि इस फार्मूले के आगे बढ़ने में कोई अड़चन नहीं है। वे पूछते हैं कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, आन्ध्रप्रदेश जैसे राज्यों में कांग्रेस से कहां सीटें मांगी जा रही है? दरअसल आम आदमी पार्टी कांग्रेस से दिल्ली और पंजाब छोड़ने को कह रही है तो तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में नाममात्र की सीट कांग्रेस काे देना चाहती है। इसी प्रकार उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी कुल 80 लोस सीटों में से बमुश्किल 4 सीट कांग्रेस को देने के मूड में है।

महाराष्ट्र-बिहार में भी आएगी मुश्किल : महाराष्ट्र और बिहार में भी क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस से ‘त्याग’ की उम्मीद रखती हैं। महाराष्ट्र में अब तक कांग्रेस और राकांपा मिलकर चुनाव लड़ती रही हैं। लेकिन अब शिवसेना (उद्धव गुट) के साथ आने के बाद कांग्रेस को भी अपनी सीटें छोड़नी पड़ेगी। इसी प्रकार बिहार में आधा दर्जन पार्टियों को मिलकर भाजपा से मुकाबला करना है। बिहार में राजद और जदयू को लोकसभा की ज्यादा सीटें मिलनी तय है। ऐसे में कांग्रेस, भाकपा, माकपा और भाकपा (माले) के खाते में कितनी सीटें आती हैं, देखना दिलचस्प रहेगा। सूत्रों की मानें तो राजद नेता तेजस्वी यादव कांग्रेस को दो सीट से ज्यादा देने के इच्छुक नहीं हैं। ऐसे में ‘एक बनाम एक’ फार्मूले पर कांग्रेस को राजी करने की कोशिश जारी है।

Created On :   25 Jun 2023 2:33 PM IST

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