Shahdol News: 90 करोड़ का बिजली बिल बकाया, वसूली के लिए सरकार ने लिखी कलेक्टर को चिट्ठी, अपर मुख्य सचिव के पत्र के बाद कलेक्टर ने लगाई जिला पंचायत सीईओ, एसडीएम व अन्य अधिकारियों की ड्यूटी

  • शहडोल जिले में 90 करोड़ का बिजली बिल बकाया
  • वसूली के लिए सरकार ने लिखी कलेक्टर को चिट्ठी
  • अपर मुख्य सचिव का पत्र मिलते ही कलेक्टर ने लिया एक्शन

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-20 17:46 GMT

Shahdol News: प्रदेश सरकार द्वारा बिजली में सब्सिडी से जुड़ी लोकलुभावन योजनाओं के बीच गैर छूट वाले उपभोक्ताओं पर जिले में बकाया 90 करोड़ रुपए का बिल सरकार के लिए बड़ी समस्या बन गई है। अपर मुख्य सचिव ने कलेक्टर को पत्र लिखकर बकाया बिजली बिल वसूली में सहयोग करने की बात कही है। इसके बाद कलेक्टर डॉ. केदार सिंह ने सीईओ जिला पंचायत, सभी एसडीएम, प्रबंधक अग्रणी बैंक, उप संचालक मंडी बोर्ड तथा सभी कार्यालय प्रमुखों को चि_ी लिखकर उन उपभोक्ताओं की पहचान करने कहा है कि जिनके द्वारा जानबूझकर बिजली बिल जमा नहीं किया जा रहा है। ऐसे उपभोक्ताओं की केवायसी होगी, बैंक द्वारा उपभोक्ताओं व परिजनों के खातों की जानकारी बिजली विभाग को दी जाएगी। जिससे बकाया बिजली बिल की वसूली की जा सके। बिल वसूली के दौरान विद्युत कर्मियों से अभद्रता करने वालों पर वैधानिक कार्रवाई होगी। आम्र्स लाइसेंस के लिए बिजली विभाग की एनओसी भी अनिवार्य होगी।

सरकारी योजनाओं में 201 करोड़ की बिजली मुफ्त बांटी

मध्यप्रदेश शासन द्वारा बिजली से संबंधित चलाई जा रहीं सब्सिडी वाली योजनाओं में जिले में एक वर्ष में 201 करोड़ रुपए की बिजली मुफ्त में बांट दी गई। इसमें ऊर्जा विभाग की अटल गृह ज्योति योजना में 1.61 लाख से अधिक घरेलू उपभोक्ताओं को प्रति वर्ष 38 करोड़ रुपए के विद्युत देयकों में छूट दी जा रही है। अटल कृषि ज्योति योजना में 16500 से अधिक कृषक उपभोक्ताओं को भी 38 करोड़ की छूट दी जा रही है। इसके अतिरिक्त नि:शुल्क विद्युत प्रदाय योजना के अंतर्गत 17 हजार से अधिक अजा, अजजा कनेक्शनधारी कृषि उपभोक्ताओं को हर साल 76 करोड़ की सब्सिडी प्रदान की जा रही है। कुल मिलाकर वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1.95 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को 201 करोड़ रुपए की छूट प्रदान की गई है। इस प्रकार विद्युत विभाग द्वारा 6.90 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली दी जा रही है लेकिन राजस्व की प्राप्ति महज 3.66 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से ही हो पा रही है।

बड़े बकाएदारों में सरकारी विभाग भी

3 करोड़ रूपए से ज्यादा जनजातीय कार्य विभाग पर बकाया।

3 करोड़ रूपए कृषि विभाग व अन्य पर, पीएचई की योजनाओं पर डेढ़ करोड़ रूपए बकाया।

साढ़े 3 करोड़ रूपए से ज्यादा उद्योग व बड़े शोरूम, होटल व लॉज पर कुल बकाया 5 करोड़ रूपए से ज्यादा है।

वसूली में आती हैं ऐसी दिक्कतें

बकाया बिलों की वसूली में विभाग को अनेक तरह की परेशानियों से जूझना पड़ता है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि सबसे अधिक बकाया ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, जहां केबिलीकरण नहीं होने के कारण बकायादारों के कनेक्शन काटने के बाद फिर से जोड़ लिया जाता है। ट्रांसफार्मर बंद किए जाने पर विरोध से लेकर राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ता है।

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