सतना: कबाड़ से जुगाड़ कर गुदड़ी के लाल ने बनाई ई-बाइक

  • पहली ई-साइकल चोरी चली गई और दूसरी 17 हजार रुपए में बिक गई
  • स्कूल में नियमित पढ़ाई के लिए विशेष अनुमति दिला दी
  • ऐसे टू और फोर व्हीलर बनाना चाहता है जिनमें न बैटरी लगे और न ही फ्यूल

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-29 12:17 GMT

डिजिटल डेस्क,सतना। महज 16 साल के गुदड़ी के लाल अंकित निषाद ने कमाल कर दिया। कबाड़ के जुगाड़ से उसने एक ऐसी ई-बाइक तैयार की है जो 48 वोल्ट की बैटरी पर है और एक चार्जिंग से तकरीबन 70 किलोमीटर चलती है।

दसवीं क्लास का मेधावी विद्यार्थी अंकित इससे पहले 3 ई-साइकल भी बना चुका है। ई-बाइक के लिए उसने कबाड़ में कटी किसी बाइक से हैंडल - स्टैंड तो किसी अन्य बाइक के शॉकप खरीदे। लगभग 5 फीट लंबे और 6 इंच डाया के एक पाइप का उपयोग करते हुए यह बाइक बनाई। पाइप के अगले हिस्से में हैड लाइट भी जुगाड़ से ही लगाई।

लागत आई 25 हजार 

अंकित ने बताया कि इससे पहले उसने दो ई-साइकल बनाई थी। पहली ई-साइकल चोरी चली गई और दूसरी 17 हजार रुपए में बिक गई। पैसे आए तो उसने यही पैसे लगा कर ई-बाइक बनाई।

इलेक्ट्रिशियन का काम कर उसने जैसे -तैसे उसने शेष 8 हजार रुपए की व्यवस्था की। तीन बहनों और दो भाइयों में अंकित सबसे छोटा है। शहर से 6 किलोमीटर दूर छुलहनी गांव में उसका परिवार रहता है। पिता ननकौना निषाद किसी और के खेतों में खेतिहर श्रमिक हैं और मां मनीता भी पति के काम में हाथ बंटाती हैं।

अंकित के मुताबिक वह नियमित विद्यार्थी के रुप में दसवीं की पढ़ाई करना चाहता था लेकिन कोरोना काल के कारण ऐसा संभव नहीं हो पाया। उसने बताया कि शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल घूरडांग के प्राचार्य राजकुमार पांडेय और उनके शैक्षणिक स्टाफ ने बड़ी मदद की और स्वाध्यायी होने के बाद भी स्कूल में नियमित पढ़ाई के लिए विशेष अनुमति दिला दी।

बनना चाहता है ऑटोमोबाइल इंजीनियर 

अंकित के मुताबिक कोरोना काल में बंद पढ़ाई के दौरान उसे ई-साइकिल तैयार करने का आइडिया सूझा। उसने कहा उसे खुद पर भरोसा है और वह ऑटोमोबाइल इंजीनियर बनना चाहता है।

अंकित के मुताबिक वह अपने मां-पिता को खेतों में मेहनत मजदूरी करते देख रहा है। उसने कहा कि परिवार को गरीबी के संकट से उबारने का उसका प्रण जरुर पूरा होगा। अंकित स्कूल के अलावा रोज 8 घंटे सेल्फ स्टडी करता है। वह ऐसे टू और फोर व्हीलर बनाना चाहता है जिनमें न बैटरी लगे और न ही फ्यूल।

इस बाल विज्ञानी ने कहा कि वह चके की एनर्जी से वाहन को दौड़ाना चाहता है।

इनका कहना है-

अंकित प्रतिभाशाली छात्र है। नए-नए वैज्ञानिक प्रयोग उसका शौक है। इसे देख कर स्कूल के सभी बच्चे मोटिवेट होते हैं। पढऩे और कुछ नया सीखने की ललक है, हमें इस पर गर्व है।

राजकुमार पांडेय, प्राचार्य

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