साल बाद फिर चांद की रोशनी में होगा वन्यजीवों का दीदा, बनाए जाएंगे 33 मचान- रजिस्ट्रेशन शुरू

पेंच  साल बाद फिर चांद की रोशनी में होगा वन्यजीवों का दीदा, बनाए जाएंगे 33 मचान- रजिस्ट्रेशन शुरू

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-24 14:30 GMT
 साल बाद फिर चांद की रोशनी में होगा वन्यजीवों का दीदा, बनाए जाएंगे 33 मचान- रजिस्ट्रेशन शुरू

डिजिटल डेस्क, नागपुर. कोरोना के कारण चांद की रोशनी में वन्यजीवों का दीदार 3 साल से नहीं हो पा रहा था, लेकिन इस साल फिर से वन विभाग यह मौका देने जा रहा है। 5 मई की शाम से 6 मई को सुबह तक पेंच व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत 33 मचान से बाघ, तेंदुआ, भालू सहित कई लुप्त प्रजाति के वन्यजीवों का दीदार करने का मौका मिलने वाला है। साथ ही प्रकृति का अद्भुत अनुभव भी खास रहेगा। कुछ समय पहले तक इस प्रक्रिया को वन्यजीवों की गणना के तौर पर लिया जाता था, लेकिन अब इसे मात्र मनोरंजन की दृष्टि से देखा जा रहा है।

दीदार करने का समय

पेंच में कई वनक्षेत्र हैं, जहां बाघ, तेंदुआ से लेकर भालू का बसेरा है। पेंच में वनक्षेत्र में बारिश के मौसम को छोड़ें, तो बाकी दिन जंगल सफारी करने वालों की भीड़ रहती है। वन्यजीवों काे देखना अपने-आप में अद्भुत अनुभव रहता है। जंगल सफारी के अलावा वन्यप्रेमियों को वन्यजीवों का दीदार करने के लिए एक अन्य प्रक्रिया भी रहती है, जो पूनम की रात मचान पर बैठ वन्यजीवों का निरीक्षण कराया जाता है। वन विभाग कुछ प्रतिशत इसे वाणिज्यिक तौर पर करता है, वही कुछ को नि:शुल्क तरीके से कराता है। इस बार भी 5 मई को शाम 3 बजे से 6 मई को सुबह तक इस प्रक्रिया को किया जाने वाला है। रजिस्ट्रेशन 21 अप्रैल से शुरू हो गया है। 

पूनम की रात में ही दीदार क्यों 

पूनम की रात में चांद पूरी तरह आसमान में रहता है, साथ ही इससे इतनी  रोशनी रहती है कि, दूर-दूर तक आसानी से देखा जा सकता है। वन विभाग की ओर से इसी का फायदा उठाकर जंगलों के उन हिस्सों में मचान बनाए जाते हैं, जहां पानी का स्त्रोत पास होता है। जिसे आंखों से देखा जा सकता है। गर्मी के कारण वन्यजीव रात में पानी के स्रोत तक आते-जाते रहते हैं। ऐसे में चांद की रोशनी में उन्हें साफतौर पर देखा जा सकता है। मचान पर आने वालों के लिए प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव लेना का यह अच्छा मौका रहता है। ऐसे में यह मौका हर किसी के लिए महत्वपूर्ण होता है।
 पहले होती थी गणना 
इस प्रक्रिया के माध्यम से पहले वन्यजीवों की गणना कराई जाती थी, लेकिन कई बार देखा गया कि, पानी के स्त्रोत पर एक ही वन्यजीव रातभर में दो से तीन बार आ सकता है। ऐसे में इसके आंकड़ों में गड़बडी दिखने लगी थी, इसलिए अब इसे केवल प्रकृति के अनुभव के उद्देश्य से कराया जा रहा है।

प्रादेशिक में 150 से ज्यादा मचान

बुद्ध पूर्णिमा पर रात में वन्यजीवों के दीदार के लिए प्रादेशिक अंतर्गत कुल 150 से ज्यादा मचान बनाए जाएंगे। मोगरकसा व मुनिया कंजर्वेशन के लिए विशेषकर आस-पास के ग्रामीणों को मौका दिया जाएगा। जिसका उद्देश्य भविष्य में उक्त दोनों सफारी शुरू करना है, जहां ग्रामवासियों को काम देना है। उन्हें जंगल को अच्छी तरह से समझने के लिए यह नि:शुल्क मौका दिया जाएगा। जिसमें 50-75 ग्रामवासी शामिल होंगे। वन विभाग प्रादेशिक नागपुर अंतर्गत  दक्षिण उमरेड, उत्तर उमरेड, नरखेड़, कोंढाली, काटोल, हिंगना, देवलापार, पारशिवनी, रामटेक, पवनी, कलमेश्वर, सेमिनरी हिल्स, बुटीबोरी और खापा वन परिक्षेत्र आता है। इसके अलावा अब मुनिया व मोगरकसा क्षेत्र भी बढ़ा है। यहां कुल 150 से ज्यादा मचान बनाए हैं। एक मचान पर एक प्रकृति प्रेमी व एक कर्मचारी रहेगा। 

 

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