Chhindwara News: कवि सम्मेलन में हुई हास्य रस की फुहार और बिखरा गीत-गजल का माधुर्य
- कोई दीवाना कहना है, कोई पागल समझता है, मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
- देश के सुविख्यात कवि, गीतकार, डॉ. कुमार विश्वास के गीतों की रसवर्षा का श्रोताओं ने भरपूर आनंद उठाया।
Chhindwara News: पूर्व मुख्य मंत्री कमलनाथ के जन्मदिवस पर निनाद ललित कला समिति द्वारा दशहरा मैदान में सोमवार को आयोजित कवि सम्मेलन में हास्य रस की फुहार बरसती रही। गीत-गजल का माधुर्य और श्रृंगार रस की कविताओं की सुरीली तान गूंजी तो ओजपूर्ण रचनाओं को सुनाकर सुप्रसिद्ध कवियों ने समा बांध दिया। देश के सुविख्यात कवि, गीतकार, डॉ. कुमार विश्वास के गीतों की रसवर्षा का श्रोताओं ने भरपूर आनंद उठाया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं पूर्व सांसद नकुलनाथ उपस्थित रहे। कवि सम्मेलन में दिनेश बाबरा एवं रमेश मुस्कान ने हास्य रचनाओं से श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। वहीं प्रीति पांडे ने श्रृंगार रस के गीत एवं कविता तिवारी ने ओजस्वी रचनाएं प्रस्तुत कीं। प्रारंभ में आमंत्रित कवियों का स्वागत विधायक द्वय विजय चौरे एवं सुजीत चौधरी, वरिष्ठ कांग्रेस नेता गंगा प्रसाद तिवारी, जिला कांग्रेस अध्यक्ष विश्वनाथ ओक्टे, गोविंद राय, पूनाराम बाबिस्टाले आदि ने किया। स्वागत कार्यक्रम का संचालन आनंद बक्षी ने किया। कवि सम्मेलन के प्रारंभ में कविता तिवारी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
छिंदवाड़ा को कमलनाथ के कारण जानता हूं
कार्यक्रम में डॉ. कुमार विश्वास ने कहा कि मुझ जैसे लोग छिंदवाड़ा को सिर्फ कमलनाथ के कारण ही जानते हैं। छिंदवाड़ा की पहचान विश्व में कमलनाथ के कारण रेखांकित हुई।
भास्कर के आयोजन में पहली बार छिंदवाड़ा आया था
कवि सम्मेलन के दौरान डॉ. कुमार विश्वास ने कहा कि वे दैनिक भास्कर के आयोजन में पहली बार छिंदवाड़ा आए थे।
कुमार विश्वास कांग्रेस-बीजेपी के नहीं, राम-हनुमान के
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि मेरा कुमार विश्वास से बहुत पुराना संबंध है। ये न कांग्रेस के हैं, न बीजेपी के, ये राम और हनुमान के हैं।
इस धरती से उस अंबर तक दो ही चीज गजब की हैं
डॉ. कुमार विश्वास के सुप्रसिद्ध गीत- ‘कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है, मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है..’ को उपस्थित श्रोताओं ने तालियों की गडग़ड़ाहट के बीच दोहराया। उनकी इन पंक्तियों पर देर तक तालियां गूंजती रहीं- मोहब्बत अहसासों की एक पावन सी कहानी है, कभी कबीरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है।
उनकी यह रचना भी खूृब सराही गई-इस धरती से उस अंबर तक दो ही चीज गजब की हैं, एक तो तेरा भोलापन है, एक मेरा दीवानापन। उन्होंने रचनाएं-इतनी रंग बिरंगी दुनिया, दो आंखों में कैसे आए....और कब तक गीत सुनाऊं राधा, कब तक गीत सुनाऊं, मथुरा छूटी, छूटी द्वारिका, इंद्रप्रस्थ ठुकराऊं की मधुर प्रस्तुति दी।
बलिदान रहेगा सदा अमर मर्दानी लक्ष्मीबाई का
कविता तिवारी की ओज रस की कविताओं ने सम्मेलन में देशभक्ति के रंग भरे। उनकी रचना-इतिहास साक्षी बन जाता है, हर अकथनिय सच्चाई का, बलिदान रहेगा सदा अमर मर्दानी लक्ष्मीबाई का..को श्रोताओं ने भरपूर सराहा। उन्होंने बेटियों पर अपनी प्रसिद्ध कविता सुनाई-जिम्मेदारियों का बोझ परिवार पे पड़ा तो, ऑटो, रिक्शा, ट्रेन को चलाने लगी बेटियां।
इससे पूर्व हास्य कवि दिनेश बाबरा ने अपनी व्यंग्य रचनाओं-एक बार हमारे पिताजी हमें स्कूल में जमा कराने गए.., आज हमें गुरु से ज्यादा गूगल पर भरोसा है...से श्रोताओं को खूब हंसाया। प्रीति पांडे के श्रंगार रस के गीत - अधूरी बात में तुम साथ दो तो और बेहतर है, कठिन हालात में तुम साथ दो तो और बेहतर है..पर देर तक श्रोताओं की तालियों की गडग़ड़ाहट गूंजती रही। हास्य कवि रमेश मुस्कान ने पढ़ा-मोहब्बत सिर्फ खर्चों की बड़ी लंबी कहानी है, कभी पिक्चर दिखानी है, कभी साड़ी दिलानी है। उन्होंने बेरोजगारी पर व्यंग्य रचना प्रस्तुत की।