अपनों के घर लौटने का परिवार को इंतजार
यूक्रेन युद्ध अपनों के घर लौटने का परिवार को इंतजार
डिजिटल डेस्क, अकोला । रूस तथा युक्रेन के बीच 24 फरवरी से युध्द आरंभ हो गया है। युक्रेन में अलग अलग देशों से उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए हजारों वहां होस्टल में रहते हैं। युद्ध आरंभ होने के कारण वहां पर की परिस्थिति काफी भयानक हो गई है। युध्द के कारण अभिभावकों को अपने पाल्यों की चिंता सताने लगी है। दूसरी ओर वहां पर ठंड मायनेस डिग्री के नीचे पहुंच गया है। पाल्यों की चिंता में ग्रस्त अभिभावक सरकार से सहायता की गति बढाने की मांग कर रही है इसके अलावा अभिभावकों ने देश की सरकार पर भी पूरा विश्वास जताया है। अकोला के चार विद्यार्थियों के अभिभावकों से दैनिक भास्कर ने बात की, जिस पर उन्होंने अपने प्रतिक्रिया दी।
दूतावास का कोई अधिकारी नहीं था मौजूद
डा विजय मलेकर के मुताबिक यूक्रेन युद्ध के कारण परिस्थिति काफी गंभीर हो गई है। बेटे मोहित को वापस लाने के लिए 25 फरवरी की टिकट बुक की थी किंतु युध्द 24 फरवरी को ही आरंभ हो गया। भारतीय दूतावास ने फोन कर बताया कि वे किसी तरह पोलेंड की बार्डर तक पहुंचे । आखिरकार बस की सहायता से वे पोलेंड की ओर रवाना हुए किंतु बॉर्डर से 10 किलोमीटर दूर जाम लग जाने के कारण मोहित अपने मित्रों के साथ वहां पर पैदल पहुंचा। लेकिन बॉर्डर पर भारतीय दूतावास का कोई भी अधिकारी मौजूद नहीं था। युक्रेन में मायनेस डिग्री का तापमान होने के कारण विद्यार्थियों की स्थिति बेहद खराब है। बेटा तथा उसके मित्र पैदल फिर से 10 किलोमीटर वहां से रवाना जहां पर बस ने उन्हें छोडा था। ठंड काफी होने के कारण वे सभी हताश हो चुके थे। आखिरकार मैने मेरे परिचित मित्र डाक्टर की सहायता से बस उपलब्ध करवा कर उन्हें वापस होस्टल पहुंचा गया। स्थानीय सरकार ने चेतावनी दी है कि युध्द की गति काफी बढ गई है जिससे वे जहां भी सुरक्षित जगह मिले वहीं रहे। भारतीय सरकार की सहायता गति काफी धीमी है। उनके बेटे के मित्र जैक निकसन कीव के किसी स्थान पर फंसा हुआ है जैक की स्थिति काफी जटिल है वह इस समय कहां पर है इस बारे में किसी प्रकार की जानकारी नहीं मिल पा रही है ना ही जैक से संपर्क नहीं हो पा रहा है जिससे उसकी काफी चिंता हो रही है।