मेवों के दाम में बिक रहा वाणी का हुरडा

अकोला मेवों के दाम में बिक रहा वाणी का हुरडा

Bhaskar Hindi
Update: 2022-12-18 14:27 GMT
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डिजिटल  डेस्क, अकोला. जिले के कई किसानों ने वाणी के ‘हुरडे’ को अपना आय का जरिया बनाया है। ‘हुरडे’ की तीन किस्मे होती है, जिसमें गोड-वाणी, सात-वाणी, नारल-वाणी है। इसकी एक एकड़ में लागत कम और कमाई डबल होकर मवेशियों के लिए चारा भी मिलता है। यह नब्बे दिन यानी तीन महीने की फसल है, जिससे लाखों की आय प्राप्त होती है। यह सर्दियों के मौसम में बाजार में खाने के लिए उपलब्ध होता है। जो खाने में स्वादिष्ट लगता है। जिससे उसकी मांग बढ़ रही है। जो मेवो के दाम में बिक रहा है, ऐसी जानकारी चिखलगांव के हुरडा उत्पादक किसान गजानन वक्टे ने इस संदर्भ में दी है।

सर्दियों का मौसम शुरू होते ही बाजार में जैसे ही ‘हुरडा’ बिकने के लिए आता है, वैसे ही ‘हुरडा’ पार्टिया शुरू हो जाती है। जिले के ग्रामीण अंचलो से हुरडा उत्पादक किसान बाजार में हुरडा बेचते हुए नजर आ रहे है। ठंड के इस मौसम में ग्रामीण क्षेत्रों से वाणी किस्म का ‘हुरडा’ की आवक बाजार में शुरू हुई है। प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी वाणी का ‘हुरडा’ तकरीबन 100 रू. पाव यानी 400 रू. प्रति किलो के दाम में बिक रहा है। अतिवृष्टि से इस वर्ष फसल प्रभावित हुई है। संक्रांति के पश्चात ‘हुरडे’ के दाम कम होने की संभावना है। प्रतिवर्ष ठंड का मौसम शुरू होते ही ‘हुरडा’ पार्टिया शुरू हो जाती है। इस वर्ष भी नवंबर महीने में खाने के लिए तैयार हुआ है। ज्यादा बारिश होने से इस वर्ष आवक कम हुई है। जिससे उसके दाम में तेजी आई है। फलस्वरूप मांग की तुलना में आवक न होने से ‘हुरडे’ के दाम आसमान छु रहे है। वर्तमान में ‘हुरडा’ 400 रू. प्रतिकिलो दाम में बिक रहा है। अकोला के बाजार में इसकी मांग बढ़ रही है। 

रान मेवा खाने में स्वादिष्ट

गजानन वक्टे, चिखलगांव, हुरडा उत्पादक किसान के मुताबिक उन्होंने ने दो एकड़ में वाणी किस्म के हुरडे की बुआई की है। उसे प्रति एकड़ 25 से 30 हजार रू. लागत खर्च आता है। दो एकड़ में बुआई करने से मुझे 50 से 60 हजार रू. लागत खर्च आया है। यह तीन महीने की यानी 90 दिनों की फसल है। जिससे मुझे लगभग एक से डेढ़ लाख रूपए का आय प्राप्त होता है। हुरडा अक्टूबर-दिसंबर महीने में खाने के लिए उपलब्ध होता है। उसे दाम भी अच्छे मिलते है। वर्तमान में 100 रू पाव यानी 400 रू. प्रति किलो से बिक रहा है। यह तीन किस्मो की फसल है। इससे कमाई डबल होकर मवेशियों के लिए चारा भी मिलता है। 

 

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