वन धन विकास केंद्र ग्रामीण जनजातीय वन अर्थव्यवस्था की कायापलट करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं!
वन धन विकास केंद्र ग्रामीण जनजातीय वन अर्थव्यवस्था की कायापलट करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं!
डिजिटल डेस्क | जनजातीय कार्य मंत्रालय वन धन विकास केंद्र ग्रामीण जनजातीय वन अर्थव्यवस्था की कायापलट करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं| “आदिवासी आबादी का सशक्तिकरण ट्राइफेड का मुख्य उद्देश्य है। हमारे सभी प्रयास, चाहे उनकी उपज के लिए उन्हें बेहतर मूल्य दिलाना हो, मूल उपज के मूल्यवर्धन में मदद करना हो या बड़े बाजारों तक उनकी पहुंच सक्षम बनाना हो, इसी को पाने के लिए लक्षित हैं। वन धन योजना विशेष रूप से ग्रामीण आदिवासी अर्थव्यवस्था की कायापलट करने में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभा रही है।” ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक श्री प्रवीर कृष्ण ने मुख्य अतिथि के रूप में “ग्रामीण परिवर्तन: प्राकृतिक से सांस्कृतिक तक” विषय पर 5 मई, 2021 को आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
“ग्रामीण परिवर्तन: प्राकृतिक से सांस्कृतिक तक” विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को सेंटर फॉर रूरल डेवलपमेंट एंड इनोवेटिव सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी (सीआरडीआईएसटी), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर ने आयोजित किया है और 5 व 6 मई, 2021 को एक ऑनलाइन सम्मेलन भी कराया जा रहा है। इस दो दिवसीय ऑनलाइन सम्मेलन में जिन विषयों पर चर्चाएं की जा रही है, उनमें ग्रामीण रोजगार सृजन; भौतिक और सेवाओं संबंधी बुनियादी ढांचे का नियोजन और कार्यान्वयन; सामाजिक कल्याण के लिए पारंपरिक और आधुनिक तकनीकी ज्ञान का उपयोग; टिकाऊ प्राकृतिक संसाधनों (जल, जंगल, जमीन) का नियोजन और ग्रामीण स्वास्थ्य व स्वच्छता शामिल हैं।
मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्घाटन भाषण के दौरान, श्री कृष्ण ने ग्रामीण वनाश्रित जनजातीय अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने में वन धन योजना की परिवर्तनकारी भूमिका पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने वन धन ट्राइबल स्टार्ट-अप कार्यक्रम के पीछे के तर्क और दृष्टिकोण को समझाया। वन धन ट्राइबल स्टार्ट-अप कार्यक्रम या वन धन योजना, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और लघु वनोपज (एमएफपी) के लिए वैल्यू चेन के विकास के जरिए लघु वनोपज (एमएफपी) की मार्केटिंग के लिए बनाई गई प्रणाली का हिस्सा है। जनजातीय मामलों के मंत्रालय की एक फ्लैगशिप योजना, अपनी ताकत 2005 के वन अधिकार अधिनियम से लेती है, का उद्देश्य वन उपजों के आदिवासी संग्रहकर्ताओं को लाभकारी और उचित मूल्य दिलाना है, जो कि बिचौलियों की ओर से उन्हें दिये जाने वाले मूल्य से लगभग तीन गुना अधिक होगा, जो उनकी आय को तीन गुना बढ़ाएगा। वन धन ट्राइबल स्टार्ट-अप, जो इसी योजना का हिस्सा है, एक ऐसा कार्यक्रम है, जिसमें वनों पर आश्रित जनजाति आबादी के लिए स्थायी आजीविका सृजित करने सुविधा देने के लिए वन धन केंद्रों की स्थापना करके लघु वनोपजों में मूल्य वर्धन, उनकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
यह एमएसपी में भी बखूबी मदद करता है, क्योंकि यह आदिवासी संग्रहकर्ताओं, वनाश्रितों और आदिवासी कारीगरों के लिए रोजगार सृजन के एक स्रोत के रूप में सामने आया है। पिछले 18 महीनों में, वन धन विकास योजना ने देश भर में राज्यों की नोडल और कार्यान्वयन एजेंसियों की सहायता से अपने त्वरित अनुकूलन और व्यवस्थित कार्यान्वयन के साथ जबरदस्त जमीनी आधार हासिल किया है। ट्राइफेड ने 31 मार्च 2021 तक, 33,360 वन धन विकास केंद्र (वीडीवीके), प्रत्येक में 300 वन संग्रहकर्ता के 2,224 वन धन विकास केंद्र कलस्टर्स (वीडीवीकेसी), को मंजूरी दी है। एक वन धन विकास केंद्र में 20 आदिवासी सदस्य होते हैं। ऐसे 15 वन धन विकास केंद्र मिलकर एक वन धन विकास केंद्र क्लस्टर बनाते हैं।
ट्राइफेड के अनुसार, वन धन विकास केंद्र क्लस्टर्स, वन धन विकास केंद्रों के उत्पादन को बढ़ाते हुए लागत को कम करने, आजीविका और बाजार से संपर्क उपलब्ध कराने के साथ-साथ लगभग 23 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 6.67 लाख आदिवासी वन संग्रहकर्ताओं को उद्यमशीलता का अवसर प्रदान करेंगे। जैसा कि ट्राइफेड ने कहा है, अब तक वन धन स्टार्ट-अप कार्यक्रम ने, सभी तरह से, 50 लाख आदिवासियों को प्रभावित किया है। मणिपुर, विशेष रूप से विजेता राष्ट्र के रूप में उभरा है, जहां स्थानीय आदिवासियों के लिए वन धन कार्यक्रम रोजगार के प्रमुख स्रोत के रूप में सामने आया है। अक्टूबर 2019 में राज्य में कार्यक्रम को शुरू करने से अब तक 100 वन धन विकास कलस्टर्स बनाए गए हैं, जिनमें से 77 संचालित हैं। ये 1500 वन धन विकास केंद्र बनाते हैं, जो 30,000 आदिवासी उद्यमियों को लाभ पहुंचा रहे हैं, जो लघु वनोपज का संग्रह करने, प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और लघु वनोपज से बने मूल्यवर्धित उत्पादों की मार्केटिंग करने में शामिल हैं।