Delhi News: महाराष्ट्र चुनाव नतीजों का राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ेगा असर
- भाजपा पर सहयोगी दलों का दबाव होगा कम
- भगवा पार्टी को नई ऊर्जा मिली
- एनडीए के अंदर एक तरफ भाजपा का दबदबा
Delhi News महाराष्ट्र चुनाव में मिली बंपर जीत ने भाजपा के हौंसले बढ़ा दिए हैं। महाराष्ट्र में मिली शानदार जीत ने भाजपा का न केवल आत्मविश्वास बढ़ाया है, बल्कि इसके बाद अब मोदी सरकार पर तेलुगुदेशम और जदयू जैसे सहयोगी दलों का दबाव भी कम होगा। दरअसल लोकसभा चुनाव में 240 सीटों तक सिमटना भाजपा और नरेन्द्र मोदी के लिए एक झटके के रूप में देखा गया था और माना जा रहा था कि ब्रांड मोदी कमजोर हो रहा है। हरियाणा में मिली जीत, जम्मू-कश्मीर में बेहतर प्रदर्शन के बाद अब महाराष्ट्र में मिली प्रचंड जीत ने भगवा पार्टी को नई ऊर्जा दे दी है।
प्रधानमंत्री मोदी अब और होंगे मजबूत : इस जीत के बाद एनडीए के अंदर एक तरफ भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दबदबा और बढ़ेगा तो दूसरी तरफ सहयोगी पार्टियों का दखल कमजोर पड़ेगा। तेलुगुदेशम सुप्रीमो व आन्ध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू तथा जदयू अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब मोदी सरकार पर पहले की तरह दबाव बनाने या फिर मोलभाव करने की स्थिति में नहीं होंगे। अगले वर्ष के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होना है। सियासी जानकार बताते हैं कि इस जीत के बाद भाजपा बिहार में जदयू के साथ सीट बंटवारे पर मनमाफिक बात करने की स्थिति में भी होगी।
शिवसेना (यूबीटी) की हार के भी है मायने : महाराष्ट्र चुनाव में भाजपा ने प्रभावी जीत दर्ज की है तो ठाकरे परिवार को बुरी हार का सामना करना पड़ा है। शिवसेना (यूबीटी) की हार रणनीतिक तौर पर भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होगी। दरअसल हिन्दुत्व के झंडाबरदार रहे बाल ठाकरे के परिवार के कमजोर होने के बाद भाजपा के लिए प्रदेश में हिन्दुत्व की सबसे बड़ी चैंपियन बनने का रास्ता साफ हो गया है।
केन्द्र में बढ़ सकती है शिवसेना-राकांपा की हिस्सेदारी : महाराष्ट्र में अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज कर चुकी भाजपा पर अब शिवसेना (शिंदे) और राकांपा (अजित) का दबाव भी कम होगा। हालांकि भगवा पार्टी इन दोनों सहयोगियों को नाराज करने की स्थिति में नहीं होगी। वरिष्ठ पत्रकार संजय राय कहते हैं कि महाराष्ट्र में भाजपा अगर अपना मुख्यमंत्री बनाती है, जिसकी संभावना अधिक है, तो इसके एवज में शिवसेना (शिंदे) और राकांपा (अजित) के नेताओं को कहीं और समायोजित करने का उस पर दबाव बढ़ेगा। माना जा रहा है कि इसके लिए दोनों सहयोगी दलों को उपमुख्यमंत्री पद देने के साथ ही केन्द्रीय मंत्रिमंडल में भी हिस्सेदारी बढ़ानी पड़ सकती है।
संसद सत्र चलाना होगा आसान : महाराष्ट्र में जीत के बाद सोमवार से शुरू हो रहे संसद सत्र के संचालन में भी सत्तापक्ष को आसानी हो सकती है। महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी का प्रदर्शन बेहतर रहने की स्थिति में विपक्षी पार्टियां संसद में गौतम अदाणी, मणिपुर, महंगाई जैसे मसलों पर कहीं ज्यादा आक्रामक होती, लेकिन इस हार के बाद विपक्षी दलों की गोलबंदी प्रभावित होगी और वक्फ बोर्ड विधेयक, एक देश-एक चुनाव जैसे विधेयकों पर विपक्ष का विरोध कमजोर पड़ेगा।
दिल्ली चुनाव के लिए भाजपा को मिली ताकत : महाराष्ट्र में मिली जीत ने दिल्ली की भाजपा इकाई को भी चार्ज कर दिया है। अब भाजपा के नेता दो महीने बाद होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की सरकार को उखाड़ फेंकने का दावा कर रहे हैं। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष विरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि महाराष्ट्र की जीत के बाद पार्टी कार्यकर्त्ताओं के हौंसले बुलंद हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में आप के नेतृत्व में भ्रष्टाचार का युग खत्म होने का समय आ गया है।
Created On :   23 Nov 2024 7:50 PM IST