New Delhi News: सहयोगी दलों को साधे रखने पर है भाजपा का जोर, राकांपा अजित मानी जा रही महायुति की कमजोर कड़ी
- 2019 प्रकरण दोहराया न जाए, इसकी है चिंता
- भाजपा का जोर सहयोगी दलों को साधे रखने पर है
New Delhi News : महाराष्ट्र का सियासी तापमान चरम पर है। उम्मीदवारों की किस्मत बैलेट बॉक्स में बंद हो चुकी है और ये पिटारा 23 नवंबर को खुलेगा। भाजपा सांसद व प्रवक्ता शहजाद पूनावाला का दावा है कि महाराष्ट्र की जनता ने महायुति के पक्ष में फैसला सुनाया है। बस अब मतों की गिनती का इंतजार है। कई एग्जिट पोल में भी महायुति की बढ़त दिखाई गई है। शनिवार को आने वाले चुनाव नतीजों को देखते हुए भाजपा मुख्यालय में टेंट लगने शुरू हो गए हैं, जहां से पार्टी के प्रवक्ता विभिन्न टीवी चैनलों पर चुनाव नतीजों का विश्लेषण करेंगे।
2019 प्रकरण दोहराया न जाए, इसकी है चिंता
भाजपा महाराष्ट्र में फिर से महायुति को बहुमत मिलने को लेकर आश्वस्त है। इसके बावजूद अभी यह तय नहीं है कि महायुति का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? दरअसल भाजपा 2019 चुनाव के बाद प्रदेश में बदले सियासी समीकरण के मद्देनजर इस बार चौंकन्नी है। बता दें कि 2019 में भाजपा को 105 सीटें और उसकी सहयोगी शिवसेना को 56 सीटें मिली थी। यह संख्या जरूरी जादुई आंकड़े से अधिक थी। लेकिन तब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भाजपा से नाता तोड़ कांग्रेस और राकांपा के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। लिहाजा इस बार भाजपा का फोकस महायुति में शामिल अपने मित्र दलों शिवसेना (शिंदे) और राकांपा (अजित) को हर हाल में अपने साथ बनाए रखने पर है। खासकर अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा महायुति की कमजोर कड़ी मानी जा रही है। भाजपा नेतृत्व का मानना है कि गठबंधन की एकजुटता बनी रहे तो मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने में किसी तरह की दिक्कत नहीं आएगी। इसके साथ ही भाजपा ने अपने पार्टी कार्यकर्त्ताअों को मतगणना के दौरान मतगणना केन्द्रों पर सतर्क रहने की हिदायत दी है।