पांच वर्ष का कार्यकाल खत्म, समस्याएं जस की तस

 गोंदिया पांच वर्ष का कार्यकाल खत्म, समस्याएं जस की तस

Bhaskar Hindi
Update: 2022-02-08 13:23 GMT
पांच वर्ष का कार्यकाल खत्म, समस्याएं जस की तस

डिजिटल डेस्क, गोंदिया। नगर परिषद के वर्तमान नगराध्यक्ष एवं सदस्यों का कार्यकाल कल 9 फरवरी को खत्म होने जा रहा है। लेकिन 5 वर्ष पूर्व जब नगराध्यक्ष एवं नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने नगर प्रशासन की बागडोर संभाली थी। तब से लेकर अब कार्यकाल खत्म होने तक अनेक महत्वपूर्ण समस्याएं जस की तस बनी हुई है। हालांकि इस दौरान अनेक विकासकार्य भी हुए। लेकिन मुलभूत समस्याओं के निराकरण की दृष्टि से उन्हे पर्याप्त नहीं कहा जा सकता। नागरिकों को मुलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी नप प्रशासन की होती है। लेकिन गत 5 वर्षो के दौरान ऐसा कोई ठोस विकासकार्य नहीं किया गया। जिसे स्मरणीय कहा जा सके। गोंदियावासी सबसे अधिक कचरे की समस्या से त्रस्त है। विशेष रूप से गणेशनगर क्षेत्र के नागरिक जहां बडे पैमाने पर शहर के कचरे का ढेर लगातार बढता जा रहा है। कुछ दिनों पूर्व नागरिकों के आंदोलन के बाद वहां कचरा डालना बंद कर दिया गया। लेकिन लाखों टन कचरा अब भी पडा हुआ है। घनकचरा प्रबंधन प्रकल्प के लिए प्रशासन को अब तक कोई जगह नहीं मिल सकी है। शहर के बाहर ही नहीं अंदर भी अनेक स्थान ऐसे है, जहां पर लाख् प्रयास के बावजूद गंदगी कम होने का नाम नहीं लेती। इनमें रेलवे स्टेशन के पास का प्रभूरोड प्रमुख है। शहर में अतिक्रमण भी एक बडी समस्या बना हुआ है। लेकिन जब भी अतिक्रमण हटाने की कारवाई करने की बात आती है। वोटो के राजनीति के चलते वह आगे नहीं बढ पाती। पार्कींग की समस्या को हल करने के लिए करोडो रूपए की लागत से शहर पुलिस थाने के पीछे पार्कींग प्लाझा बनाया गया। लेकिन थोडा काम बकाया रहने की बात कहते हुए अब तक उसका लोकार्पण नहीं हुआ है। शहर में भूमिगत गटर योजना एवं भूमिगत विद्यूतीकरण का काम भी शुरू नहीं हो पाया। गोंदिया शहर मे जयस्तंभ चौक सहित बाजार परिसरों में सार्वजनिक मूत्रिघर की व्यवस्था न होने के कारण प्रतिदिन दूसरे गांवो से शहर में आनेवाले नागरिकों को बडी परेशानी का सामना करना पडता है। जयस्तंभ चौक में एसटी का पीकअप शेड नगर परिषद व्दारा ही बनाया गया है। लेकिन यहां सार्वजनिक शौचालय अथवा मूत्रीघर नहीं होने के कारण घंटो तक बस की प्रतिक्षा के लिए खडे रहनेवाले यात्रियों को विशेष रूप से महिला यात्रियों को भारी परेशानी झेलनी पडती है। लेकिन इस ओर नप प्रशासन ने कभी ध्यान देने की आवश्यकता महसूस नहीं की। शहर की सडकों पर दिन रात घूमनेवाले आवारा मवेशियों पर अंकुश लगाने के लिए पिछले 5 वर्षो में कोई स्थाई व्यवस्था नहीं की गई। जिसके चलते यातायात में बाधा की समस्या आज भी जैसी की वैसी बनी हुई है। कल 9 फरवरी के बाद गोंदिया नगर परिषद पर प्रशासक राज की शुरूआत हो जायेंगी एवं आगामी चुनाव में वर्तमान जनप्रतिनिधियों को उनके व्दारा किए गए कार्यो का ब्यौरा शहर के नागरिकों को देना होंगा। जिसके बाद ही दोबारा जनता के सामने उसका आशीर्वाद लेने के लिए जानेवाले वर्तमान जनप्रतिनिधियों को मौका देना या नहीं इसका निर्णय शहरवासी उनके व्दारा किए गए कार्यो का मुल्यांकन करने के बाद ही करेंगे। 

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