Gondia News: आधी आबादी के मतों पर सबकी नजर, लेकिन टिकट देने में ना-नुकुर - 64 वर्ष में केवल दो महिलाओं को मौका
- 64 वर्ष में केवल दो महिलाएं पहुंच पाईं विधानसभा में
- पुरुष मतदाताओं की तुलना में महिला मतदाताओं की संख्या अधिक है
- महिलाओं को टिकट देने के नाम पर लगभग सभी दल ना-नुकूर करते दिखाई देते हैं
Gondia News : संतोष शर्मा | विधानसभा चुनाव में गोंदिया जिले की चारों विधानसभा सीटों गोंदिया, आमगांव, तिरोड़ा एवं अर्जुनी मोरगांव में पुरुष मतदाताओं की तुलना में महिला मतदाताओं की संख्या अधिक है एवं उनके मत निर्णायक सिद्ध होते हैं। फिर भी महिलाओं को टिकट देने के नाम पर लगभग सभी दल ना-नुकूर करते दिखाई देते हैं। यही वजह है कि बीते 64 वर्ष में मात्र दो महिला नेत्रियां ही विधानसभा की सीढ़ियां चढ़ पायीं। एक तरफ महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए सभी राजनीतिक दल संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की वकालत करते हैं। संसद में तो इसके लिए विशेष सत्र बुलाकर प्रस्ताव भी पारित किया जा चुका है लेकिन जब टिकट देने की बारी आती है तो महिला प्रत्याशी को किनारे कर दिया जाता है।
राज्य में महिलाओं के निर्णायक मतों को अपनी ओर मोड़ने के लिए ही लाडली बहन जैसी योजनाएं लाई गई हैं। लेकिन विधानसभा चुनाव में महिलाओं को टिकट देने की बात आते ही सभी दल कन्नी काटते नजर आते हैं। यदि गोंदिया जिले की बात की जाए तो अब तक केवल दो ही महिलाएं जिले से विधानसभा में पहुंच पायी हैं। आमगांव विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 1957 से 1962 तक कांग्रेस की ओर से सुशीलाताई इंगले विधायक रहीं। वहीं गोंदिया विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की राजकुमारी बाजपेई ने तीन बार वर्ष 1978, 1980, 1985 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। उनके बाद से अब तक किसी भी महिला को किसी राजनीतिक दल की ओर से उम्मीदवारी नहीं दी गई। हर बार कुछ महिलाओं के नाम चर्चा में अवश्य रहते हैं। लेकिन जब टिकट देने की बारी आती है तो, अंत में पुरुष उम्मीदवार ही बाजी मार ले जाते हैं। ऐसे में राजनीतिक दलों की कथनी और करनी का अंतर स्पष्ट हो जाता है और इस मामले में लगभग सभी राजनीतिक दल एक जैसे ही नजर आ रहे हैं।