10 वर्षो से परिक्रमा करने वालों की कर रहे सेवा, भोजन, कपड़े और जूता-चप्पल कराते हैं उपलब्ध

10 वर्षो से परिक्रमा करने वालों की कर रहे सेवा, भोजन, कपड़े और जूता-चप्पल कराते हैं उपलब्ध

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-13 10:46 GMT
10 वर्षो से परिक्रमा करने वालों की कर रहे सेवा, भोजन, कपड़े और जूता-चप्पल कराते हैं उपलब्ध

डिजिटल डेस्क मंडला। नर्मदा परिक्रमा के लिए आने वाले परिक्रमावासियों की राजीव जायसवाल सेवा कर रहे है। पिछले दस साल से निवास क्षेत्र से निकलने वाले परिक्रमावासियों को आवश्यकतानुसार भोजन और वस्त्र उपलब्ध करा रहे है। मां नर्मदा की परिक्रमा कर पुण्य लाभ अर्जित करने वाले परिक्रमावासियों की सेवा से जीवन को धन्य करने का संकल्प लेकर रोजाना सेवा में जुटे हुए है।
जानकारी के मुताबिक दुनिया की एक मात्र नर्मदा नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है। अमरकंटक से लेकर खंबात की खाड़ी तक श्रृद्धालु नर्मदा परिक्रमा करते है। यहां निवास से भी बड़ी संख्या में परिक्रमावासी निकलते है। इनकी सेवा का बीड़ा निवास के राजीव जायसवाल ने उठाया है। निवास के आसपास से निकलने वाले परिक्रमावासियों से मुलाकात कर उनकी जरूरत पूछते है। ठंड के मौसम में कम्बल और जूत चप्पल उपलब्ध कराते है।
यहां जरूरत पडऩे पर भोजन और अन्न दान भी करते है। अब यह राजीव जायसवाल की दिनचर्या में आ गया है। पिछले दस साल से अनवरत परिक्रमावासियों की सेवा कर रहे है। परिक्रमावासियों की जरूरत पूरा करने के लिए पैसे की कमी कभी नहीं आती। मेहनत मशक्कत और व्यवसाय से परिवार के भरण पोषण के साथ परिक्रमावासियों की जरूरत पूरा करने के लिए धन आ जाता है।
राजीव जायसवाल ने परिक्रमावासियों की सेवा का संकल्प ले लिया है। राजीव जायसवाल बताते है कि परिक्रमा पर आने वाले श्रृद्धालुओं से बात करने में सुखद अनुभूति होती है। उनकी आस्था और श्रृद्धा के सामने नत मस्तक होने का मन करता है। परिक्रमावासियों की सेवा में खुशी मिलती है।  राजीव जायसवाल का कहना है कि अधिक से अधिक लोगों को परिक्रमावासियों की मदद करनी चाहिए। जिससे निवास तहसील से कोई भी परिक्रमावासी भूख न निकले। परिक्रमावासियों को ढूंढने के लिए राजीव जायसवाल निकल पड़ते है। उन्हें रोजाना कोई न कोई जरूरतमंद परिक्रमावासी मिल जाता है।अमरकंटक से लेकर खंबात की खाड़ी तक श्रृद्धालु नर्मदा परिक्रमा करते है।

 

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