मंडला: अहमदनगर ट्रस्ट को जमीन तो दान में दी, लेकिन काम करने का अधिकार नहीं दिया
- मेहेर बाबा ट्रस्ट की ‘दान की जमीन’ का मामला
- मंंडला ट्रस्ट के न्यासी प्रबंधक ने विकास कार्य स्वयं या उनके नॉमिनी द्वारा कराने की लगाई बंदिश
- उधर दान दिया, इधर अधिकार हासिल किया
डिजिटल डेस्क,जबलपुर/मंडला। मेहेरबाबा चेरिटबिल ट्रस्ट (मंडला) की मिल्कियत में बची 72 में से 27 एकड़ जमीन पर कब्जा जमाए रखने मंडला ट्रस्ट के न्यासी प्रबंधक धीरेन्द्र चौधरी ने ऐसी कागजी बिसात बिछाई कि अहमदनगर ट्रस्ट को दान में जमीन मिलना, न मिलना बराबर हो गया।
सितंबर 202& में हुए समझौते के तहत अहमद नगर ट्रस्ट को 4.40 एकड़ जमीन देते समय धीरेन्द्र ने कई बंदिशें लगा दी थीं और उस पर विकास कार्य कराने का अधिकार भी अपने हाथ में रखा। और यह सब केवल इसलिए कि उसके जबलपुर व मंडला के सहयोगी डेवलपर इस जमीन पर भी काम कर सकें।
मेहेरबाबा के अहमदनगर ट्रस्ट को ‘दान’ में दी गई उक्त जमीन पर मंडला ट्रस्ट के प्रबंधक धीरेन्द्र व उनके व्यवसायिक सहयोगियों ने काम करने का जिस तरह से अधिकार हासिल किया वह भी रोचक है।
दोनों ट्रस्टों के बीच हुए समझौते में यह शर्त डाल दी गई कि, ‘दान की जमीन का विकास दानकर्ता धीरेन्द्र चौधरी या उसके नॉमिनी द्वारा ही किया जाएगा। अपने पक्ष में धीरेन्द्र ने यह शर्त भी रखी कि ‘वे खसरा नंबर 157 व 158 की 2&.25 एकड़ जमीन अपने नाम करवाने तथा विक्रय आदि करने निजी भूमि स्वामी की हैसियत से स्वतंत्र होंगे।’
यह शर्त भी थी कि ‘धीरेन्द्र को जरूरत पडऩे पर एनओसी देने अहमदनगर ट्रस्ट वचनबद्ध रहेगा।’ अहमद नगर ट्रस्ट आगे चल कर कोई अड़ंगा न लगा दे, इसके लिए बाकायदा रजिस्टर्ड डीड बनवाते हुए एमओयू भी साइन कराया।
उधर दान दिया, इधर अधिकार हासिल किया
सितंबर 2& में हुए समझौते के तहत 2& फरवरी 2024 को मंडला ट्रस्ट द्वारा अहमदनगर ट्रस्ट को 4.40 एकड़ जमीन दान में दी जाती है और हाथों-हाथ धीरेन्द्र और उनके जबलपुर तथा मंडला के व्यवसायिक सहयोगी डेवलपर की हैसियत से इस जमीन पर काम (विकास कार्य कराने) का अधिकार प्राप्त कर लेते हैं।
ये तीनों ‘दान’ की जमीन में से चार हजार स्क्वायर फीट जमीन का डायवर्सन कराने का अधिकार भी अहमदनगर ट्रस्ट से हासिल कर लेते है।
यह काम होने हैं ट्रस्ट की जमीन पर
अहमदनगर ट्रस्ट के स्वामित्व में दी जा चुकी उक्त जमीन पर बाउंड्रीवॉल, प्रार्थना हॉल, हर धर्म के साधु, संतों सहित मेहेरबाबा के शिष्यों के रूकने के लिए कमरों का निर्माण कार्य कराया जाना है।
समझौते के तहत यह काम मंडला ट्रस्ट के प्रबंधक तथा दानकर्ता धीरेन्द्र चौधरी तथा उनके व्यवसायिक सहयोगी राजकुमार विजन (जबलपुर) तथा शैलेष कुमार चौरसिया (मंडला) करेंगे।
कमोवेश धीरेन्द्र ने प्रबंधक की हैसियत से मंडला ट्रस्ट की मिल्कियत वाली एम. एस. ईरानी (मेहेरबाबा) की 21 एकड़ जमीन खुद खरीदने के बाद , दस एकड़ जमीन का सौदा राजकुमार और शैलेष की टीम के साथ ही किया है।