मंडला: मेहेर बाबा ट्रस्ट की बीस एकड़ से ज्यादा जमीन सरकारी रेट से आधे में बिक गई

  • मंडला में ‘दान की जमीन’ का हुआ ऐसा सौदा जिसमें क्रेता -विक्रेता एक ही आदमी
  • मंडला के ग्राम देवदरा में आम के करीब सौ पेड़ों से भरी खसरा नंबर 157 की यह जमीन जबलपुर और मंडला के डेवलपर को बेची गई है।
  • फर्म में जबलपुर व मंडला के आधा दर्जन से ज्यादा डेवलपर पार्टनर हैं।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-11 09:36 GMT

मंडला से लौटकर कपिल श्रीवास्तव/ डिजिटल डेस्क,मंडला। धर्मार्थ कार्योँ, चिकित्सा, शिक्षा, राहत व जरूरतमंदों की मदद के लिए पूर्वजों द्वारा ‘दान की गई जमीन’ जबलपुर व मंडला के सौदागरों को बेच देने का बड़ा मामला सामने आया है। मंडला के मेहेरबाबा चेरिटबिल ट्रस्ट की 20 एकड़ से ज्यादा जमीन के हुए सौदे की खास बात यह है कि,जमीन बेचने (विक्रेता) और खरीदने (क्रेता) वाला एक ही व्यक्ति (प्रबंधक धीरेन्द्र चौधरी) रहा।

चूंकि जमीन बेचने व खरीदने वाला व्यक्ति एक ही था, इसलिए ग्राम देवदरा के खसरा नंबर 157, 158 तथा 159 की ट्रस्ट की मिल्कियत वाली करीब 27 एकड़ जमीन के दो तिहाई हिस्से की खरीद-फरोख्त सरकारी रेट (गाइड लाइन का बाजार मूल्य) से आधी कीमत पर हो गई।

सारी कवायद खसरा नंबर 157 को लेकर हुई

आम के बेशुमार वृक्षों से भरपूर देवदारा के खसरा नंबर 157 की करीब 22 एकड़ जमीन चूंकि शहर के आंतरिक व बाह्य इलाकों तक फैली है, लिहाजा इसकी बाजार में कीमत डेढ़ से 2 करोड़ रुपए एकड़ है।

जबलपुर तथा मंडला के डेवलपर को यह जमीन प्लाटिंग व कॉलोनी बनाने के लिए सबसे मुफीद लगी। इस योजना में महाराजपुर के चौधरी बाड़े में रहने वाले मेहेरबाबा ट्रस्ट के प्रबंधक धीरेन्द्र्र चौधरी भी शामिल हो गए और उन्होंने महज एक करोड़ रुपए में आधी जमीन (करीब 10 एकड़) जबलपुर तथा मंडला के डेवलपर को बेच दी।

सौदागरों को बेचने से पहले खुद खरीदी जमीन

एम.एस. ईरानी उर्फ मेहेरबाबा (अहमदनगर) को उक्त जमीन धीरेन्द्र चौधरी के पूर्वज महेन्द्रलाल चौधरी ने दान में दी थी। मेहेरबाबा के जीवित रहते ही मंडला में उनके नाम पर चेरिटबिल ट्रस्ट बना। धीरेन्द्र 90 के दशक से एम.एस. ईरानी के प्रबंधक के रूप में ट्रस्ट का कामकाज देख रहे हैं।

पूर्वजों द्वारा दान दी गई जमीन वापस लेने धीरेन्द्र ने पहले एम.एस. ईरानी की अहमदनगर स्थित मूल संस्था ‘श्री अवतार मेहेरबाबा परपीचूअल पब्लिक चेरिटबिल ट्रस्ट’ की अथॉरिटीज को भरोसे में लिया। लिखा-पढ़ी में कुछ वादे किए और खसरा नंबर 157 की 22.32 एकड़ में से करीब 21 एकड़ जमीन 75 लाख रुपए में प्रबंधक की हैसियत से खुद को बेच ली।

इस जमीन का सरकारी मूल्य एक करोड़ 48 लाख 72 हजार 420 रुपए है। इस पहली कागजी खरीद-फरोख्त के बाद धीरेन्द्र ने करीब 10 एकड़ जमीन एक करोड़ में मंडला की वृंदावन एसोसिएट्स को बेच दी। इस फर्म में जबलपुर व मंडला के आधा दर्जन से ज्यादा डेवलपर पार्टनर हैं।

कई सवाल अनुत्तरित

मेहेरबाबा चेरिटबिल ट्रस्ट (मंडला) के न्यासी प्रबंधक धीरेन्द्र चौधरी कौडिय़ों के मोल हुए इस सौदे को लेकर बात नहीं करते। मोबाइल नंबर 7828056077 पर संपर्क करने पर उन्होंने इस मामले में बात करने से मना कर दिया। वाट्सएप तथा ई-मेल पर भेजे सवालों का भी जवाब नहीं दिया।

लिहाजा यह सवाल अनुत्तरित हैं कि, एम. एस. ईरानी के नाम पर दर्ज ट्रस्ट की मिल्कियत वाली जमीन बेचने के लिए उन्होंने खुला ऑफर न मंगाते हुए खुद ही क्यों न्यूनतम मूल्य पर जमीन खरीदी।

चूंकि जमीन के विक्रेता और क्रेता वे स्वयं रहे, लिहाजा जमीन के 75 लाख रुपए उन्होंने किस तरह और ट्रस्ट के किस खाते में जमा कराए। यह बात भी पर्दे में है कि जमीन की खरीद-फरोख्त के लिए प्रबंधक धीरेन्द्र ने मेहेरबाबा चेरिटबिल ट्रस्ट (मंडला) के न्यासी सदस्यों की सहमति ली भी या नहीं।

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