मंडला: मंडला के ‘लखराम बगीचा’ को लग गई सौदागरों की नजर

  • आम के इस बगीचे को जमीन के सौदागरों की ऐसी नजर लगी की एक-एक कर पेड़ कटते गए
  • जमीन पर कब्जे होते रहे और वैध-अवैध कॉलोनियां तथा निजी मकान बन गए।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-11 09:48 GMT

डिजिटल डेस्क,मंडला। यह चित्र जिला मुख्यालय से सटी ग्राम पंचायत देवदरा स्थित लखराम के बगीचा का है। यहां मेहर कुटी और इसके आसपास के करीब 23 एकड़ क्षेत्र में एक लाख आम के पेड़ हुआ करते थे, इसीलिए इसका नाम ‘लखराम का बगीचा’ पड़ा।

आम के इस बगीचे को जमीन के सौदागरों की ऐसी नजर लगी की एक-एक कर पेड़ कटते गए, जमीन पर कब्जे होते रहे और वैध-अवैध कॉलोनियां तथा निजी मकान बन गए। अब यहां कुछ सैकड़ा ही आम के पेड़ बचे हैं, जिनका अस्तित्व भी अब खतरे में हैं।

दरअसल, आम के बगीचे और इसके आसपास की जमीन का बड़ा हिस्सा जबलपुर व मंडला के डेवलपर्स ने खरीद लिया है। इस जमीन की खरीद-फरोख्त रोचक तरीके से महाराजपुर (मंडला) स्थित चौधरी बाड़े के उस शख्स के जरिए हुई जिसके पूर्वजों ने इस शहर को अधिकाधिक जमीन ‘दान’ में दी।

तरीका वही पुराना, ‘दान’ की जमीन वापस ली और जबलपुर व मंडला के डेवलपर को बेच दी। इस सौदे के साथ, ग्राम पंचायत देवदरा स्थित ‘लखराम के बगीचे’ का बचा-खुचा अस्तित्व भी संकट में पड़ गया है।

देवदरा सहित समूचे जिले की जनता की नजर प्रशासन पर है कि वह ‘लखराम के बगीचे’ में बचे आम के पेड़ों को बचाने क्या कदम उठाता है?

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