मंडला: गलत जानकारी देकर अतिक्रमण वाली जमीन दान में दी और सच को छिपाते हुए करा दी रजिस्ट्री

  • मेहेर बाबा ट्रस्ट की ‘दान की जमीन’ का मामला
  • अहमदनगर वाले ट्रस्ट के साथ प्रशासन को भी दिया धोखा
  • खसरा नंबर 159 की यह अतिक्रमण युक्त जमीन मैहर बाबा के अहमदनगर ट्रस्ट को दान में दी गई है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-15 09:18 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर/मंडला। ट्रस्ट की मिल्कियत वाली एम.एस. ईरानी उर्फ मेहेर बाबा की जमीन जबलपुर तथा मंडला के डेवलपर को बेचने के जुननू में मंडला ट्रस्ट के न्यासी प्रबंधक धीरेन्द्र चौधरी अहमदनगर (महाराष्ट्र) वाले ट्रस्ट के साथ प्रशासन को भी धोखा देने से बाज नहीं आए।

सितंबर 2023 में अदालत के बाहर हुए समझौते के तहत एम.एस. ईरानी की मूल संस्था ‘श्री अवतार मेहेरबाबा परपीचूअल पब्लिक चेरिटबिल ट्रस्ट’ को बाबा के सद् व धर्म कार्यों के लिए खसरा नंबर 159 की जो 4.40 एकड़ जमीन दान में दी गई, उससे जुड़े तथ्य (सच) ट्रस्ट की अथॉरिटीज के साथ प्रशासन से भी धीरेन्द्र ने छिपाए।

बिना प्रतिफल अहमदनगर ट्रस्ट को दान दी गई जमीन की रजिस्ट्री कराते समय जो ‘डीड’ तैयार कराई गई उसमें जमीन पर अतिक्रमण वाली बात छिपाते हुए यह लिखा गया कि ‘दान के रकबा में किसी भी प्रकार का आवासीय या व्यवसायिक निर्माण नहीं है। दान का रकबा पूर्णत: रिक्त है।’

यह है स्थिति

दान की गई 4.40 एकड़ जमीन की सीमा से सट कर बने वन विभाग के कार्यालय की तार बाड़ी के अंदर खसरा नंबर 159 का भी कुछ हिस्सा है। देवदरा में पेयजल सप्लाई के लिए बनाई गई पानी की टंकी भी इसी जमीन पर है।

सामने सडक़ वाले हिस्से में करीब एक दर्जन अस्थायी कब्जे हैं, जिसमें से कुछ व्यवसायिक भी हैं जबकि पीछे की तरफ चार-पांच पक्के निर्माण भी दान की गई जमीन पर हैं।

157 व 158 पर स्थिति और बुरी

एम.एस. ईरानी को दान में मिली 72.40 एकड़ जमीन देख-रेख के अभाव में थोड़े-थोड़े अंतराल परं घटती गई। प्रथम व्यवहार न्यायाधीश (वर्ग 2) के 10 अप्रैल 1980 के फैसले के बाद मंडला ट्रस्ट के पास 157, 158 व 159 खसरा की 27.70 एकड़ जमीन बची।

158 की 0.66 एकड़ जमीन पर पक्की सडक़ के साथ 18 पक्के निर्माण हैं। इसके पूरे रकबे पर अतिक्रमण होने के कारण धीरेन्द्र ने इसकी जमीन मंडला ट्रस्ट के खाते में ही छोड़ दी। जिस 157 नंबर की करीब 95 फीसद जमीन की खरीद-फरोख्त हुई उस पर करीब 30 रहवासी व 20 अस्थायी कब्जे हैं। जिला उद्योग केन्द्र के देवदरा औद्योगिक क्षेत्र का एक हिस्सा भी ताजा सीमांकन में खसरा नंबर 157 में शामिल पाया गया है।

करीब साढ़े चार हजार स्क्वायर फीट में स्टील फेब्रिकेशन यूनिट तथा रूई उद्योग लगा है। जपसहमति से बना दुर्गा-काली मंदिर तथा इसकी देखरेख करने वाले का रहवास भी यहीं पर है। यह सारे तथ्य जमीनों की रजिस्ट्री कराते वक्त छिपाए गए। इसकी 0.4 हेक्टेयर जमीन भी अभी मंडला ट्रस्ट की मिल्कियत में है।

इसलिए छिपाई निर्माण और कब्जे की बात

जानकारों के अनुसार दान की गई जमीन पर यदि अतिक्रमण या कच्चे-पक्के अवैध कब्जे की बात आती तो न यह जमीन दान में दी जा सकती थी और न ही पटवारी, तहसीलदार व एसडीएम की एनओसी के बिना रजिस्ट्री हो पाती।

चूंकि धीरेन्द्र को अहमदनगर ट्रस्ट से चल रहा विवाद सुलझाते हुए ,157 नंबर की जमीन अपने जबलपुर तथा मंडला के सहयोगी डेवलपर को बेचने की जल्दी थी इसलिए वह सच को छिपा ले गए।

ट्रस्ट को यह जमीन इसलिए मुफीद लगी क्योंकि यहीं पर मेहेरबाबा (एम.एस. ईरानी) की कुटी है। पेड़ के नीचे शंकर जी का मंदिर और कुऑं भी है। देवदरा व इस जमीन की पहचान ‘आम के पेड़’ भी यहां हैं।

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