मंडला: दान की जमीन का नामांतरण अटका, 157 नंबर की खरीद-फरोख्त को एसडीएम कोर्ट में चुनौती
- मेहेर बाबा ट्रस्ट की जमीन का मामला
- अपील, आपत्तियों और शिकायतों के बीच जबलपुर तथा मंडला के डेवलपर ने खसरा नंबर 157 पर अपनी गतिविधियों तेज कर दी है।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर/मंडला। मेहेर बाबा चेरिटबिल ट्रस्ट (मंडला) के न्यासी प्रबंधक धीरेंद्र चौधरी द्वारा अहमदनगर के ‘श्री अवतार मेहेरबाबा परपीचूअल पब्लिक चेरिटबिल ट्रस्ट’ को दान में दी गई खसरा नंबर 159 की 4.40 एकड़ जमीन का नामांतरण अटक गया है।
वजह, जिस दान दी गई जमीन को ‘क्लीन लैँड’ बताया गया था, वहां प्रशासनिक जांच में भी स्थायी-अस्थायी कब्जे होने सहित अन्य कई विसंगतियां पाई गई हैं। लिहाजा, नामांतरण प्रक्रिया रोक दी गई है। इधर जिस खसरा नंबर 157 की करीब 21 एकड़ जमीन की खरीद-फरोख्त की पूरे मंडला में चर्चा है, उस सौदे के खिलाफ एसडीएम कोर्ट में अपील-आपत्ति पेश की गई है।
अपील और आपत्ति लगाई है मंडला ट्रस्ट के न्यासी सदस्य रहे (18 जून 2018 से 3 जून 2024) शैलेन्द्र चौधरी ने। गौरतलब है कि जिस समय मंडला ट्रस्ट की मिल्कियत में रही एम.एस.ईरानी उर्फ मेहेर बाबा की करीब 27 एकड़ जमीन को लेकर अहमदनगर ट्रस्ट के साथ समझौता हुआ और उसके बाद जमीन की खरीद-फरोख्त हुई उस समय शैलेन्द्र मेहेर बाबा चेरिटबिल ट्रस्ट (मंडला) के सदस्य थे।
शैलेन्द्र ने एसडीएम को प्रस्तुत अपनी अपील में उक्त समझौते , दान दी गई जमीन व खरीद-फरोख्त को लेकर ट्रस्ट के सदस्य के नाते उनकी सहमति न होने तथा उन्हें इसकी जानकारी आदि न दिए जाने की बात कही है।
उन्होंने इसे ‘अमानत में खयानत’ बताते हुए कहा कि इस पूरे मामले में ट्रस्ट के नियम दरकिनार रखे गए। उन्होंने खसरा नंबर 157 की जमीन के नामांतरण को भी चुनौती दी है।
पटवारी के प्रतिवेदन से सच आया सामने
अहमदनगर ट्रस्ट को दान दी गई खसरा नंबर 159 की जमीन को लेकर पटवरी द्वारा प्रशासन को प्रस्तुत प्रतिवेदन में भी उक्त जमीन ‘क्लीन’ नहीं होने की बात कही गई है। प्रतिवेदन में पटवारी ने अहमदनगर ट्रस्ट को दान दी गई जमीन पर करीब 16 स्थाई-अस्थाई कब्जों के साथ चार पक्के निर्माण, पानी की टंकी तथा वन विभाग के कार्यालय की तार बाड़ी और उसके अंदर की कुछ जगह होना बताया गया है।
इस जमीन पर सालों से यहां रह और व्यवसाय कर रहे कब्जाधारियों ने भी तहसीलदार के पास शिकायती आवेदन दिया है। लिहाजा इस जमीन के नामांतरण में गलत जानकारी देने तथा कब्जे का रोड़ा आ गया है।
धारा 44 के तहत अपील
ट्रस्ट की जमीन की बंदरबांट तथा सौदे के मुख्य सूत्रधार व मंडला ट्रस्ट के न्यासी प्रबंधक धीरेन्द्र चौधरी के छोटे भाई शैलेन्द्र ने खसरा नंबर 159 तथा 157 की 25 एकड़ से अधिक जमीन को लेकर एसडीएम कोर्ट में अपील की लगाई है।
अपील के पक्ष में उन्होंने जमीन की खरीद-फरोख्त व दान प्रक्रिया के समय आपत्ति पेश नहीं करने की वजह उनका गुजरात में रहना और समझौते तथा सौदे के समय ट्रस्ट का सदस्य होने के बावजूद उन्हें न्यासी प्रबंधक धीरेन्द्र द्वारा जानकारी न देना बताया है।
उन्होंने खसरा नंबर 157 के नामांतरण को लेकर तहसीलदार द्वारा दिए फैसले को भी यह कहते हुए चुनौती दी है कि इसमें न तो राजस्व दस्तावेजों व अभिलेखों कासूक्ष्मता से अवलोकन किया गया है और न ही विधिक प्रक्रिया का पालन किया गया।
कब्जेधारियों को बारिश तक का अल्टीमेटम
मंडला तथा अहमदनगर ट्रस्ट की अथॉरिटीज के बीच अदालत केे बाहर हुए समझौते के तहत मेहेर बाबा चेरिटबिल ट्रस्ट की मिल्कियत वाली 27 एकड़ जमीन के बटवारे के बाद खसरा नंबर 157 की 10 एकड़ जमीन पर जबलपुर व मंडला के सौदागरों ने अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं।
टीन की चादर से अपनी जमीन की सीमाओं को तो सुरक्षित किया ही जा रहा है, कब्जेधारियों को भी बारिश तक का अल्टीमेटम दिया है। राजीव कॉलोनी वाली रोड की तरफ एक दर्जन से अधिक अस्थाई झोपड़ी बना कर करीब 35 साल से रह रहे उभयचंद्र विश्वकर्मा, राहुल विश्वकर्मा व तोला विश्वकर्मा के परिवार वालों को नए भू-स्वामी (डेवलपर) द्वारा अल्टीमेटम देते हुए कहा गया है कि ‘बारिश तक यहां रह लो, उसके बाद जमीन खाली करना पड़ेगी।’
ज़मीन की खरीद फरोख्त की जानकारी के बाद ये लोग कलेक्टर के पास भी अपनी शिकायत लेकर पहुंचे हैं। जनसुनवाई में भी यह बात उठी थी।