मानसिक रूप से कमजोर नाबालिग से रेप, मिली आजीवन कारावास की सजा

मानसिक रूप से कमजोर नाबालिग से रेप, मिली आजीवन कारावास की सजा

Bhaskar Hindi
Update: 2018-02-02 11:53 GMT
मानसिक रूप से कमजोर नाबालिग से रेप, मिली आजीवन कारावास की सजा

डिजिटल डेस्क मंडला। महाराजपुर थाना क्षेत्र में मानसिक रूप से कमजोर  नाबालिग से ज्यादती के मामले में विशेष न्यायालय पाक्सो एक्ट ने आरोपी को दोषी पाया है। न्यायाधीश एके सौंदिया ने आरोपी को आजीवन (अवशेष प्राकृतिक जीवन) के कारावास से दण्डित किया है।
प्रकरण के संबंध में जिला लोक अभियोजन अधिकारी अरूण कुमार मिश्रा ने बताया है कि 29 मई 2017 को पीडि़ता की मां ने थाने में उपस्थित होकर रिपोर्ट दर्ज कराई की मानसिक रूप से कमजोर बेटी को स्नान कराने के दौरान उसका पेट फूला देखा। मां ने नाबालिग से इसके बारे में जानकारी ली। पति को जानकारी देकर जिला चिकित्सालय मंडला में जांच कराई। जिसमें डॉक्टर ने तीन से चार माह का गर्भ बताया।
मां ने नाबालिग पीडि़ता से इस संबंध में पूछा। जिसके बाद पीडि़ता ने बताया कि लंगड़ू उर्फ सुरेन्द्र भांवरे पिता गोवर्धन भांवरे 23 साल निवासी पीपरपानी ने पैसा दूंगा कहकर मढैया में ले गया। यहां पीडि़ता के साथ ज्यादती की। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा  363,  366 (क), 376 (2) (आई) (एल) (एन), लैंगिग अपराध से बालकों के संरक्षण अधिनियम की धारा 5 (जे) (के) (एल) के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया। प्रकरण की जांच तत्कालीन चौकी प्रभारी रामबाबू शर्मा के द्वारा की गई।
               प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। जहां प्रस्तुत साक्ष्य और गवाहों की विस्तृत परीक्षण के बाद विशेष न्यायाधीश एके सौंदिया ने आरोपी को दोषी पाया। धारा 363 में तीन वर्ष कारावास, एक हजार रूपये अर्थदण्ड, 366 (क) में पांच वर्ष कारावास और एक हजार रूपये अर्थदण्ड, धारा 376 376 (2) (आई) (एल) (एन), में आजीवन कारावास, (अवशेष प्राकृतिक जीवन) और पांच हजार रूपये अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। लैंगिग अपराध से बालकों के संरक्षण अधिनियम की धारा 5 (जे) (के) (एल) धारा 6 के तहत आजीवन कारावास और पांच हजार रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया।
न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि पीडि़ता पर हुए अपराध के परिणाम स्वरूप वह मानसिक और शरीरिक रूप से प्रतिकूलता प्रभावित हुई है। वह सामान्य ग्रामीण परिवेश की है। ऐसी परिस्थिति में उसे अग्रिम जीवन यापन के लिए समुचित प्रतिकर दिलाना उचित है। धारा 357 के अधीन अधिनिर्णीत किये जाने वाला प्रतिकर ऐसे पुर्नवास के लिए पर्याप्त नहीं है। लैंगिग अपराध से बालकों से संरक्षण अधिनियम 2012 के नियम 7 एवं धारा 33 (8) के अंतर्गत बालक की सुरक्षा के लिए पीडि़त के लिए प्रतिकर योजना के तहत उसे प्रतिकर दिलाने की अनुशंसा की जाती है।  निर्णय की प्रतिलिपि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मंडला को प्रेषित की जाए।

 

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