अस्पताल में प्रसूताओं को नहीं मिल रहा पौष्टिक लड्डू, हो रहा स्वास्थ्य से खिलवाड़

अस्पताल में प्रसूताओं को नहीं मिल रहा पौष्टिक लड्डू, हो रहा स्वास्थ्य से खिलवाड़

Bhaskar Hindi
Update: 2019-05-31 08:23 GMT
अस्पताल में प्रसूताओं को नहीं मिल रहा पौष्टिक लड्डू, हो रहा स्वास्थ्य से खिलवाड़

डिजिटल डेस्क, शहडोल। जिला चिकित्सालय में प्रसव पूर्व तथा बाद की भर्ती महिलाओं को पौष्टिक लड्डू (सिठौरा) के प्रदाय में गड़बड़ी सामने आई है। भर्ती महिलाओं को पिछले चार दिनों से इस लड्डू का वितरण नहीं हो रहा है। जिसके कारण प्रसूता महिलाओं के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है। अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में 50 से अधिक महिलाएं प्रसव के बाद तथा करीब 25 महिलाएं प्रसव पूर्व भर्ती होती हैं। सामान्य प्रसव के दौरान 2 से 3 दिन तथा ऑपरेशन से प्रसव होने के बाद कम से कम 7 दिन तक भर्ती रहना होता है। शासन के निर्देश हैं कि महिलाओं को प्रतिदिन पौष्टिक लड्डू का वितरण कराना है। ताकि उनका स्वास्थ्य बेहतर हो सके। लड्डू वितरण कार्य का ठेका प्रबंधन ने दिया है। ठेकेदार द्वारा वितरण में मनमानी की जा रही है। वार्ड में भर्ती प्रसूता महिलाओं ने बताया कि चार दिन पहले लड्डू मिला था। सीजर के बाद भर्ती एक महिला के परिजनों ने बताया कि वे पांच दिन से भर्ती हैं, उन्हें तो आज तक लड्डू नहीं मिला। इसी प्रकार अन्य महिलाओं ने लड्डू नहीं मिलने की जानकारी दीे। यह भी पता चला कि सप्ताह में एकाध दिन वितरण ही नहीं किया जाता।

इनका कहना है-
लड्डू का वितरण नियमित रूप से कराया जाना है, यदि नहीं हो रहा है तो पता लगाकर वितरण सुनिश्चित किया जाएगा, साथ ही ठेकेदार के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. उमेश नामदेव, सिविल सर्जन

कुंवरसेजा रेत खदान की लिमिट खत्म, पोर्टल बंद

नरवार ग्राम पंचायत अंतर्गत कुंवरसेजा रेत खदान की रॉयल्टी की लिमिट खत्म हो गई है। इसके चलते 26 मई से ही पोर्टल बंद हो गया है। इसमें संदेश आ रहा है कि खदान से रेत की मात्रा समाप्त हो चुकी है, अब इस खदान के लिए प्रवेश पत्र जारी नहीं किया जा सकता है। बताया जाता है कि मई माह में ही यहां से करीब 50 लाख रुपए से ऊपर की रायल्टी ऑनलाइन काटी गई है। कुंवरसेजा रेत खदान का संचालन ग्राम पंचायत कर रही थी। गांव के सरपंच मूरत सिंह ने 27 मई को शहडोल कलेक्टर को पत्र के माध्यम से इस बात की जानकारी दे दी है कि कुंवरसेजा रेत खदान 26 मई तक संचालित था। खदान में रेत की मात्रा खत्म होने और रेत परिवहन की क्वांटिटी भी पूर्ण हो जाने के कारण मप्र शासन द्वारा पोर्टल बंद कर दिया गया है। पत्र में यह भी कहा गया है कि खदान पर अब पंचायत की कोई जवाबदारी नहीं है। 
 

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