Shahdol News: रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव की तैयारियों के बीच मूलभूत सुविधाओं की कमी बड़ी समस्या
- सडक़ें खराब, ट्रेनों की कनेक्टिविटी नहीं
- अंचल के नागरिक और जनप्रतिनिधि एयरपोर्ट निर्माण की मांग लंबे अरसे से कर रहे हैं।
- जमीन का मसला निपटते ही डीपीआर तैयार करने की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
Shahdol News: संभाग मुख्यालय शहडोल में रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव की तैयारियों के बीच बड़ी समस्या कनेक्टिविटी की है। शहडोल संभाग मुख्यालय से बड़े शहरों तक सडक़ की अच्छी सुविधा नहीं है। एनएच-43 में शहडोल से उमरिया के बीच 73 किलोमीटर 9 साल में नहीं बनी। ट्रेन कनेक्टिविटी में दिल्ली और कोलकाता को छोडक़र अन्य महानगर जैसे मुंबई, चेन्नई, बैंगलुरू, पुणे, हैदराबाद के लिए ट्रेनें नहीं हैं। अंचल के नागरिक और जनप्रतिनिधि एयरपोर्ट निर्माण की मांग लंबे अरसे से कर रहे हैं। शहडोल के लालपुर में एयरपोर्ट निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया विमानन विभाग में नौ माह से लंबित है।
ऐसे समझें एमपीआईडीसी की लापरवाही
एमपीआईडीसी (मध्यप्रदेश इंडस्ट्रियल डेव्लपमेंट कार्पोरेशन) द्वारा दीयापीपर औद्योगिक इकाई को विकसित करने के लिए 2017 में काम प्रारंभ किया। 7 साल में यह क्षेत्र विकसित नहीं हुआ। शहर स्थित नरसरहा इंडस्ट्रियल एरिया में अब जगह नहीं बची। किसी भी बड़ी औद्योगिक इकाई को शहर से बाहर ही स्थापित किया जा सकता है। इसके लिए दीयापीपर उपयुक्त स्थान होगा अगर एमपीआईडीसी तैयार कर ले तो।
इस संबंध में एमपीआईडीसी रीवा के ईडी यूके तिवारी का कहना है कि दीयापीपर औद्योगिक इकाई का डीपीआर तैयार करने के दौरान पता चला कि बीच में किसानों की कुछ जमीन आ गई है। इस सिलसिले में कमिश्नर व कलेक्टर से मुलाकात की है। जमीन का मसला निपटते ही डीपीआर तैयार करने की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
शहडोल में औद्योगिक इकाइयां स्थापित हों इसके लिए जरूरी है कि प्राकृतिक संसाधनों से लेकर खेती और अन्य संसाधनों के बीच बेहतर समन्वय। अभी स्थिति यह है कि कोई छोटी इकाई खुलती है तो उसे ही चलाने में बहुत कठिनाई होती है। रायपुर के लोगों का मुंबई में काम पड़ जाए तो दिनभर में पांच से ज्यादा फ्लाइट है। शहडोल में तो एयरपोर्ट ही नहीं है।
-कमल गिलानी शहडोल
औद्योगिक विकास के लिए जरूरी बातें
एंटरप्रेनरशिप यानी किसी नए काम को शुरू करने के लिए संगठन भावना का अभाव। अभी यह स्थिति यह है कि फ्लाईएश बनाने की एक इकाई खुली तो साथ में 10 और खुल गई। डिमांड एक लाख ईंट की है तो बन रही 6 लाख। इससे सभी संचालक परेशान। राइस मिल 41 रनिंग में है। इनके लिए पर्याप्त धान मिल जाए तो यही बड़ी बात है। जरूरी है कि अलग-अलग सेक्टर में छोटी इकाइयां स्थापित हों, जिससे समन्वय के साथ काम हो सके।
शहडोल संभाग आदिवासी बहुल क्षेत्र है। व्यापार के मामले में लोगों की सोचने-समझने की क्षमता विकसित हो इसके लिए जरूरी है कि एक आईआईएम (भारतीय प्रबंध संस्थान) खोला जाए। जिससे अंचल के युवाओं में नौकरी करने के बजाय रोजगार देने का ब्रेन विकसित हो।
पहले मिर्जापुर से रायपुर तक भारत माला प्रोजेक्ट बना था, लेकिन किन्ही कारणों से वह मूर्तरूप नहीं ले सका। अभी रीवा से टेटकामोड़ और टेटकामोड़ से शहडोल सडक़ बन रही है। इसे टुकड़ों में ही सही रायपुर तक विस्तार किया जाना जरूरी होगा।
शहडोल संभाग में कोयला, पानी, बिजली, मार्बल, बाक्साइड, क्वाट्र्ज सहित अन्य खनिज संपदा बहुतायत में है। जरूरी है इसकी एक मैप तैयार हो। जिससे लोगों को जिस भी क्षेत्र में उद्योग लगाना हो तो उन्हे पता रहे कि कहां क्या काम किया जा सकता है।
- औद्योगिक इकाइयां स्थापित हो इसके लिए कनेक्टिविटी बहुत जरूरी है। खासकर सडक़ और ट्रेन। जब हमारी फैक्ट्री चलती थी तो सेक्रिन के चार डिब्बे मुंबई भेजने के लिए एक आदमी कटनी भेजना पड़ता था, क्योंकि शहडोल से ट्रेन व सीधी सडक़ की सुविधा नहीं होने से ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं थी।
संजय मित्तल शहडोल