Shahdol News: हाथियों को गांव से दूर भगाने धरने पर ग्रामीण

  • आखेटपुर और आसपास गांव के लोग परेशान, एसडीएम ने वन विभाग को दी जानकारी
  • शनिवार को ब्यौहारी एसडीएम नरेंद्र सिंह धरनास्थल पहुंचे और ग्रामीणों से मुलाकात की।
  • कई परिवार आर्थिक तंगी के मुहाने पर पहुंच गए हैं।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-25 09:12 GMT

Shahdol News: आखेटपुर ग्राम पंचायत के नागाडोल में स्थानीय ग्रामीणों का धरना रविवार को लगातार तीसरे दिन भी जारी रहा। गांव के आसपास विचरण कर रहे 20 हाथियों के समूह को आबादी से दूर किये जाने की मांग को लेकर धरने पर बैठे ग्रामीणों ने बताया कि प्रशासन ने अधिकारी समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। हाथी रात में गांव आते हैं और घर पर रखी अनाज खा जाते हैं। खेत व बाड़ी में फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

इससे कई परिवार आर्थिक तंगी के मुहाने पर पहुंच गए हैं। हाथियों से हुए नुकसान के बाद समय पर आर्थिक मदद भी नहीं मिलती है। जंगली हाथियों से होने वाली समस्या को लेकर ग्रामीण शुक्रवार दोपहर से धरने पर बैठे हैं। शनिवार को ब्यौहारी एसडीएम नरेंद्र सिंह धरनास्थल पहुंचे और ग्रामीणों से मुलाकात की।

धरना समाप्त करने की बात कही, लेकिन ग्रामीण नहीं माने और रविवार को भी धरना जारी रहा। एसडीएम ने बताया कि ग्रामीणों की मांग से कलेक्टर डॉ. केदार सिंह के साथ ही वन विभाग के अधिकारियों को अवगत कराया गया है।

वन विभाग सिर्फ अपनी सीमा से दूर करने का काम कर रहा

जिला पंचायत सदस्य पुष्पेंद्र पटेल ने बताया कि जंगली हाथी संजय टाइगर रिजर्व (एसटीआर) की सीमा में पहुंचे तो वहां के कर्मचारी पटाखे फोडक़र शहडोल जिले के उत्तर वनमंडल की सीमा तक छोड़ देेते हैं। यहां के वनकर्मी एसटीआर की सीमा की ओर खदेड़ देते हैं।

एसटीआर और वन विभाग के बीच यही प्रतिस्पर्धा चलती रहती है और इसका खामियाजा आसपास के ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।

कोईलारी से आखेटपुर तक फेसिंग की मांग

धरने पर बैठे ग्रामीणों की मांग है कि कोईलारी गांव से आखेटपुर तक सोलर झटका तार की फेसिंग करवाई जाए। जिससे बाघ व दूसरे वन्यप्राणियों से नुकसान कम हो सके। हाथियों को टाइगर रिजर्व की सीमा के अंदर किया जाए। आबादी से जल्द से जल्द दूर किया जाए।

समूह में दो छोटे बच्चे

आखेटपुर के पास जिन जंगली हाथियों का समूह विचरण कर रहा है उसमें दो छोटे बच्चे हैं। इनका जन्म अक्टूबर माह में ही हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों के लिए हाथी गांव के आसपास दो से तीन माह रुक गए तो इस स्थान को स्थाई ठिकाना बना सकते हैं। इससे आसपास गांव में ग्रामीणों का रहना मुश्किल हो जाएगा।

इन गांव के लोग परेशान

आखेटपुर, बोचरो, सरवाही, देवरांव, खरपा, साखी, गुढ़, बोड्डिहा व बनासी

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