राजराजेश्वर दरबार सुन्दरकाण्ड मंडल का ग्रहण पर आयोजन

कार्यक्रम राजराजेश्वर दरबार सुन्दरकाण्ड मंडल का ग्रहण पर आयोजन

Bhaskar Hindi
Update: 2022-10-27 12:08 GMT
राजराजेश्वर दरबार सुन्दरकाण्ड मंडल का ग्रहण पर आयोजन

डिजिटल डेस्क, अकोला. दीपावली के दूसरे दिन 25 अक्टूबर को दोपहर 3 बजे से लगे ग्रहण के समय में अकोला के विख्यात श्री राजराजेश्वर दरबार सुन्दरकाण्ड मंडल की ओर से सामुहिक रुप से सुन्दरकाण्ड का पठन व गायक किया गया। ग्रहण काल में नामजप और सुन्दरकाण्ड का विशेष महत्व होता है। इसे देखते हुए अकोला के अराध्य देवता श्री राजराजेश्वर मंदिर में इसका आयोजन किया गया। सुन्दरकाण्ड के श्रवण के लिए मंदिर में अनेक श्रध्दालुओं की भीड़ लगी रही। ग्रहण काल के दौरान राजेश्वर सुन्दरकाण्ड मंडल की ओर से भजन और नाम जप भी किया गया। ग्रहण के समय हरिनामजप और सुन्दरकाण्ड के महत्व को देखते हुए शाम 6.30 बजे तक चले इस सुन्दरकाण्ड का लाभ सभी विगत 25 वर्षोें से श्री राजराजेश्वर दरबार सुन्दरकाण्ड मंडल की ओर से सुन्दरकाण्ड का पठन किया जा रहा है। मंगलवार को लगे सूर्य ग्रहण में ग्रहण काल के दौरान विविध धार्मिक कार्यक्रम को का आयोजन किया गया। इसमें अकोला के अराध्य राजराजेश्वर मंदिर में आयोजित सुन्दरकाण्ड में ‘मंगल भवन अमंगल हारी की सुमधुर ध्वनी से परिसर भक्तिमय हो उठा और सहभागी श्रध्दालु भक्तिरस में डूब गए और मंदिर परिसर गूंज उठा। इस कार्यक्रम का आयोजन राजराजेश्वर आरती मंडल की ओर से किया गया। जिसमें आरती मंडल के सदस्य राजू चालसे, महादेव भोबले, गोपाल मांडेकर, ललित अग्रवाल, सचिन भिरड, प्रभाकर भोवले, बाबूराव मोकाट, नवथले, इंगले एवं नरेश लोहिया, श्रीरामभाऊ भक्त आदि ने गायकों का स्वागत किया। जिसमें  राज राजेश्वर दरबार सुंदरकांड मंडल के पं. कीर्तनकार श्याम शर्मा के साथ देवेंद्र तिवारी, कमलेश वर्मा, डॉ.महेश इन्नाणी, योगेश कस्तूरे, दीपक (भट्टू) तिवारी, दीपक शर्मा, दिलीप वानखडे, आत्माराम, नितिन गायकवाड, मनीष वर्मा, अमित खंडेलवाल का स्वागत सुन्दरकाण्ड के बाद किया गया। कार्यक्रम में पंडित श्याम शर्मा ने ग्रहण काल में नाम जप का महत्व एवं सभी ऋषि संतान है, कोई भी जाति में छोटा-बड़ा नहीं इसका उदाहरण शास्त्र साक्षी रखकर बताया। मंदिर में पूजन के समय जाति नहीं ऋषि गोत्र बताकर पूजा की जाती है और जिनकों गोत्र नहीं पता उन्हें कश्यप गोत्र का उच्चारण करना होता है। लगभग २५ वर्षो से ग्रहणकाल में अकोला के आराध्य एवं विदर्भ की काशी श्री राज राजेश्वर मंदिर में सैकड़ों भक्तों की उपस्थिति में यह पठन का आयोजन होता है। सुन्दरकाण्ड के समापन के बाद आरती कर अराध्य देवता के चरणों में श्रध्दा अर्पण की गई।


 

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