धान खरीदी के मुद्दे पर हो रही केवल राजनीति, हो रहा उद्घाटन पर शुरू नहीं की खरीदी  

गोंदिया धान खरीदी के मुद्दे पर हो रही केवल राजनीति, हो रहा उद्घाटन पर शुरू नहीं की खरीदी  

Bhaskar Hindi
Update: 2022-11-09 13:45 GMT
धान खरीदी के मुद्दे पर हो रही केवल राजनीति, हो रहा उद्घाटन पर शुरू नहीं की खरीदी  

डिजिटल डेस्क, गोंदिया. जिले में धान की फसल किसानों के हाथ मंे आ चुकी है, लेकिन शासकीय धान खरीदी केंद्र शुरू नहीं हो रहे हैं। जिला मार्केटिंग फेडरेशन ने 99 धान खरीदी केंद्रों को खरीदी शुरू करने की अनुमति दे दी है। इनमें से कुछ केंद्रों के उद्घाटन भी हुए हैं, लेकिन प्रत्यक्ष में स्थिति यह है कि, अभी तक किसी भी धान खरीदी केंद्र में धान की खरीदी शुरू नहीं हुई है। जिसके चलते किसानों के सामने एक नया संकट निर्माण हो गया है। एक ओर समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए शासकीय खरीदी केंद्र शुरू नहीं हो रहे हैं। वहीं दूसरी ओर निजी व्यापारियों के हाथों में माल बेचने पर किसानों को उनकी फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा है। जिला मार्केटिंग अधिकारी ने 1 नवंबर से जिले में प्रत्यक्ष धान खरीदी शुरू करने की बात कही थी। इस संबंध में आदेश दिए जाने के बावजूद अब तक किसी भी केंद्र पर खरीदी शुरू नहीं हुई है। जिसके कारण किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। जिले के सभी दलों के जनप्रतिनिधि लगातार तत्काल धान खरीदी शुरू करने की मांग कर रहे हैं। इस संबंध में एक शासकीय धान खरीदी केंद्र संचालक ने अपना नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताया कि, केवल खरीदी केंद्र शुरू करने की अनुमति देना ही पर्याप्त नहीं है। जिले को धान खरीदी का शासकीय लक्ष्य दिया जाता है। जिसके बाद फेडरेशन द्वारा शासकीय धान खरीदी केंद्रों को मौसम में कुल कितना धान खरीदना है और प्रति हेक्टेयर कितने क्विंटल धान की खरीदी करना है

यह भी बताया जाना चाहिए, लेकिन इस प्रकार की अब तक कोई सूचना नहीं दी गई है। जिसके कारण असमंजस की स्थिति बरकरार है और प्रत्यक्ष खरीदी शुरू नहीं हो पा रही है। गौरतलब है कि, इस वर्ष देर तक हुई बारिश के कारण किसानों को पहले ही काफी नुकसान हो चुका है। क्योंकि दिवाली से पूर्व धान की कटाई बारिश के कारण संभव नहीं हो पाई थी। बारिश बंद होने के बाद जैसे-तैसे कटाई शुरू हुई है। तो खरीदी केंद्र शुरू नहीं है। ऐसे में किसान असमंजस की स्थिति में हैं और अपनी आवश्यकता पूरी करने के लिए निजी व्यापारियों के हाथों धान की बिक्री कर रहे हैं। कृषि उपज मंडियों में भी धान की आवक अब बढ़ने लगी है। जहां बाेली लगाकर धान की खरीदी की जाती है। धान खरीदी केंद्रों पर इस समय राजनीति भी जमकर की जा रही है। जहां सत्ताधारी जनप्रतिनिधि देखो और इंतजार करो की नीति अपनाए हुए हैं। वहीं दूसरी ओर विपक्ष के जनप्रतिनिधि प्रतिदिन धान खरीदी केंद्र शुरू करने की मांग करते हुए जल्द शुरू न करने पर आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं, लेकिन वस्तुस्थिति यह है कि सत्ता और विपक्ष के खेल में जिले के किसान मात्र मोहरा बने हुए हैं। 

न डीएमओ मिलते हैं और न ही कोई और देता है जानकारी : धान खरीदी केंद्रों पर प्रत्यक्ष धान खरीदी के मुद्दे पर जानकारी लेने की कोशिश करने पर जिला मार्केटिंग अधिकारी मनोज बाजपेयी अधिकांश समय कार्यालय में मिलते ही नहीं एवं लगातार मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास करने के बावजूद रिप्लाई नहीं देते। वहीं दूसरी ओर डीएमओ कार्यालय में जाने पर कोई भी कर्मचारी किसी भी प्रकार की जानकारी देने से इंकार करते हुए डीएमओ से बात करने को कहते हैं। अब ऐसे में सटीक जानकारी कैसे मिले यह एक बड़ी समस्या बनी हुई है। 

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