गोंदिया जिले में बचे सिर्फ 30 सारस, तीन वर्ष में आठ सारस पक्षियों की हो चुकी है मौत
बढ़ी चिंता गोंदिया जिले में बचे सिर्फ 30 सारस, तीन वर्ष में आठ सारस पक्षियों की हो चुकी है मौत
डिजिटल डेस्क, गोंदिया. महाराष्ट्र में सिर्फ गोंदिया जिले में दुर्लभ कहे जाने वाले सारस के दर्शन होते थे। कभी जिले में सारस की संख्या 52 तक पहुंची थी लेकिन विभिन्न कारणों से उड़ान भरते समय सारस मौत के मुंह में समा जा रहे हैं। बताया गया है कि 3 वर्षो में 8 सारस पक्षियों की मृत्यु हो गई है। अब जिले में मात्र 30 सारस ही बचे हुए हैं। वे भी असुरक्षित देखे जा रहे हैं। मृत्यु का आंकड़ा बढ़ता ही जाने से पक्षी प्रेमियों में चिंता का विषय बन गया है। बता दें कि सारस काे प्रेम का प्रतीक कहा जाता है। सारस की उड़ान से गोंदिया को एक नई पहचान मिली है। वर्ष 2022 में सारस पक्षियों की गणना की गई जिसमे 34 सारस पक्षी पाए गए हैं,जबकि वर्ष 2011-12 में सारस की संख्या 52 पर पहुंच गई थी। लेकिन विभिन्न कारणाें के चलते सारस पक्षियों की संख्या घटती गई,जाे अभी 30 पर सिमट गई है। बताया गया है कि जिस क्षेत्र मंे सारस अपने निवास बनाते है उस क्षेत्र से हाईटंेशन विद्युत तारों की लाइन गई है। जब सारस उड़ान भरता है तो हाईटेंशन विद्युत तारों से वह टकरा जाता है। करंट लगने से उनकी मृत्यु हो जाती है। इसके अलावा जहरीला भोजन व प्राकृतिक आपदा से भी उनकी मृत्यु हो जाती है। पक्षी प्रेमियाे द्वारा बताया गया है कि पिछले 3 वर्षो में दासगांव में 2, डांगोरली में 1, परसवाड़ा में 1, पांजरा में 1, कामठा मंे 2 व 10 दिसंबर शनिवार को घाटटेमनी में 1 सारस की मृत्यु हो गई है। अब जिले में मात्र 30 सारस पक्षी ही शेष बचे हैं और वह भी असुरक्षित दिखाई दे रहे हैं। जिससे पक्षी प्रेमियो में सारस पक्षियों को लेकर चिंता बढ़ गई है।
विद्युत तारों पर कोटिंग लगाने की योजना
मुकुंद धुर्वे, मानद वन्यजीव संरक्षक के मुताबिक जिस क्षेत्र में सारस पक्षियाें का विचरण तथा निवास है उस क्षेत्र से गुजरने वाले विद्युत तारों की लाइन प्रवाहित है। जब सारस उड़ान भरते हैं तो इस दौरान वे तारों से टकरा जाते हैं। जिससे उनकी मृत्यु हो रही है। जिसे गंभीरता से लेते हुए विद्युत तारो पर कोटिंग लगाने का नियाेजन किया गया है। कोटिंग लगाने का काम शुरू किया जाएगा।