दूसरी ओर बुनियादी सुविधाओं तक के लिए तरस रहे लोग
एक ओर आजादी का अमृत महोत्सव दूसरी ओर बुनियादी सुविधाओं तक के लिए तरस रहे लोग
डिजिटल डेस्क, गोंदिया. इस वर्ष देश आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। वहीं दूसरी ओर आम नागरिक आज भी अनेक बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। एेसा ही एक उदाहरण आमगांव बस स्थानक का है। आमगांव तहसील मुख्यालय हाेने के साथ-साथ जिले का प्रमुख व्यवसायिक, शैक्षणिक केंद्र भी है। यहां से प्रतिदिन 5 हजार से अधिक विद्यार्थी एवं अन्य यात्री बसों से यात्रा करते हैं। लेकिन विड़बना यह है कि, उन्हें हाईवे पर हर मौसम में घंटों सड़क किनारे खड़े रहकर बसों की प्रतीक्षा करनी पड़ता है। गौरतलब है कि, पहले आमगांव में आमगांव-गांेदिया मार्ग पर आंबेडकर चौक के पास किराए की जगह पर एसटी का बस स्थानक था, जो अत्यंत सुविधाजनक था, लेकिन भाजपा सेना युति सरकार के समय इस स्थान से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर सालेकसा रोड पर नया बस स्थानक बनाया गया और यहां की जगह खाली कर उसके मालिक के हवाले कर दी गई। अब स्थिति यह है कि, जहां एसटी का बस स्थानक है वहां से 10 प्रतिशत यात्री भी बसों में सवार नहीं होते और अनेक बसें ऐसी हैं जो बस स्थानक तक पहुंचती ही नहीं। उदाहरण के लिए आमगांव से देवरी, चिचगढ़, ककोडी एवं वहां से गोंदिया की ओर आने वाली बसें बस स्थानक तक जाती ही नहीं क्योकि वहां कोई यात्री ही नहीं रहते। आज भी 90 फीसदी यात्रा करने वाले यात्री एवं विद्यार्थी पुराने बस स्थानक की जगह से ही बसों में सवार होते हैं और यहीं उतरते भी हैं। जिसके कारण नया बस स्थानक सफेद हाथी सिद्ध हो रहा है और वहां कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। यात्रियों का आना-जाना नहीं होने के कारण वहां हमेशा वीरानी छाई रहती है। जबकि पुराने बस स्थानक की जगह जो गोंदिया-देवरी हाईवे पर है। आज भी आमगांव से बाहर जाने वाले एवं आमगांव में आने वाले 90 फीसदी से अधिक यात्री एवं विद्यार्थी यहीं से बसों में चढ़ना-उतरना करते हैं। चूंकि अब यहां बस स्थानक नहीं है। इसलिए सारे यात्री सड़क पर ही घंटों खड़े रहकर बसों की प्रतीक्षा करते हैं। कोई शेड आदि न होने के कारण आस-पास की होटलों एवं पान टपरियों पर उन्हें खड़ा रहना पड़ता है। चूंकि यहां न तो बस स्थानक है और न ही कोई पिकअप शेड। इसलिए खुले में खड़े रहना मजबूरी है। चूंकि फिलहाल हाईवे का निर्माणकार्य चल रहा है और हाईवे निर्माता कंपनी ने अनेक गांवों में हाईवे के किनारे पिकअप शेड बनाए हैं। यदि ऐसी ही कोई पहल कर स्थानीय जनप्रतिनिधि अथवा नगर परिषद प्रशासन उनके माध्यम से पिकअप शेड बनवा सके तो यात्रियों को भारी परेशानी से मुक्ति मिल सकेगी। विशेष रूप से छात्र-छात्राएं एवं महिला यात्रियों को बसों की प्रतीक्षा करते हुए नर्क यातना झेलनी पड़ती है।
टिकट भी दो तरह की दी जाती है : आमगांव से किसी भी गंतव्य के लिए बस टिकट लेने पर उसमें लिखा रहता है कि, आमगांव बस स्थानक जूने से गंतव्य तक की टिकट वहीं नए बस स्थानक से बस में चढ़ने पर जो टिकट दी जाती है उसमें आमगांव बस स्थानक नया से ऐसा उल्लेख रहता है।
एसटी नहीं बना सकती पिकअप शेड
संजना पटले, मैनेजर, एसटी डिपो के मुताबिक एसटी की हाईवे पर स्वयं की मालकीयत की जगह न होने से कितना भी आवश्यक होने के बावजूद एसटी की ओर से वहां पिकअप शेड नहीं बनाया जा सकता है। इसके लिए स्थानीय प्रशासन या जनप्रतिनिधि प्रयास कर तो शेड निर्माण को मूर्त रूप दे सकते हैं।
शेड बनाने के लिए आग्रह करेंगे
पवन म्हैत्रे, मुख्याधिकारी, नगर परिषद आमगांव के मुताबिक हाईवे का काम इस समय आमगांव में चल रहा है। इसलिए ठेकेदार अथवा संबंधित प्रशासनिक अथॉरिटी से संपर्क कर उन्हें पुराने बस स्थानक के आस-पास पिकअप शेड बनाने के लिए आग्रह किया जाएगा। ताकि एक बड़ी समस्या का स्थायी समाधान हो सके।