एसटी कामगार संगठनों के पदाधिकारियों ने आंदोलन से बनाई दूरी
आंदोलन में कार्यकर्ता ही शामिल एसटी कामगार संगठनों के पदाधिकारियों ने आंदोलन से बनाई दूरी
डिजिटल डेस्क, अकोला। विगत 19-20 दिनों से रापनि कर्मियों का शासन में विलीनीकरण समेत विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन जारी है। ऐसे में कर्मचारियों को अपना हमदर्द होने का एहसास दिलानेवाली अधिकांश एसटी कामगार संगठन के पदाधिकारी अब तक इस आंदोलन से दूरी बनाते नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि इन एसटी कामगार संगठनों के खिलाफ रापनि कर्मचारी नजर आ रहे हैं। टावरचौक परिसर में स्थित एसटी आगार क्रमांक 1 में आंदोलन कर रहे रापनि के कर्मचारियों ने दैनिक भास्कर से विशेष बात चीत में कहा कि हम गत 19 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। इस आंदोलन में विभिन्न कामगार संगठनों में शामिल रापनि कर्मचारी सहभागी है लेकिन अनेक कामगार संगठनों के पदाधिकारी आंदोलन से दूरी बनाए हुए है। पिछले 19 दिनों से विलीनीकरण की मांग को लेकर चक्का जाम किए बैठे राज्य परिवहन निगम के कर्मचारियों ने अपनी मांगों का पुनरुच्चार करते हुए रविवार को आंदोलन पंडाल में आंदोलन जारी रख कर सरकार के प्रति अपना रोष व्यक्त किया। इस आंदोलन में एसटी के पुरुष व महिला कर्मचारी शामिल हुए। बस डिपो क्रमांक एक के अहाते में पंडाल डाल कर ठीया डालकर बैठे एसटी के कर्मचारियों ने पिछले 19 दिनों से अपनी मांगों के समर्थन में काम बंद आंदोलन छेड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम के वाहक, चालक तथा अन्य सभी कर्मचारियों को राज्य शासन की सेवा में शामिल किया जाए एसटी का शासकीय रूप से विलीनीकरण किया जाए यह प्रमुख मांग कर्मचारियों की हैं। लेकिन सरकार इस आंदोलन को निपटाने के लिए अलग अलग तरीके अख्तियार कर रही हैं। जिससे परिवहन निगम के कर्मचारी काफी आहत हुए हैं।
कुछ राजनीतिक दल आंदोलन हाइजेक करने की फिराक में
सीधी बात की जाए तो राज्य सरकार में शामिल राजनीतिक दलों के कामगार संगठनों के पदाधिकारी आंदोलन से दूरी बनाए हुए हैं जबकि इसका फायदा उठाकर विपक्ष आंदोलन को हाइजेक कर रापनि कर्मचारियों के माध्यम से सरकार को घेरने का प्रयत्न कर रहा है। याने आंदोलन में भी राजनीति मंडराती नजर आ रही है।