सुरक्षा से समझौता किये बिना भारत में सुरंग निर्माण की पूंजीगत लागत को कम करने के लिये आधुनिक विचारों को अपनाने की आवश्यकता: गडकरी!

सुरक्षा से समझौता किये बिना भारत में सुरंग निर्माण की पूंजीगत लागत को कम करने के लिये आधुनिक विचारों को अपनाने की आवश्यकता: गडकरी!

Bhaskar Hindi
Update: 2021-05-06 09:19 GMT
सुरक्षा से समझौता किये बिना भारत में सुरंग निर्माण की पूंजीगत लागत को कम करने के लिये आधुनिक विचारों को अपनाने की आवश्यकता: गडकरी!

डिजिटल डेस्क | सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय सुरक्षा से समझौता किये बिना भारत में सुरंग निर्माण की पूंजीगत लागत को कम करने के लिये आधुनिक विचारों को अपनाने की आवश्यकता: गडकरी| सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा कि भारत में सुरंग निर्माण के लिये आधुनिक विचारों को अपनाने की जरूरत है, जिससे इसमें लगने वाले भारी भरकम पूंजीगत लागत को कम किया जा सके।

उन्होंने ने कहा कि सुरंगों के पास स्मार्ट सिटी, सड़क मार्ग पर स्थित सुविधाओं और अन्य सुविधाओं को विकसित कर राजस्व को बढ़ाया जा सकता है। सड़क सुरंगों में मौजूदा चलन, नई खोज और आगे की राह विषय पर आज एक अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुये श्री गडकरी ने "पहले से तैयार हिस्सों के द्वारा निर्माण की तकनीक का इस्तेमाल कर सुरंगों और समुद्रों एवं नदियों के नीचे सुरंगों" को तैयार करने के तरीकों पर गौर करने की जरूरत पर जोर दिया।

श्री गडकरी ने सभी साझेदारों से आग्रह किया कि वो सुरंग निर्माण के लिये किफायती और आधुनिक तकनीकें लेकर आयें जिससे सुरक्षा से समझौता किये बिना पूंजीगत खर्चों को घटाया जा सके। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में राष्ट्रीय राजमार्ग की कुल लंबाई 1.37 लाख किलोमीटर है और हर दिशा में देश के कुल ट्रैफिक का 40 प्रतिशत हिस्सा इससे गुजरता है। केंद्रीय मंत्री ने दुनिया भर से अच्छे कार्यों को अपनाने पर जोर दिया है।

वेबिनार में बोलते हुए सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री, जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ. वी के सिंह, ने कहा कि मंत्रालय ऐसे स्थानों तक पहुंच बनाने के लिये ज्यादा से ज्यादा सुरंगों का निर्माण सुनिश्चित कर रहा है, जो पहुंच से बाहर हैं और जिनसे खराब मौसम और सर्दियों में संपर्क टूट जाता है। इस वेबिनार का आयोजन भारतीय सड़क कांग्रेस, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और विश्व सड़क संगठन के द्वारा किया गया।

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