काल और मृत्यु के भय से मुक्त करता है शिवजी का मन्त्र; भक्ति, एकाग्रता और ध्यान ले जाते हैं भगवान शिव के निकट - अजय सिंह

मध्य प्रदेश काल और मृत्यु के भय से मुक्त करता है शिवजी का मन्त्र; भक्ति, एकाग्रता और ध्यान ले जाते हैं भगवान शिव के निकट - अजय सिंह

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-25 14:09 GMT
काल और मृत्यु के भय से मुक्त करता है शिवजी का मन्त्र; भक्ति, एकाग्रता और ध्यान ले जाते हैं भगवान शिव के निकट - अजय सिंह

डिजिटल डेस्क, भोपाल। चुरहट में आयोजित शिव महापुराण कथा के चौथे दिन आचार्य विनोद बिहारी गोस्वामी ने कथा रसिकों को शिवजी के मन्त्र का महात्म्य बताया। उन्होंने कहा कि ओम नमः शिवाय मंत्र मोक्ष की प्राप्ति और ईश्वर की आराधना में बहुत प्रभावकारी है। सीधी जिले के विधानसभा चुरहट के गृहग्राम शिवराजपुर साड़ा मे पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल के संकल्प एवं आयोजन समिति के तत्वाधान में हो रही शिव महापुराण कथा में प्रवचन करते हुए उन्होंने कहा हमारी भक्ति, एकाग्रता और ध्यान ही भगवान शिव के निकट पहुंचाने वाला मार्ग है।

आज आचार्य विनोद बिहारी गोस्वामी जी ने ओम नमः शिवाय की उत्पत्ति, जाप करने की विधि और इसके लाभ के संबंध में विस्तार से चर्चा की| भगवान शिव एकमात्र ऐसे देवता है जो सहज और सुलभ हैं। उनकी सादगी और भोलापन ही भक्तों को उनकी ओर आकर्षित करता है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कोई विशेष अनुष्ठान या भव्य यज्ञ का आयोजन आवश्यक नहीं है।  उनके भक्तों को तो बस जरूरत है योगमुद्रा में बैठकर उनके मंत्र का जाप करने की।

गोस्वामी जी ने भक्ति, एकाग्रता और ध्यान के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि इससे ही भगवान शिव के निकट पहुंचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि काल और मृत्यु के भय से मुक्त करने वाले भगवान शिव के ॐ नमः शिवाय मंत्र की महिमा के बारे में हम बात करेंगे और बताएंगे आपको कि आखिर कैसे भक्त इस मंत्र के माध्यम से बड़ी ही सरलता से शिव के निकट पहुँच सकते हैं।

स्वामीजी ने ॐ नमः शिवाय का अर्थ बताते हुए कहा कि ॐ एक ध्वनि की भांति प्रतीत होता है परन्तु इस ॐ में ब्रह्माण्ड की सम्पूर्ण शक्ति का वास है। ॐ शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना है|अ, उ और म। जिसमें से अ का अर्थ है उत्पन्न होना, उ का अर्थ है विकास और म का अर्थ है मौन अवस्था में आ जाना यानि कि ब्रह्मलीन हो जाना। इसके बाद आने वाले शब्द हैं नमः शिवाय जिनका मतलब होता है भगवान शिव को नमस्कार। शैव और सिद्ध परम्परा में शिव के पांच तत्वों का बोध इस प्रकार किया गया है| इसमें न ध्वनि पृथ्वी, मः ध्वनि पानी, शि ध्वनि अग्नि, वा ध्वनि प्राणिक हवा,य ध्वनि आकाश का प्रतिनिधित्व करता है| इस प्रकार इन शब्दों का कुल अर्थ है कि “सार्वभौमिक चेतना एक है”। ॐ नमः शिवाय  सबसे प्रभावशाली मन्त्र है। अपने आप में शक्तियों को समाहित किये हुए इस मंत्र में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का वास है।

ॐ नमः शिवाय मंत्र के चमत्कार के बारे में आचार्य विनोद ने बताया कि शिवपुराण में उल्लेख किया गया है कि इस चमत्कारी मंत्र में इतनी शक्ति समाहित है जो सम्पूर्ण मनुष्य जाति के दुःखों और कष्टों को दूर करने में सक्षम है। साथ ही शिव पुराण में इस चमत्कारिक मंत्र को पञ्चाक्षर मंत्र कहा गया है।

गोस्वामी जी ने ओम नमः शिवाय की उत्पत्ति के बारे में बताते हुए कहा कि भगवान शिव इस धरती पर एक अग्नि स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे। यह अग्नि स्तम्भ जब धरती पर प्रकट हुआ तो उस समय स्तंभ के पांच मुख थे। ये पांच मुख पंच तत्वों पृथ्वी, अग्नि, आकाश, जल और वायु से बने थे। इसके प्रकट होते ही सबसे पहले ॐ शब्द की उत्पत्ति मानी जाती है। पांच शब्द नमः शिवाय की उत्पत्ति उन पांच मुखों से हुई। आचार्य विनोद ने कहा कि ॐ नमः शिवाय मंत्र का प्रतिदिन जाप करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।  शरीर संबंधी सभी विकार समाप्त हो जाते हैं।  आत्मीय और मानसिक शान्ति और स्थिरता प्राप्त होती है।  इसके साथ ही आभामंडल में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ने लगता है। यह मंत्र काल और मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाने वाला है। 

आज कथा में छतरपुर विधायक  आलोक चतुर्वेदी ( पज्जन ) जी , पूर्व सांसद  मानिक सिंह जी , जिला पंचायत अध्यक्ष सीधी एवम सिंगरौली क्रमशः श्रीमति मंजू राम सिंह  एवम कु. सोनम सिंह, गाडरवारा विधायक श्रीमती सुनीता पटेल जी, पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदेलाल सिंह, महापौर रीवा अजय मिश्रा बाबा और , पूर्व विधायक मनोज अग्रवाल उपस्थित थे।

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