20 साल से मांग रही आवास, झोपड़ी टूटी तो सड़क पर पत्थर रख धरने पर बैठी महिला

20 साल से मांग रही आवास, झोपड़ी टूटी तो सड़क पर पत्थर रख धरने पर बैठी महिला

Bhaskar Hindi
Update: 2017-07-30 14:29 GMT
20 साल से मांग रही आवास, झोपड़ी टूटी तो सड़क पर पत्थर रख धरने पर बैठी महिला

डिजिटल डेस्क, मंडला। पंचायत देवदरा में 20 साल से एक महिला, आवास योजना की मांग कर रही है। शासन प्रशासन को दर्जनों आवेदन देने के बाद सुनवाई नहीं हुई। महिला की झोपड़ी गिर रही है, जिससे कभी भी हादसा हो सकता है। पंचायत और प्रशासन के चक्कर काट कर थक चुकी महिला ने मंडला देवदरा मार्ग को पत्थर रखकर जाम कर दिया। इसके बाद प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और टूटी झोपड़ी का मुआवजा देने के लिए पंचनामा बनाया। 

दो वक्त की रोटी के लिए जद्दोजहद कर रही अकेली महिला, प्रशासन के सामने हार गई। महिला ने बड़ा फैसला किया। शनिवार की सुबह मंडला सहस्त्रधारा मार्ग में पत्थर से जाम लगाकर बीच सड़क पर बैठ गई। महिला की मांग थी कि उसे आवास योजना का लाभ दिया जाए। रामप्यारी बाई ने बताया रात्रि के दौरान झोपड़ी कभी भी बारिश के समय गिर सकती है। रात के अंधेरे में झोपड़ी के नीचे दफन होने से अच्छा है कि सड़क पर मरे। जिससे प्रशासन और लोकतंत्र की स्थिति लोगों के सामने आए। बीच सड़क पर बैठी महिला को देखते हुए, यहां हर कोई यहां उसके बैठने का कारण पूछता। करीब दो घंटे तक सिर्फ महिला के आंखो से आंसू निकलते रहे। पिछले दो साल से शासन प्रशासन के दर की ठोकरे खाने का दर्द उसकी आंखों से झलकता रहा। इसकी जानकारी पुलिस प्रशासन को लगी। प्रशासनिक अधिकारियों को भी इस घटना से लोगो ने अवगत कराया। बीच सड़क पर महिला के धरने की खबर के बाद प्रशासनिक अधिकारियों की नींद टूटी। यहां मौके पर पुलिस कर्मी और आरआई को भेजा गया। पुलिस और आरआई ने महिला को सड़क से उठाकर घर ले गए। यहां महिला के आवास की स्थिति देखकर सभी की आह निकली। आरआई के द्वारा झोपड़ी टूटने का पंचनामा बनाया जा रहा है, जिससे वृद्धा को कुछ आर्थिक सहायता झोपड़ी मरम्मत के लिए दी जा सके। 

बताया गया है कि रामप्यारी बरमैया पति सुरेश बरमैया निवासी देवदरा करीब 30 साल से परित्यागता है। यहां महिला माता पिता की मौत के बाद अकेली झोपड़ी में निवास कर रही है, झोपड़ी मिट्टी होने के कारण क्षतिग्रस्त हो गई। महिला खाना बनाकर अपना पेट पाल रही है। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण झोपड़ी की मरम्मत नहीं कर पाई, धीरे-धीरे झोपड़ी का एक हिस्सा गिर गया। महिला 30 साल से जिस झोपड़ी में रह रही है। वहां शासकीय योजना के तहत आवास की मांग शासन प्रशासन से कर चुकी है। यहां ग्राम पंचायत को कई बार आवेदन दिए, लेकिन पंचायत द्वारा इंद्रा आवास, सीएमआवास, पीएम आवास की सूची में शामिल नहीं किया गया। पंचायत से योजना का लाभ मिलने की आस टूट गई। जिसके बाद महिला जनपद पंचायत, जिला पंचायत और कलेक्टर के पास गई, लेकिन यहां भी कोई सुनवाई नहीं हुई।

पंचायत दे रही गलत जानकारी

रामप्यारी के आरोप है कि पंचायत से प्रशासन और शासन को गलत जानकारी दी जा रही है। एक पखवाड़े पहले वृद्धा ने सीएम हेल्पलाईन में शिकायत दर्ज कराई थी। यहां पंचायत से जबाव लेने के बाद भोपाल से वृद्धा से संपर्क किया गया। जिसमें बताया गया कि ग्राम पंचायत द्वारा कही दूसरी जगह आवास दिया जा रहा है, लेकिन वृद्धा नहीं ले रही है। रामप्यारी का कहना है कि पंचायत ने कहीं और आवास देने की कोई बात नहीं की। यहां 30 साल से अधिक समय से झोपड़ी बनाकर परिवार के साथ रह रही है, तो यही आवास पंचायत क्यों नही बनवा सकती। 

पट्टा में उलझा मामला

आबादी की भूमि में आवास बनाकर रह रहे गरीबों को भूमि का हक देने के लिए अधिनियम बनाया गया है, लेकिन वृद्धा को 30 साल से निवास करने के बावजूद पट्टा नहीं दिया गया। जिससे आवास योजना का प्रकरण स्वीकृत नहीं किया जा रहा है। पंचायत और राजस्व विभाग की लापरवाही के कारण रामप्यारी कई सालों से परेशान है। प्रशासन समस्या का निराकरण नहीं कर रहा है। अब सड़क पर जाम लगाने के बाद प्रशासनिक अधिकारी पट्टे के लिए आवेदन करने की बात कह रहे  है। यहां पटवारी की लापरवाही उजागर हुई है। झोपड़ी टूटने की जानकारी देने के बाद भी पंचनामा कार्रवाई कर, मुआवजा के लिए पंचनामा नहीं बनाया गया। 

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