पीढिय़ों से प्रचलित कुप्रथा पर तीन साल अभियान के बाद भी विराम नहीं
युवाओं ने कहा-आंकना रोकने जागरुकता जरुरी पीढिय़ों से प्रचलित कुप्रथा पर तीन साल अभियान के बाद भी विराम नहीं
डिजिटल डेस्क,शहडोल। आदिवासी समाज में प्रचलित कुप्रथा आंकना (दागना) को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा तीन साल से ज्यादा समय से चलाया जा रहा अभियान बेअसर साबित हुआ है। कठौतिया और सामतपुर गांव के साथ ही कोदवार में आंकना के मामले सामने आने के बाद प्रशासन के जागरुकता अभियान पर सवाल उठ रहे हैं तो इस अभियान में बड़ी कमी यह सामने आई कि आदिवासी समाज के ज्यादातर लोग जिस कुप्रथा को ‘आंकना’ के नाम से जानते हैं, प्रशासन उसके उन्मूलन के लिए ‘दागना’ के नाम से अभियान चला रहा है।
भास्कर टीम बुधवार दोपहर कठौतिया गांव पहुंची, जहां आदिवासी समाज के बुजुर्ग शेखई कोल पहले तो दागना नाम सुनकर समझ ही नहीं पाए। बाद में आंकना बोलने पर अपना पेट दिखाते हुए कहा कि बचपन में उन्हे भी कई बार आंका गया और कुछ नुकसान नहीं हुआ। आदिवासी समाज में आंकना कुप्रथा कई दशक से प्रचलित है। इसमें नवजात शिशुओं का पेट फूलने पर लोहे की हसिया, किसी पौधे की जड़ व चूडिय़ों को गर्म कर पेट को आंका जाता है। कठौतिया गांव के युवा नारेंद्र कोल, सुरेश कोल, दीपक कोल कहते हैं कि इस कुप्रथा को जड़ से खत्म करने के लिए प्रशासन को ठोस जागरुकता उपाय अपनाने चाहिए।
पीड़ा- घर में बूढ़ी मां जो ठीक से देख नहीं पाती, नवजात को खोने के बाद अब बेटे और बहू लगा रहे पुलिस थाने के चक्कर
सामतपुर गांव में उम्र के अंतिम पड़ाव में पहुंच चुकी बूढ़ी मां मुन्ना कोल ठीक से देख नहीं पाती हैं। आंगन में चुपचाप बैठी हैं। उन्हे बेटे और बहू के थाने से आने का इंतजार है। बेटा सूरज कोल 3 माह की नवजात को हमेशा के लिए खो देने के बाद पत्नी के साथ बुधवार दोपहर सिंहपुर थाने गए थे। थाना प्रभारी एमपी अहिरवार ने बताया कि इन पर जेजे एक्ट पर दर्ज प्रकरण में समझाइश दी गई। बाल कल्याण समिति काउंसलिंग के लिए भेजा।
गुस्सा- नवजात को आंकने वाली दाई के परिवारजनों ने कहा बच्चे के माता-पिता कई बार घर आते हैं, आशा उन्हें क्यों नहीं समझातीं
कठौतिया, सामतपुर, कोदवार व अन्य गांव में आंकना के मामले सामने आने के बाद पुलिस उन दाइयों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर रही है जो नवजात शिशुओं को आंकते हैं। सामतपुर में आंकने वाली ऐसी ही एक दाई मठ्ठी के परिवार के सदस्यों ने बताया कि बीमार नवजात के माता-पिता कई बार बुलाने के लिए घर आते हैं, आंकने के लिए दबाव बनाते हैं। ऐसे परिवारों को समय रहते इलाज क्यों मुहैया नहीं करवाई जाती।
प्रयास- कलेक्टर ने सामाजिक कुप्रथा रोकने जारी किया आदेश
कलेक्टर वंदना वैद्य ने बच्चों को आंकने की शिकायत प्राप्त होने पर अंकाई, दगाई एवं झाड़ फूक, टोना टोटका सहित सामाजिक कुरीतियों को दूर करने और उनके दुष्परिणामों के बारे में जागरूकता लाने तथा पूर्णत: प्रतिबंधित करने हेतु की दृष्टि से जिले में कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। जारी आदेश में कहा है कि ग्रामसभा में दागना प्रथा रोकने के लिये विशेष बैठक करके प्रस्ताव पारित किया जायेगा एवं रोकथाम तथा चर्चा करते हुए शपथ दिलाया जाए। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं आशा कार्यकर्ता नोडल अधिकारी होंगे। जो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं आशा कार्यकर्ता अपने विभागीय गतिविधियों के अंतर्गत डोर-टू-डोर जाकर गतिविधियों के दौरान दागने की प्रथा आदि कुरीतियों पर चेतना जगाएंगे तथा आंकने व दागने की कुरीतियों को रोकने का पूरा प्रयास करेंगे।